मध्य पूर्व में एक और नया संकट खड़ा हो गया है। सऊदी अरब ने मंगलवार रात को यमन पर हवाई हमला किया। यह बमबारी यमन की पोर्ट सिटी मुकल्ला पर हुई। सऊदी का दावा है कि यह बमबारी संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से आ रही हथियारों की एक खेप पर की गई। हथियारों की यह खेप कथित तौर पर दक्षिणी यमन के अलगाववादी गुट सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) के लिए आ रही थी।
मुकल्ला पर सऊदी अरब की बमबारी के बाद अब नया संकट पैदा होने का खतरा है। आशंका जताई जा रही है कि इससे यमन में एक नई लड़ाई भी शुरू हो सकती है। वहीं, सऊदी की चेतावनी के बाद UAE ने यमन से अपनी सेना वापस बुलाने का एलान किया है। यमन ने भी 90 दिन की इमरजेंसी लगा दी है।
यह हमला तब हुआ है जब हाल ही में UAE के समर्थन वाले अलगाववादी गुट STC ने दक्षिणी यमन में हद्रामौत और माहरा के ज्यादातर प्रांतों पर कब्जा कर लिया है, जिसमें तेल की एक फैसिलिटी भी शामिल है।
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इस कहानी में कितने किरदार?
इस पूरे कहानी में 4 बड़े किरदार हैं। पहला- सऊदी अरब। दूसरा- संयुक्त अरब अमीरात (UAE)। तीसरा- सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC)। और चौथा- हूती विद्रोही।
कहानी की शुरुआत कैसे हुई?
दिसंबर की शुरुआत में STC ने कई हमले किए और दक्षिणी यमन के हद्रामौत और माहरा के प्रांतों पर कब्जा कर लिया। STC को UAE सपोर्ट करता है।
STC ने यमन की सबसे बड़ी तेल कंपनी पेट्रोमासिला पर भी कब्जा कर लिया। STC ने माहरा में एक बॉर्डर क्रॉसिंग पर कंट्रोल कर लिया। यह ओमान की बॉर्डर पर है। इस गुट ने अदन में प्रेसिडेंशियल पैलेस पर भी कब्जा कर लिया।
यमन सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि सऊदी सैनिक भी इस महीने की शुरुआत में अदन के बेस से हट गए थे। अधिकारी ने कहा कि यह वापसी सऊदी की 'रीपोजिशनिंग स्ट्रैटेजी' का हिस्सा थी।
यूनाइटेड अरब अमीरात के सपोर्ट वाले ग्रुप, अलगाववादी सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल, STC ने इस महीने हद्रामौत और माहरा के ज़्यादातर प्रांतों पर कब्ज़ा कर लिया, जिसमें तेल की फैसिलिटी भी शामिल हैं।
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सऊदी ने क्यों की बमबारी?
STC का दक्षिणी यमन में बड़े इलाकों पर कब्जा हो गया है। कई सरकारी इमारतें, तेल कंपनियां और बंदरगाह अब STC के नियंत्रण में आ गए हैं।
अब STC दक्षिणी यमन का ज्यादातर हिस्सा कंट्रोल करता है और पुराने दक्षिण यमन को फिर से अलग देश बनाने की बात कर रहा है।
सऊदी अरब नहीं चाहता कि STC का नियंत्रण बढ़े। उसने STC को चेतावनी दी थी। मगर जब बात नहीं बनी तो मंगलवार रात को सऊदी ने हद्रामौत में मुकल्ला पर बमबारी कर दी।
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लेकिन लड़ाई किस बात की?
इस पूरे संकट की शुरूआत होती है 2014 से, जब ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने गृह युद्ध छेड़ दिया। हूतियों ने राजधानी सना पर कब्जा कर लिया और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार को बेदखल कर दिया। हूतियों का उत्तरी दक्षिण के ज्यादातर हिस्सों पर नियंत्रण है।
यमन के इस गृहयुद्ध में सऊदी अरब और UAE भी शामिल हो गए, ताकि अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार को बहाल किया जा सके।
इसी बीच अप्रैल 2017 में STC बनी। इसे UAE ने बनाया। इसे उन गुटों के लिए एक अम्ब्रेला ऑर्गनाइजेशन के तौर पर बनाया गया था जो साउथ यमन को एक आजाद देश के तौर पर वापस लाना चाहते हैं, जैसा कि यह 1967 और 1990 के बीच था। STC के चेयरमैन ऐदारुस अल-जुबैदी हैं, जो देश की प्रेसिडेंशियल लीडरशिप काउंसिल के वाइस प्रेसिडेंट भी हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार से जुड़ी है।
हाल ही में पूरे दक्षिणी यमन में STC की पोजीशन मजबूत हुई है, जिससे उन्हें यमन संघर्ष को सुलझाने के लिए भविष्य में होने वाली किसी भी बातचीत में फायदा मिल सकता है। STC ने लंबे समय से मांग की है कि किसी भी समझौते से दक्षिणी यमन को खुद फैसला लेने का अधिकार मिलना चाहिए।
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हो क्या रहा है?
सऊदी अरब और UAE पहले साथ ही थे। दोनों हूती विद्रोहियों के खिलाफ लड़ रहे थे। मगर STC की ताकत बढ़ने के बाद अब दोनों में भी अनबन हो गई है।
UAE के समर्थन वाली STC चाहती है कि दक्षिणी यमन अलग देश बने। 1967 से 1990 तक दक्षिणी यमन अलग मुल्क ही था। मगर सऊदी अरब चाहता है कि यमन एक पूरा मुल्क रहे।
सऊदी और UAE की अनबन ने यमन को बांट दिया है। अब इससे नई लड़ाई शुरू होने का खतरा बढ़ गया है। दोनों की लड़ाई से फायदे में हूती विद्रोही हैं, क्योंकि उसके दुश्मन आपस में लड़ रहे हैं। वहीं, आम लोगों की मुश्किलें फिर से बढ़ सकती है।
