लंबे समय से हम सुनते आ रहे हैं कि ब्राउन राइस व्हाइट के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद होता है। ब्राउन राइस में फाइबर और पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है। इसमें सफेद चावल के मुकाबले ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। हालांकि नई स्टडी के मुताबिक ब्राउन राइस के फायदे से ज्यादा नुकसान है। मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी की नई स्टडी में कहा गया कि ब्राउन राइस में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा होती है जो एक हानिकारक केमिकल है। यह स्टडी Risk Analysis जर्नल में पब्लिश हुई है। 

 

स्टडी में पाया गया कि ब्राउन राइस में आर्सेनिक और इन ऑर्गेनिक आर्सेनिक की मात्रा सफेद चावल से ज्यादा होती है। ब्राउन राइस खासतौर से अमेरिका में ज्यादा खाया जाता है। ब्राउन राइस खाने से व्यस्कों के स्वास्थ्य पर कोई खास असर नहीं पड़ता है लेकिन नवजात और 5 साल की कम उम्र के बच्चों की सेहत पर प्रभाव पड़ता है।

 

ये भी पढ़ें- हेल्दी डाइट के बाद भी नहीं घट रही पेट की चर्बी, एक्सपर्ट से समझें वजह

 

क्यों चावल में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा होती है?

 

आर्सेनिक बहुत ही हानिकारक केमिकल होता है। चावल में अन्य अनाजों के तुलना में 10 गुना ज्यादा आर्सेनिक पाया जाता है क्योंकि चावल गिली मिट्टी में उगता है। मिट्टी के माध्यम से आर्सेनिक चावलों में पहुंचता है। ब्राउन राइस भले ही पोष्टिक तत्वों से भरपूर होता है लेकिन आर्सेनिक की वजह से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

 

स्टडी में शोधकर्ताओं ने पाया कि अमेरिका में उगने वाले सेफद चावल में 33% और ब्राउन राइस में 48%  ऑर्गेनिक आर्सेनिक पाया जाता है। दुनिया भर में  उगाए गए चावल में व्हाइट राइस में 53% इन ऑर्गेनिक आर्सेनिक और ब्राउन राइस में 65 % था। ऑर्गेनिक आर्सेनिक, जो आमतौर पर समुद्री खाद्य पदार्थों और अन्य खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। यह शरीर के लिए थोड़ा कम हानिकारक होता है क्योंकि यह शरीर से आसानी से बाहर निकल जाता है।

 

ये भी पढ़ें- सिर्फ कुत्तों नहीं अन्य जानवरों से भी होता है रेबीज, जानें लक्षण

 

क्या ब्राउन राइस खाना छोड़ देना चाहिए

 

शोधकर्ताओं का कहना है कि इसका यह मतलब नहीं है कि आप ब्राउन राइस खाना छोड़ दें। उसमें प्रोटीन, फाइबर, नियासिन की भरपूर मात्रा होती है। सफेद चावल के मुकाबले ब्राउन राइस में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा होती है। अगर शरीर में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए लोगों को आर्सेनिक के बारे में ज्यादा जागरूक करने की जरूरत है।