कांग्रेस एक के बाद एक राज्यों के विधानसभा चुनाव हारते जा रही है। चुनाव हारने के साथ ही पार्टी इन राज्यों में कमजोर हो रही है। ताजा उदाहरण बिहार और महाराष्ट्र हैं, जहां देश की सबसे पुरानी पार्टी इतने भी विधायक नहीं जीत पाई कि वह राज्यसभा में अपना एक सांसद बनवा सके। हालिया बिहार चुनाव में कांग्रेस 61 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे लेकिन वह मात्र 6 ही सीटें जीत सकी। अब हारने के बाद पार्टी समीक्षा बैठके करके हार के कारणों का पता लगा रही है। नेता एक दूसरे पर और सहयोगियों पर आरोप-प्रत्यारोप मढ़ रहे हैं। साथ ही इन समीक्षा बैठकों में SIR और चनाव आयोग की कार्यशाली पर भी सवाल उठा रहे हैं। इन सबके बीच में कांग्रेस एक और परेशानी से गुजर रही है। यह वो परेशानी है, जिसे पार्टी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भुगत चुकी है। इस परेशानी की वजह से कांग्रेस इन तीनों राज्यों में अपनी सीटिंग सरकार तक गंवा चुकी है और पार्टी को सीटों से समझौता करना पड़ा है।

 

दरअसल, कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। यहां के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हैं और डीके शिवकुमार उप मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे हैं। मगर, दोनों नेताओं के बीच 'मुख्यमंत्री पद' के लिए सियासी खींचतान चल रही है। 2.5 साल के फॉर्मूले के तहत सिद्धारमैया मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। अब डीके शिवकुमार चाहते हैं कि वह कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनें। इसी बात को लेकर दोनों नेता शह और मात का खेल, खेल रहे हैं। यह बिल्कुल वैसा ही है, जो राजस्थान में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल बनाम टीएस सिंहदेव और मध्य प्रदेश में कमलनाथ बनाम ज्योतिरादित्य सिंधिया हो चुका है। इन तीनों की राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं, लेकिन इन नेताओं की आपसी खिंचतान की वजह से कांग्रेस को भारी खामयाजा भुगतना पड़ा।

 

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खैर, एक तरफ कांग्रेस बिहार की हार और कर्नाटक की आग बुझा रही है तो वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी तमिलनाडु, असम और पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर सक्रिय हो गई है। बीजेपी तमिलनाडु-बंगाल में अपने मुद्दों को लेकर सत्तारूढ़ दलों के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी है, असम में सत्ता दोहराने के लिए प्रयास कर रही है। ऐसे में आइए जानते हैं कि दोनों राष्टीय पार्टियां वर्तमान में क्या कर रही हैं...

कांग्रेस में बिहार हार को लेकर हो रही बैठकें

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन (RJD, कांग्रेस और अन्य) को एनडीए के हाथों करारी हार मिली है। कांग्रेस ने 61 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 6-19 सीटें ही हासिल कीं। कांग्रेस 2020 के चुनाव में 70 सीटों पर लड़कर 19 सीटें जीती थी। इस हार के बाद कांग्रेस ने तुरंत आत्ममंथन शुरू कर दिया। कांग्रेस ने कई स्तरों पर समीक्षा बैठकें आयोजित की हैं। इन बैठकों में हार के कारणों का विश्लेषण, संगठनात्मक कमजोरियों पर चर्चा और भविष्य की रणनीति तय की जा रही है।

 

कांग्रेस विभिन्न स्तरों पर ये बैठकें दिल्ली, पटना और जिला स्तर पर कर रही है। 6 विधायकों पर सिमटी कांग्रेस हार के लिए कई कारणों में से अपने गठबंधन के साथियों को मान रही है। इसमें कहा गया है कि बिहार में पार्टी को गठबंधन से नुकसान पहुंचा है। कांग्रेस का कहना है कि आरजेडी के साथ सीट बंटवारे में असंतुलन, टिकट वितरण में देरी कारण बताया है। कांग्रेस के कई उम्मीदवारों ने आरजेडी को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जिससे महागठबंधन से अलग होने की चर्चा तेज हो गई।

 

 

इसके अलावा इन बैठकों में चुनावी अनियमितताओं की बात भी उठाई गई है। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव से एन वक्त पहले महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपये डालकर वोट खरीद गए हैं। SIR प्रक्रिया में लोगों के वोट डिलीट किए गए हैं। इसमें ये बात भी उठाई गई है कि बिहार में पार्टी संगठन के स्तर पर कमजोर रही, जिससे पार्टी की परफॉर्मेंस पर असर पड़ा।

कर्नाटक का मुख्यमंत्री कौन? हुई माथापच्ची...

