हाल ही में भारत ने पाकिस्तान के लिए अपने एयरस्पेस को बंद करने की घोषणा की है जो कि 30 अप्रैल से 23 मई तक लागू रहेगा। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। ऐसे में सवाल है कि पाकिस्तान के लिए भारत का एयरस्पेस बंद होने से क्या वाकई पड़ोसी देश को कोई नुकसान होगा? आइये समझें पूरी ABCD...

 

पाकिस्तान की एविएशन इंडस्ट्री वैश्विक स्तर पर 50वें स्थान पर है, जबकि भारत का एविएशन मार्केट दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। पाकिस्तान की एकमात्र प्रमुख एयरलाइन, पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA), केवल 32 विमानों के छोटे फ्लीट के साथ संचालित होती है। इसके विपरीत, भारत की इंडिगो के पास 372 विमान और एयर इंडिया के पास 200 से अधिक विमान हैं। PIA की केवल 6-8 साप्ताहिक उड़ानें, जैसे इस्लामाबाद और लाहौर से कुआलालंपुर, भारतीय एयरस्पेस का उपयोग करती हैं। ये उड़ानें अब चीन या श्रीलंका के ऊपर से लंबे रास्ते ले रही हैं, जिससे प्रति उड़ान लगभग 3 घंटे का अतिरिक्त समय जुड़ रहा है। पाकिस्तान की कम उड़ान मात्रा और सीमित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के कारण, भारत का एयरस्पेस बंद होने से उनकी एविएशन इंडस्ट्री पर बड़ा असर नहीं पड़ता।

 

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पाकिस्तान की विमानन इंडस्ट्री पहले से कमजोर

PIA पहले से ही भारी कर्ज में डूबी है और उसका परिचालन मुनाफा न के बराबर है। भारत का हवाई क्षेत्र बंद होने से एक्स्ट्रा ईंधन और चालक दल के खर्चे बढ़ेंगे लेकिन पाकिस्तान की विमानन इंडस्ट्री इतनी छोटी है कि यह नुकसान उनकी अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव नहीं डालेगा। भारत की विमानन इंडस्ट्री दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी है और पाकिस्तान द्वारा भारत के लिए हवाई क्षेत्र बंद करने से भारतीय एयरलाइंस को रोजाना करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। 

 

विदेशी एयरलाइंस पर निर्भरता

पाकिस्तान से पूर्वी दिशा से जाने वाली उड़ानें (जैसे बैंकॉक, क्वालालंपुर) ज्यादातर विदेशी एयरलाइंस एतिहाद, थाई एयरवेज, चाइना साउदर्न द्वारा संचालित होती हैं जो भारत के हवाई क्षेत्र का उपयोग कर सकती हैं क्योंकि यह प्रतिबंध केवल पाकिस्तानी विमानों पर लागू है। इससे पाकिस्तानी यात्रियों को वैकल्पिक उड़ानें मिल जाती हैं और स्थानीय एयरलाइंस पर प्रभाव कम होता है। 

 

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पाकिस्तान का पहले से भारत के हवाई क्षेत्र से परहेज

पहलगाम हमले के बाद, पाकिस्तानी विमानों ने पहले ही भारत के हवाई क्षेत्र से परहेज शुरू कर दिया था, इसलिए जब भारत ने आधिकारिक तौर पर  NOTAM (नोटिस टू एयरमेन) जारी किया, तो पाकिस्तानी एयरलाइंस पहले से ही वैकल्पिक मार्गों का उपयोग कर रही थीं। इसके कारण भी पाकिस्तान को ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा। 

 

आर्थिक और रणनीतिक स्थिति

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही संकट में है और वह इस तरह के फैसलों को रणनीतिक रूप से प्रचारित करता है ताकि घरेलू समर्थन जुटा सके। भारत का हवाई क्षेत्र बंद होने से होने वाला नुकसान (जैसे अतिरिक्त ईंधन लागत) PIA के लिए मैनेजेबल है क्योंकि उड़ानें कम हैं। इसके विपरीत, पाकिस्तान का भारत के लिए हवाई क्षेत्र बंद करना भारत को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है, क्योंकि दिल्ली, अमृतसर, लखनऊ जैसे शहरों से यूरोप, अमेरिका, और मध्य पूर्व जाने वाली सैकड़ों उड़ानें प्रभावित होती हैं। पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र बंद होने से दिल्ली से पश्चिमी गंतव्यों (यूरोप, अमेरिका, मध्य पूर्व) की उड़ानें पहले से ही लंबे रास्तों (अरब सागर के ऊपर से) का उपयोग कर रही हैं, जिससे उड़ान समय 2-2.5 घंटे बढ़ गया है।

 

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पाकिस्तान पर प्रभाव क्यों सीमित है?

भारत की तुलना में पाकिस्तान की उड़ानें और गंतव्य सीमित हैं। भारत से पश्चिमी दिशा में 800 साप्ताहिक उड़ानें प्रभावित हो रही हैं जबकि पाकिस्तान की पूर्वी दिशा में कुछ ही उड़ानें हैं। पाकिस्तान, भारत से ओवरफ्लाइट शुल्क से रोजाना लाखों डॉलर कमा रहा था। भारत का हवाई क्षेत्र बंद होने से पाकिस्तान को कोई अतिरिक्त राजस्व नुकसान नहीं होगा, क्योंकि उनकी उड़ानें पहले से ही कम हैं। पाकिस्तान इस स्थिति को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर सकता है, जैसे कि अपनी जनता को यह दिखाना कि वह भारत के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है।

 

भारत पर प्रभाव

इसके विपरीत, पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र बंद होने से भारतीय एयरलाइंस को भारी नुकसान हो रहा है। Air India को अकेले 600 मिलियन डॉलर (लगभग 5081 करोड़ रुपये) का नुकसान होने का अनुमान है अगर यह बंदी एक साल तक चलती है। दिल्ली से न्यूयॉर्क, शिकागो, लंदन जैसे गंतव्यों की उड़ानें 3-6 घंटे लंबी हो रही हैं और IndiGo ने ताशकंद और अल्माटी की उड़ानें रद्द कर दी हैं। हवाई किराए में 8-12% की वृद्धि की संभावना है और लंबे रास्तों के कारण ईंधन लागत और चालक दल के खर्चे बढ़ रहे हैं।