आज कल की बिजी लाइफस्टाइल में हम अनहेल्दी चीजों का सेवन ज्यादा करते हैं। अनहेल्दी चीजों को खाने से मोटापा और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ा है। बढ़े हुए वजन को कम करने के लिए कई लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं। इस प्रकिया में आप 12 से 14 घंटे तक कुछ खाते नहीं है। साथ ही अपनी डाइट में हेल्दी चीजों का सवेन करना होता है।

 

फास्टिंग यानी उपवास रखने की परपंरा हमारे धर्मों में हमेशा से रही है। ज्यादातर लोग हफ्ते में एक दिन उपवास रखते हैं। इसका फायदा आपके शरीर को मिलता है। फास्टिंग करने से सेहत अच्छी रहती है। आइए जानते हैं फास्टिंग कितने तरह की होती है और इसके क्या फायदे हैं।

 

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फास्टिंग करने के फायदे

 

ब्लड शुगर मेंटेन रहता है- कई अध्ययनों में पाया गया कि फास्टिंग करने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है जिसकी वजह से डायबिटीज का खतरा कम होता है। 2022 और 2023 की स्टडी में पाया गया कि फास्टिंग करने से टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क कम होता है।

 

सूजन को कम करता है- प्राकृतिक रूप से शरीर के संक्रमणों से लड़ता है और सूजन को दूर करता है। स्टडी में पाया गया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से C रिएक्टिव प्रोटीन का लेवल कम हो जाता है जिसकी वजह से  सूजन कम होने में मदद मिलती है। अध्य्यन में निष्कर्ष निकाला गया कि अगर आप एक साल तक इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं तो इन्फ्लेमेशन का लेवल कम हो सकता है और हृदय संबंधी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है।

 

हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है- हार्ट की बीमारी से सबसे ज्यादा मौतें होती है। इसलिए आप हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल फॉलो करें जो हृदय संबंधी बीमारियों के खतरे को कम करता है। हफ्ते में एक दिन फास्टिंग करने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित रखने में मदद करता है।

 

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वजन कम करने में मदद करता है- कैलोरी इनटेक को कम करने से वजन घटाने में मदद मिलती है और मेटाबॉल्जिम बूस्ट होता है। 2015 की स्टडी में पाया गया कि पूरे दिन फास्टिंग करने से बॉडी वेट 9 % तक कम हो सकता है और 12 से 24 हफ्ते में शरीर से फैट कम होने लगता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग कैलोरी कट काउंट से ज्यादा फायदेमंद होती है।

 

कैंसर की रोकथाम और कीमोथेरपी को प्रभावशाली बनाता है- अमेरिकन कैंसर सोसाइटी जर्नल में प्रकाशित एक समीक्षा में कहा गया था कि इंटरमिटेंट फास्टिंग कैंसर के इलाज और रोकथाम में मदद करता है। ये कुछ लोगों में ट्यूमर के सेल्स को रोकने में मदद करता है। कुछ हाई क्वालिटी क्लीनिकल ट्रायल में कैंसर के इलाज के दौरान इंटरमिटेंट फास्टिंग करने के लिए कहा जाता है। कुछ स्थितियों और कैंसर के प्रकारों में फास्टिंग का निगेटिव प्रभाव देखने को मिलता है।

 

कितनी तरह की फास्टिंग होती है

 

फास्टिंग के कई तरीके हैं जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। इनमें मुख्य रूप से समय-सीमित भोजन, इंटरमिटेंट कैलोरी रिस्ट्रिक्शन, और पीरियोडिक फास्टिंग शामिल हैं।

 

1. समय-सीमित भोजन (Time-Restricted Feeding)- यह विधि खाने की अवधि को 8 से 12 घंटे तक सीमित करने पर आधारित है, जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म नेचुरल सर्कैडियन रिदम के अनुरूप बना रहता है। उदाहरण के लिए, सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खाना और शेष समय उपवास रखने से शरीर को मरम्मत (repair) का पर्याप्त समय मिलता है।

 

2. इंटरमिटेंटे कैलोरी प्रतिबंध (Intermittent Calorie Restriction)- इसमें सप्ताह में दो दिन कैलोरी की मात्रा आधी कर दी जाती है और कार्बोहाइड्रेट का सेवन सीमित किया जाता है। 

 

3. पीरयोडिक फास्टिंग (Periodic Fasting with Fasting Mimicking Diets)- इसमें आपको 3 से 5 दिन में सिर्फ 1000 कैलोरी लेनी है जिससे शरीर कीटोसिस में प्रवेश करता है और प्राकृतिक शुद्धिकरण प्रक्रिया (detox) शुरू होती है। 

फास्टिंग कुछ लोगों के लिए नुकसादायक भी हो सकती है। किसी भी तरह की प्रकिया को अपनाने से पहले अपनी डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

 

Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।