कर्नाटक का मुख्यमंत्री कौन होगा? इसे लेकर सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच खींचतान चल रही हैहालांकि, दोनों ओर से अलग-अलग दावे किए जा रहे हैंसिद्धारमैया दावा कर रहे हैं कि वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगेवहीं, डीके शिवकुमार दावा कर रहे हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद नहीं मांगा हैहालांकि, शिवकुमार ने हाल ही में 'सीक्रेट डील' का जिक्र कर कन्फ्यूजन भी बढ़ा दियाइस पूरी तनातनी के बीच सिद्धारमैया ने शिवकुमार को नाश्ते पर बुलायादोनों के बीच टेबल पर मीटिंग हुईयह मीटिंग कांग्रेस हाईकमान के कहने पर हुई

 

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इसी बीच उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को अपने बेंगलुरु स्थित आवास पर मंगलवार को ब्रेकफास्ट मीटिंग के लिए आमंत्रित किया हैमगर, उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के घर पर मंगलवार को होने वाली ब्रेकफास्ट मीटिंग के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गोल-मोल जवाब दियाउनका कहा है कि उन्हें डीके की तरफ से अभी तक फोन नहीं आया है, जबकि फोन आने पर वह जरूर जाएंगे

 

इन घटनाक्रमों की वजह से कांग्रेस की छवि जनता के बीच लगातार गिर रही हैलोगों को लग रहा है कि कहीं राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बाद वही कहानी कर्नाटक में ना दोहराई जाएऐसी स्थिती में कर्नाटक के वोटरों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ रहा हैहालांकि, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी स्थिती पर नजर बनाए हुए हैं, लेकिन इन सबके बीच सिद्धारमैया और शिवकुमार लगातार मीडिया में बयान दे रहे हैंइन बयानबाजियों का फायदा विपक्षी दल बीजेपी उठाने से नहीं चूक रही है

तमिलनाडु-बंगाल में जमीन तलाश रही बीजेपी

वहीं, बीजेपी तमिलनाडु में जमीन तलाश रही है। दक्षिण भारतीय राज्य में अगले साल यानी 2026 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। भगवा पार्टी लगातार सत्तारूढ़ डीएमके और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के ऊपर हमले करते हुए घेर रही है। साथ ही राज्य में अपनी जमीन मजबूत करने के लिए अन्य संभावनाएं भी तलाश रही है। दरअसल, तमिलनाडु में लोकसभा की 40 सीटें हैं। बीजेपी, सुपरस्टार अभिनेता से नेता बने थलापति विजय और AIADMK के सहारे तमिलनाडु में जगह बनाने की कोशिश कर रही है।

 

बीजेपी ने यही तरीका अपनाकर और छोटे-छोटे सहयोगियों को साथ लेकर साल 2021 में पुडुचेरी में सरकार बनाई थी। पुडुचेरी के क्षेत्रीय नेता की मदद से सरकार बनाई थी। उस समय पुडुचेरी विधानसभा चुनावों में बीजेपी की सरकार बनाने में मुख्य रूप से ऑल इंडिया एन.आर. कांग्रेस ने मदद की थी। AINRC के नेता एन. रंगास्वामी को मुख्यमंत्री बनाया गया, जबकि बीजेपी ने सहयोगी भूमिका निभाई।

 

 

बता दें कि विजय तमिलनाडु में कई बड़ी रैलियां करके अपनी शक्ति दिखा चुके हैं। उनकी रैलियों में लाखों की संख्या में जनता आ रही है। वो अपनी ही स्टाइल में लोगों को राज्य के मुद्दे समझा रहे हैं। विजय ने अपने आखिरी भाषण में बीजेपी को निशाने पर नहीं रखा थादरअसल, बीजेपी तमिलनाडु में विजय और AIADMK के सहारे विधानसभा और 2029 के लोगसभा चुनावों को देख रही है। पार्टी इसी के हिसाब से राज्य में अपनी तैयारी को धार दे रही है।

पश्चिम बंगाल में बीजेपी का प्लान

पश्चिम बंगाल में बीजेपी तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पार्टी नेता अभी से राजधानी कोलकाता से लेकर जिलों में डेरा डाल चुके हैं। बीजेपी पश्चिम बंगाल को लेकर कितनी गंभीर है, इसको इसी बात से समझा जा सकता है कि बिहार विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने के बाद उसी दिन बीजेपी ने कहा कि अब उसका अगला टारगेट पश्चिम बंगाल है।

 

बीजेपी पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों, भ्रष्टाचार, हिंदूत्व और टीएमसी को मुस्लिम परस्त बयान देकर अपने पक्ष में माहौल बना रही है।