बिहार के बाद अब स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) की प्रक्रिया पूरे देश में होने जा रही है। चुनाव आयोग ने इसका प्लान तैयार कर लिया है। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते 10-15 राज्यों में SIR की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। 


न्यूज एजेंसी PTI की खबर के मुताबिक, चुनाव आयोग देशभर में SIR का पहला फेज अगले हफ्ते से शुरू कर सकता है। इसकी शुरुआत 10-15 राज्यों से होगी, जिनमें वे राज्य भी होंगे जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। अधिकारियों ने बताया कि चुनाव आयोग अगले हफ्ते SIR के पहले फेज की घोषणा कर सकता है, जिसमें 10 से 15 राज्य शामिल होंगे।


अगले साल असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में चुनाव होने हैं। ये उन राज्यों में शामिल हैं, जहां वोटर लिस्ट की सफाई का काम सबसे पहले शुरू किया जाएगा। 

 

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क्या है चुनाव आयोग का प्लान?

बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग ने पहले ही कई राज्यों के मुख्य चुनाव आयुक्तों (CEO) के साथ दो बैठकें कर चुका है। इन बैठकों में SIR को लेकर चर्चा की गई थी।


इन बैठकों के बाद कई राज्यों के CEO ने आखिरी SIR के बाद जारी हुई वोटर लिस्ट को अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है। दिल्ली के CEO की वेबसाइट पर 2008 की वोटर लिस्ट है, जब यहां आखिरी बार SIR की प्रक्रिया हुई थी। उत्तराखंड में आखिरी बार 2008 में SIR की प्रक्रिया हुई थी। इसकी वोटर लिस्ट भी वेबसाइट पर डाल दी गई है। 


बताया जा रहा है कि बिहार में जिस तरह से SIR की प्रक्रिया की गई थी, उसी तरह से बाकी राज्यों में भी होगी। जैसे बिहार में चुनाव आयोग ने 2003 की वोटर लिस्ट का इस्तेमाल SIR के लिए किया था। उसी तरह से बाकी राज्यों के लिए कट ऑफ होगा। ज्यादातर राज्यों में आखिरी बार 2002 से 2004 के बीच SIR की प्रक्रिया हुई थी।

इन राज्यों में नहीं होगी SIR

PTI ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि अभी चुनाव आयोग उन राज्यों में SIR का काम नहीं करेगा, जहां स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं या होने वाले हैं। 


ऐसा इसलिए क्योंकि इन राज्यों में चुनावी मशीनरी पहले ही व्यस्त है और SIR का काम नहीं कर पाएगी। ऐसे राज्यों में SIR की प्रक्रिया बाद के फेज में की जाएगी।

 

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इसका मकसद क्या है?

SIR इसलिए किया जाएगा, ताकि अवैध वोटरों को लिस्ट से बाहर निकाला जा सके। अभी वोटर लिस्ट में बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनका नाम दूसरे क्षेत्र में भी रजिस्टर्ड हैं। ऐसे में वोटरों की डुप्लीकेसी को भी SIR के जरिए खत्म किया जाएगा।


वोटर लिस्ट की SIR का मकसद अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान करके उन्हें बाहर निकालना है। यह कदम बांग्लादेश और म्यांमार जैसे मुल्कों से अवैध नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई के मद्देनजर काफी अहम है।

बिहार में कैसे हुई SIR?

बिहार में आखिरी बार 2003 में SIR की प्रक्रिया हुई थी। बिहार में SIR की प्रक्रिया 24 जून से 25 जुलाई तक चली थी। इसके बाद 1 अगस्त को इसका ड्राफ्ट आया था और अब 30 सितंबर को फाइनल लिस्ट आई है।


SIR से पहले बिहार में 7.89 करोड़ वोटर्स थे। 1 अगस्त को ड्राफ्ट लिस्ट में कुल 7.24 करोड़ वोटर्स के नाम थे। 65 लाख के नाम काट दिए थे। 


इसके बाद 30 सितंबर को आई लिस्ट में 7.42 करोड़ वोटर्स के नाम हैं। 21.53 लाख वोटर्स के नाम जुड़े हैं लेकिन साथ ही साथ 3.66 लाख के नाम भी काटे गए हैं। लिहाजा कुल 17.87 लाख वोटर्स बढ़ गए। ये वे लोग थे जिनका पता बदल गया था या मौत हो गई थी या इनके नाम दो जगह मिले थे।