नेपाल एक फिर से चीन के करीब आ रहा है। दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे परवान चढ़ रही है। बात यहां तर पहुंच गई है कि नेपाल ड्रैगन से अपने देश में ज्यादा से ज्यादा निवेश करने और समर्थन करने की मांग कर रहा है। चीन काफी हद तक नेपाल की बात मान भी गया है। इस कदम को नेपाल में चीन के अधिक दखल देने के तौर पर देखा जा रहा है।
दरअसल, नेपाल की विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा ने 30 मई को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से हांगकांग में मध्यस्थता के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन (IOMed) की स्थापना दिवर के मौके पर द्विपक्षीय बैठक की। विदेश मंत्री वांग यी ने नेपाल की विदेश मंत्री आरज़ू देउबा को आईओएमईडी की स्थापना से संबंधित संधि पर हस्ताक्षर समारोह में भाग लेने के लिए हांगकांग में निमंत्रित किया है। इसमें नेपाल पर्यवेक्षक राज्य के रूप में भाग ले रहा है।
विवादों का मध्यस्थता के जरिए हल
चीन की सरकार ने इस कार्यक्रम में कई देशों को बुलाया है, जिसमें 32 देशों ने कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं। नेपाल के हांगकांग में मौजूद महावाणिज्य दूतावास कार्यालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि आईओएमईडी-संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप- देशों, एक देश और दूसरे देशों के नागरिक और निजी पक्षों के बीच विवादों को मध्यस्थता के जरिए हल करने का लक्ष्य रखता है।
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देउबा के ऑफिस ने बयान जारी किया
बयान में कहा गया है कि उन्होंने नेपाल और चीन के बीच संबंधों को मजबूत करने और पारस्परिक रूप से फायदेमंद सहयोग सहित आपसी हितों के मामलों पर विचारों पर बातचीत की। वहीं, आरज़ू राणा देउबा ने ऑफिस ने एक दूसरे बयान में कहा है कि वांग यी के साथ बैठक के दौरान नेपाल-चीन संबंधों, आपसी हितों, कॉमन चिंताओं और इस साल दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ के जश्न पर चर्चा हुई।
इस बैठक में नेपाल ने साफ तौर पर चीन के साथ मजबूत संबंधों को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। नेपाली विदेश मंत्री आरज़ू देउबा ने देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में चीन की तरफ से किए जा रहे लगातार समर्थन और सहयोग के लिए वहां की सरकार और चीन के लोगों के प्रति आभार जताया। इसके अलावा देउबा ने वांग यी के सामने आर्थिक, तकनीकी, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और FDI सहित कई क्षेत्रों में चीन के लगातार सहयोग की नेपाल की अपेक्षा भी जता दी।
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'वन चाइना पॉलिसी' के प्रति समर्थन
इस मौके पर आरज़ू देउबा ने 'वन चाइना पॉलिसी' के लिए भी नेपाल की तरफ से समर्थन और अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने वांग यी के सामने स्पष्ट किया कि नेपाली क्षेत्र का इस्तेमाल चीन के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। बता दें कि वन चाइना पॉलिसी को 'चीन नीति' भी कहा जाता है। चीन मानता है कि वह संप्रभु राज्य है और ताइवान उसका अभिन्न अंग है। चीन की इस नीति को नेपाल के अलावा कई अन्य देशों ने स्वीकार किया है।
इसके अलावा आरज़ू देउबा ने हाल ही में नेपाल द्वारा आयोजित सागरमाथा संवाद में प्रतिनिधित्व के लिए चीनी सरकार को धन्यवाद दिया था।
नेपाल को चीन का समर्थन जारी रहेगा- वांग
बता दें कि नेपाल और चीन इस वर्ष राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस मौके पर विदेश मंत्री आरज़ू देउबा ने विदेश मंत्री वांग यी को नेपाल आने का निमंत्रण दिया है। बैठक के दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सागरमाथा संवाद के सफल आयोजन के लिए नेपाल सरकार को बधाई दी। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने, इसके प्रभावों को कम करने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए भविष्य में नेपाल के साथ सहयोग करने की चीन की तत्परता जताई। उन्होंने कहा कि नेपाल को चीन का समर्थन जारी रहेगा।
भारत के लिए क्या हैं मायने?
नेपाल का चीन की तरफ झुकाव भारत के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि चीन नेपाल में भारी मात्रा में निवेश करके वहां अपना दखल बढ़ाएगा। नेपाल में दखल बढ़ने के साथ में चीन नेपाली धरती को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। एक तरफ चीन पाकिस्तान को समर्थन करता है, यह बात किसी से छिपी नहीं है।
वहीं, दूसरी तरफ बांग्लादेश में भी दखल देकर भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। चीन ने इसी तरह की कोशिश मालदीव के साथ भी की थी लेकिन भारत कुटनीतिक तरीके से मालदीव को अपने पाले में करने में सफल रहा।