भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है तो अमेरिका सबसे पुराना। लोकतांत्रिक व्यवस्था में तय समय के बाद चुनाव कराने का प्रावधान होता है। जैसे भारत में हर पांच साल और अमेरिका में प्रत्येक चार साल में इलेक्शन होते हैं। जनता के हाथ में पूरी ताकत होती है। सत्ता से किसे हटाना है और किसे पहुंचाना है, यह सब देश की जनता ही तय करती है। मगर आज बात दुनिया के उन सात देशों की, जहां पिछले कई दशकों से सरकारें नहीं बदलीं। वजह- यहां एक दलीय व्यवस्था का होना। मतलब यह है कि जनता के पास विकल्प नहीं, मजबूरी है। 

 

इन देशों में सिर्फ एक दल

  • चीन
  • लाओस
  • क्यूबा
  • उत्तर कोरिया
  • वियतनाम
  • इरिट्रिया
  • तुर्कमेनिस्तान

 

  • चीन: जब से चीन आजाद हुआ तब से वहां चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का कब्जा है। चुनाव को यही पार्टी नियंत्रित करती है। देखने में भले आपको चुनाव लगे मगर चेहरे पहले से तय होते हैं। पोलित ब्यूरो और स्थायी समिति सिर्फ शीर्ष नेताओं के फरमान का पालन करती है। एक अक्टूबर 1949 से चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है। चीन में अन्य सियासी दल हैं लेकिन वे कम्युनिस्ट पार्टी के सहयोगी हैं। 

 

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  • उत्तर कोरिया: चीन की तरह उत्तर कोरिया में भी एक ही पार्टी का शासन है। इस पार्टी का नाम वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया है। तानाशाही होने के कारण कोई अन्य दल आज तक नहीं उभरा। वर्कर्स पार्टी के दो सहयोगी दल भी हैं। 1948 से उत्तर कोरिया में इसी दल का शासन है। सबसे पहले मौजूदा तानाशाह किम जोंग उन के दादा किम इल-सुंग ने शासन किया। इसके बाद पिता किम जोंग इल ने सत्ता संभाली। 

 

  • क्यूबा: अमेरिका के करीब बसा क्यूबा कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ है। यहां क्यूबन कम्युनिस्ट पार्टी का  1965 से सत्ता पर कब्जा है। देश की हर नीति का निर्धारण यही पार्टी करती है। देश के संविधान में सिर्फ इसी दल को शासन का अधिकार सौंपा गया है।

 

  • वियतनाम: दक्षिण पूर्व एशियाई देश वियतनाम में भी एक दलीय व्यवस्था है। 1930 में हो ची मिन्ह ने वियतनाम कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की। 1954 से वियतनाम की सत्ता पर यही पार्टी है। शुरुआत में इसने उत्तरी वियतनाम पर शासन किया। मगर 1975 में अमेरिका की हार के बाद पूरे देश की कमान इसके हाथ आ गई। देश का मेन स्ट्रीम मीडिया सरकार के नियंत्रण में काम करता है। 

 

  • लाओस: लाओस में साम्यवादी शासन व्यवस्था है। यहां पिछले 5 दशक से लाओ पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी का कब्जा है। विपक्षी दलों को यहां कोई मान्यता नहीं है। 1975 से लाओस की सत्ता पर काबिज लाओ पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी का मीडिया पर भी पूरा कंट्रोल है। आज यह देश गरीबी से जूझ रहा है। 

 

  • इरीट्रिया: यहां पीपुल्स फ्रंट फॉर डेमोक्रेसी एंड जस्टिस पार्टी का शासन है। राष्ट्रपति इसाईस अफवर्की पिछले 34 वर्षों से सत्ता में काबिज हैं। अभी तक चुनाव भी नहीं करवाए हैं। देश में मीडिया नाम की कोई चीज नहीं है। 2001 से अखबार बंद हैं और पत्रकारों और संपादकों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यह दुनिया का इकलौता देश है जिसके पास अपना कोई संविधान नहीं है। 

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  • तुर्कमेनिस्तान: तुर्कमेनिस्तान में मजबूत विपक्ष नहीं है। इस वजह से यहां एक ही दल और घराने का सत्ता पर कब्जा है। 2006 से गुर्बांगुली बर्दिमुखमम्मेदोव देश के राष्ट्रपति के साथ साथ प्रधानमंत्री और उच्च सदन के अध्यक्ष रहे। 2017 में फिर राष्ट्रपति बने। 2022 में उनके बेटे सरदार बर्दिमुखम्मेदोव राष्ट्रपति बने।  

इन देशों पर सेना का कब्जा

दुनियाभर में सिर्फ 8 देशों में मौजूदा समय में सैन्य सत्ता चल रही है। कुछ देशों में सेना अंतरिम सरकार के तौर पर काम कर रही है। पश्चिम अफ्रीका में एक कू बेल्ट है। यहां 2020 से अब तक सात देशों में सेना तख्तापलट कर चुकी है। पश्चिम अफ्रीका के 'कू बेल्ट' में नाइजर, गैबोन, सूडान, माली, गिनी, चाड और बुर्किना फासो जैसे देश शामिल हैं। इन देशों में आज भी सेना मुख्य या अंतरिम सरकार के तौर पर शासन कर रही है। 

 

इन देशों में सेना का शासन
देश  सैन्य शासन कब से
म्यांमार 2021
चाड 2021
बुर्किना फासो 2022 
गिनी   2021
नाइजर 2023
माली   2021
सूडान     2021
गैबोन 2023

                         
        
दुनिया में कितने लोकतांत्रिक देश?

अंतरराष्ट्रीय संस्था फ्रीडम हाउस की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक 84 देश पूरी तरह से लोकतांत्रिक हैं। 59 देशों को आंशिक लोकतांत्रिक माना जाता है। 59 देशों में अलोकतांत्रिक व्यवस्था हावी है। हालांकि यह आकंड़ा समय-समय पर बदलता रहता है। दुनिया भर के लगभग 143 देशों में पूरी तरह से या आंशिक तौर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था चल रही है।