टैरिफ को लेकर भारत और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही भारत पर 50% टैरिफ लगा चुके हैं। इसके बाद भी लगातार टैरिफ की धमकियां दे रहे हैं। भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर भी बात चल रही है। इस बीच वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने साफ कर दिया है कि कोई भी समझौता 'जल्दबादी' या 'सिर पर बंदूक' तानकर नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि ट्रेड डील को लेकर यूरोपियन यूनियन और अमेरिका के साथ बातचीत चल रही है।
बर्लिन ग्लोबल डायलॉग में पीयूष गोयल ने कहा, 'हम जल्दबाजी में कोई समौता नहीं करते और न ही डेडलाइन तय करके या सिर पर बंदूक तानकर कोई समझौता करते हैं।' उन्होंने आगे कहा कि भारत कभी भी जल्दबाजी में या जोश में आकर फैसले नहीं लेता है।
उन्होंने यह भी साफ किया कि ट्रंप के टैरिफ से निपटने के लिए भारत नए बाजार की तलाश कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्र हित के अलावा और किसी भी आधार पर यह तय नहीं होगा कि हमारा दोस्त कौन होगा?
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ट्रेड डील पर क्या बोले पीयूष गोयल?
पीयूष गोयल ने बताया कि भारत और अमेरिका ट्रेड डील के काफी करीब है। उन्होंने यह भी बताया कि समझौते पर बातचीत आगे बढ़ रही है और नया मुद्दा बाधा नहीं बन रहा है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर मुद्दों पर सहमति बन गई है।
उन्होंने कहा कि भारत हाई टैरिफ से निपटने के लिए नए बाजारों की तलाश कर रहा है। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि भारत ने कभी राष्ट्रीय हित के अलावा किसी और आधार पर यह तय किया है कि उसके दोस्त कौन होंगे? और अगर कोई मुझसे कहता है कि आप यूरोपीय संघ के दोस्त नहीं रह सकते तो मैं इसे नहीं मानूंगा। या कोई कल मुझसे कहता है कि मैं केन्या के साथ काम नहीं कर सकता तो यह मंजूर नहीं है।'
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'भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा?'
पीयूष गोयल ने इस पर भी सवाल उठाया कि जब कई देश रूसी तेल खरीद रहे हैं तो सिर्फ भारत को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है? उन्होंने आगे कहा कि किसी देश से कुछ विशेष उत्पाद खरीदने का फैसला पूरी दुनिया को लेना होगा।
उन्होंने कहा, 'मैं आज अखबार में पढ़ रहा था कि जर्मनी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मांग रहा है। ब्रिटेन को पहले अमेरिका से तेल खरीद पर छूट मिल गई है तो फिर भारत को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है।'
पीयूष गोयल की यह टिप्पणियां ऐसे वक्त आई हैं, जब ट्रंप बार-बार भारत पर रूसी तेल न खरीदने का दबाव बना रहे हैं।
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क्या है भारत और अमेरिका की ट्रेड डील?
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर कई महीनों से बातचीत चल रही है। माना जा रहा है कि नवंबर तक दोनों के बीच समझौता हो भी जाएगा।
ट्रंप के टैरिफ के कारण दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत कुछ वक्त के लिए रुक गई थी। हालांकि, सितंबर में फिर से इस पर बातचीत शुरू हो गई है। इस ट्रेड डील का मकसद 2030 तक दोनों देशों के बीच कारोबार बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है। अभी दोनों के बीच 191 अरब डॉलर का कारोबार होता है। अमेरिका अब भी भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार है। 2024-25 में दोनों के बीच लगभग 132 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था।
हालांकि, टैरिफ की वजह से कारोबार पर असर पड़ा है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, टैरिफ के कारण सितंबर में भारत का अमेरिका को होने वाला एक्सपोर्ट 11.93% घटकर 5.46 अरब डॉलर पर आ गई। इसकी तुलना में इम्पोर्ट 11.78% बढ़कर 3.98 अरब डॉलर पर आ गया।
