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54 साल बाद मॉक ड्रिल; ब्लैकआउट और सायरन बजने पर क्या होगा? समझ लीजिए

7 मई को देशभर में सिविल डिफेंस ड्रिल होगी। 54 साल बाद यह पहली बार है जब देश में इस तरह की मॉक ड्रिल होने जा रही है। यह ड्रिल पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच हो रही है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

क्या भारत और पाकिस्तान के बीच जंग होने वाली है? सवाल इसलिए क्योंकि अब इसे लेकर सरकार की तैयारियां बढ़ गई हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को 7 मई को मॉक ड्रिल करने का आदेश दिया है। इसका मकसद यह है कि युद्ध या इमरजेंसी की स्थिति में लोगों को बचाया जा सके। 


गृह मंत्रालय ने 'नए और जटिल खतरों' से निपटने के लिए सिविल डिफेंस ड्रिल करने को कहा है। मॉक ड्रिल के दौरान हवाई हमलों की जानकारी देने वाले सायरन बजाए जाएंगे। लोगों को बताया जाएगा कि ब्लैकआउट होने पर क्या करें? हवाई हमला होने पर खुद को कैसे बचाएं? इसके साथ ही इस बात की भी ड्रिल की जाएगी कि हमला होने पर नागरिकों को किस तरह सुरक्षित जगह पहुंचाया जाए? 

 

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मॉक ड्रिल में क्या-क्या होगा?

  • हवाई हमले के वक्त चेतावनी देने वाले सायरन बजाए जाएंगे।
  • बचाव के लिए लोगों और छात्रों को सिविल डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाएगी।
  • ब्लैकआउट किया जाएगा, ताकि हमले के वक्त दुश्मन कुछ देख न सके।
  • हमले के वक्त अहम प्लांट या प्रतिष्ठानों को समय से पहले छिपाने की ड्रिल होगी।
  • हमले की स्थिति में लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाने की प्रैक्टिस की जाएगी।
  • बंकरों और छिपने की जगहों की साफ-सफाई की जाएगी।
  • वायुसेना से जुड़े हॉटलाइन और रेडियो कम्युनिकेशन के साथ-साथ कंट्रोल रूम और शेडो कंट्रोल रूम की क्षमता जांची जाएगी।

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मॉक ड्रिल की जरूरत क्यों?

हमले के वक्त सिविल डिफेंस की भूमिका अहम होती है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि मॉक ड्रिल के जरिए 244 सिविल डिफेंस जिलों में सिविल डिफेंस को पूरी तरह से चुस्त-दुरुस्त करने की कोशिश की जाएगी। यह मॉक ड्रिल गांवों के स्तर तक की जाएगी। 

 


इसमें सिविल डिफेंस वार्डन, वॉलंटियर्स, होम गार्ड, एनसीसी, एनएसएस, स्काउट और स्कूल-कॉलेज के छात्रों को शामिल करने को कहा गया है।


इससे पहले रविवार रात को पंजाब के फिरोजपुर में कैंट एरिया में ब्लैकआउट रिहर्सल की गई थी। इस दौरान सभी लाइटें बंद कर दी गई थीं। यह रिहर्सल करीब 30 मिनट तक चली थी।

 

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सायरन और ब्लैकआउट कितना अहम?

हमले की स्थिति में सायरन का अहम रोल होता है। इस दौरान सायरन बजाकर लोगों को अलर्ट किया जाता है। सायरन में बहुत तेज साउंड होता है, ताकि लोग अपना सारा काम छोड़कर सुरक्षा के उपाय करने में जुट जाएं। सायरन बजते ही एंबुलेंस, पुलिस, सिक्योरिटी गार्ड और इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम एक्टिव हो जाती है। 


पाकिस्तान से जारी तनाव ने हवाई हमले के खतरे को बढ़ा दिया है। यही कारण है कि इस बार मॉक ड्रिल में हवाई हमले का अलर्ट देने वाले सायरन बजाए जाएंगे। जब दुश्मन हवाई हमला करने वाला होता है तो सायरन बजाकर लोगों को मैसेज दिया जाता है कि अपनी सुरक्षा करें और सुरक्षित जगह पर जाएं।


इसी तरह ब्लैकआउट भी किया जाएगा। ब्लैकआउट में सभी लाइटें बंद कर दी जाती हैं। यहां तक कि गाड़ियों की लाइटें भी बंद रहती हैं। रात के वक्त हवाई हमला होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए ब्लैकआउट किया जाता है, ताकि ऊपर से उड़ रहे दुश्मन के एयरक्राफ्ट नीचे टारगेट न देख सकें। 

 

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54 साल बाद पहली बार हो रही मॉक ड्रिल

इस तरह की मॉक ड्रिल 54 साल बाद हो रही है। इससे पहले 1971 में मॉक ड्रिल हुई थी, तब भारत की पाकिस्तान से जंग हुई थी। 1971 में पाकिस्तान के साथ जंग के दौरान एयर डिफेंस ड्रिल हुई थी। अब यह मॉक ड्रिल भी ऐसे वक्त होने जा रही है, जब पहलगाम अटैक को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच जंग जैसे हालात बन गए हैं।

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