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पराली जलाने की घटना में 90 फीसदी गिरावट फिर भी दिल्ली की हवा इतनी जहरीली कैसे?

केंद्र सरकार ने बताया है कि पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 90 प्रतिशत कमी आई है। पराली को लेकर सरकार ने कई नियम भी बनाए हैं।

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पराली जलाता हुआ किसान । Photo Credit: PTI

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केंद्र सरकार ने संसद को बताया है कि साल 2025 के धान कटाई के मौसम में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 2022 की तुलना में पूरे 90 प्रतिशत तक कम हो गई हैं। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पराली जलाना सर्दियों में दिल्ली की हवा खराब करने का कई कारणों में से सिर्फ एक कारण है, लेकिन वाहनों का धुआं, फैक्टरियों का प्रदूषण, कॉन्स्ट्रक्शन से उठने वाली धूल, कचरा जलाना और मौसम की खराब स्थिति भी प्रदूषण के लिए बराबर जिम्मेदार हैं।

 

उन्होंने कहा कि हालांकि खेतों में जलाई जाने वाली आग की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के लोग अभी भी जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। रविवार को कुछ राहत के बाद सोमवार को फिर एक्यूआई 300 के पार चला गया और शहर पर घना स्मॉग छा गया।

 

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आठ सालों में बेहतर रहा

साल 2025 में दिल्ली में हवा की गुणवत्ता पिछले आठ सालों में सबसे बेहतर रही है। इस साल 'अच्छी' या 'संतोषजनक' हवा वाले दिन 200 तक पहुंच गए, जो 2016 में सिर्फ 110 थे। वहीं 'बेहद खराब' और 'गंभीर' श्रेणी के दिन 2024 के 71 से घटकर 2025 में सिर्फ 50 रह गए।

 

अगर पिछले दस सालों की बात करें तो साल में 2015 में 153 दिन, 2016 में 123 दिन, 2017 में लगभग 120 दिन, 2018 में 116 दिन, 2019 में 108 दिन, 2020 में 95 दिन, 2021 में 105 दिन, 2022 में 99 दिन, 2023 में 101 दिन और 2024 में करीब 105 दिन तक हवा की क्वॉलिटी काफी खराब रही।


सरकार ने पराली जलाने में इतनी बड़ी कमी के लिए कई कदमों को श्रेय दिया है, जैसे- किसानों को 2.6 लाख से ज्यादा फसलों के बचे हुए भाग के प्रबंधन (सीआरएम) के लिए मशीनें बांटी गईं, यहां तक कि छोटे किसानों को ये मशीनें मुफ्त में दी जा रही हैं, ईंट भट्टों में धान की पराली से बने छर्रे (पेलेट्स) इस्तेमाल करना अनिवार्य किया गया है और पराली जलाने पर रोक न लगा पाने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो रही है।

पराली के पलेट्स इस्तेमाल करना होगा

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को आदेश दिया है कि एनसीआर के बाहर के सभी ईंट भट्टों में भी पराली के पेलेट्स या ब्रिकेट जरूर इस्तेमाल हों। इससे पराली की बड़ी मांग पैदा होगी और किसानों को जलाने की बजाय बेचने का फायदा मिलेगा। इस मौसम में पराली जलाने की निगरानी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 31 फ्लाइंग स्क्वॉड टीमें पंजाब-हरियाणा के हॉटस्पॉट इलाकों में तैनात की गई हैं।

 

सरकार ने बताया कि सर्दियों से पहले प्रदूषण रोकने के लिए ऊंचे स्तर की नियमित समीक्षा बैठकें हो रही हैं। इस बीच विपक्ष दिल्ली की जहरीली हवा पर हमलावर है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को सदन में प्रदूषण पर विस्तार से चर्चा की मांग की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया। उन्होंने इसे 'स्वास्थ्य आपातकाल' बताया।

 

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राहुल गांधी ने उठाया सवाल

राहुल गांधी ने अपने घर पर कई महिलाओं से प्रदूषण के असर पर बातचीत की और उसका वीडियो एक्स (ट्विटर) पर डाला। उन्होंने लिखा, 'हर मां यही कहती है कि उनका बच्चा जहरीली हवा में बड़ा हो रहा है। मांएं थक गई हैं, डरी हुई हैं और गुस्से में हैं। मोदी जी, देश के बच्चों का हमारे सामने दम घुट रहा हैं। आप चुप कैसे रह सकते हैं? आपकी सरकार में न कोई त्वरित योजना है, न जवाबदेही।'

 


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