भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा 23 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने निलंबित की थी। उसे जमानत दिया गया था। वह एक और मामले में दोषी है, इसलिए जेल से बाहर नहीं आ पाएगा। नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार मामले में साल 2019 में उसके खिलाफ अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत मिलने के बाद पीड़िता ने चीख-चीखकर कहा है कि दोषी को बचाने की कोशिश हो रही है।
पीड़िता के बयान से विपक्ष और सामाजिक संगठन सहमत नजर आए हैं। बलात्कार के दोषी कुलदीप सेंगर की जमानत का देशभर में विरोध हो रहा है। यूपी की सियासत में मजबूत धाक जमाने वाले नेता खुलकर कुलदीप सिंह सेंगर के समर्थन में आ गए हैं। इनमें से एक नाम बृजभूषण शरण सिंह का भी है।
पीड़िता और विपक्ष के नेताओं ने 23 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन की बेंच के फैसले पर भी सवाल उठाए हैं। लोगों का कहना है कि कुलदीप सिंह सेंगर बलात्कार का दोषी है, पीड़िता के पिता की मौत की रंजिश में शामिल है, पीड़िता को प्रताड़ित कर चुका है फिर किस वजह से उस पर अदालत ने यह मेहरबानी दिखाई है। बीजेपी सरकार भी सवालों के घेरे में है। कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं।
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उन्नाव की रेप पीड़िता:-
कुलदीप सिंह सेंगर पर जब फैसला आया तो मुझे लगा जान दे दूं। जज साहब कुर्सी पर बैठे तक नहीं। हमारी बात तक नहीं सुनी। खड़े-खड़े फैसला सुना दिया, क्योंकि बिक चुके हैं।
सेंगर के समर्थन में क्यों हैं नेता?
कुलदीप सिंह सेंगर का खुलकर समर्थन करने वाले नेताओं में बृजभूषण शरण सिंह, सबसे बड़े नाम हैं। बीजेपी सांसद साक्षी महाराज भी सेंगर कासमर्थन कर चुके हैं। बृजभूषण शरण सिंह, भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे हैं। वह कैसरगंज लोकसभा सीट से पूर्व विधायक हैं, भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। वह बीजेपी विधायक प्रतीक भूषण और सांसद करण भूषण के पिता हैं। उनकी पकड़, गोंडा, अयोध्या और बलरामपुर जैसे जिलों में भी है। वह खुलकर कुलदीप सिंह सेंगर को समर्थन दे रहे हैं।
बृजभूषण शरण सिंह:-
सजा किसने दी? कोर्ट ने। निलंबित किसने किया? कोर्ट ने। जब सजा दी गई तो आपको अच्छा लगा और जब उसी कोर्ट ने सजा निलंबित कर दी तो प्रश्न कहां बनता है? क्या आप चाहते हैं कि किसी को जिंदा कच्ची फांसी दे दी जाए? यह देश भावनाओं या नैतिकता की दुहाई से नहीं बल्कि कानून से चलता है।
बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, 'कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत मिली है। मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं। उनके साथ षड्यंत्र हुआ था। उनके साथ षड्यंत्र हुआ था। जैसे मेरे साथ विश्वव्यापी षड्यंत्र हुआ था। मेरे साथ इतनी जनता खड़ी हो गई, मैं उस षड्यंत्र से बाहर निकल गया। वह षड्यंत्र से बाहर नहीं निकल पाए। मैं बड़े जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि उनके साथ षड्यंत्र हुआ था, वे षड्यंत्रकारी आज भी षड्यंत्र कर रहे हैं। वह कहीं से प्रेरित है। कोर्ट ने जमानत दिया है, कोर्ट का सम्मान करना चाहिए। वह जेल में थे तो उनके परिवार ने धरना प्रदर्शन नहीं किया। यह देश धरना प्रदर्शन से नहीं चलेगा।'|
बृजभूषण तो खुलकर समर्थन में आए हैं। साक्षी महाराज भी कुलदीप सेंगर के पुराने दोस्त रहे हैं। जब साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें जीत मिली थी तो वह जेल में मुलाकात करने भी गए थे। इंडिया टुडे की 1 अगस्त 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक साक्षी महाराज ने मुलाकात के बाद कहा था कि कुलदीप सेंगर लंबे समय से जेल में बंद हैं। सेंगर सबसे लोकप्रिय सांसदों में से एक हैं, इसलिए मैं चुनाव के बाद उन्हें धन्यवाद देने आया हूं।
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ओम प्रकाश राजभार, योगी सरकार में मंत्री हैं। वह सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख हैं। कुलदीप सेंगर के खिलाफ केस निलंबित होने से जुड़ा एक सवाल किया गया तो जवाब में ओम प्रकाश राजभर ने पीड़िता का ही मजाक बना दिया। इंडिया गेट पर फैसले के बाद पीड़िता प्रदर्शन कर रही थी। पुलिस ने वहां से हटा दिया। जब इस पर टिप्पणी करने के लिए मीडिया ने उनसे कहा तो ओम प्रकाश राजभर ने कहा, 'घर तो उनका उन्नाव में है।' वह ठहाके मारकर हंसने भी लगे।
ओम प्रकाश राजभर:-
कोर्ट ने कहा है कि कुलदीप सिंह सेंगर पीड़ित परिवार से कम से कम 5 किलोमीटर दूर रहेंगे। दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने परिवार से कहा कि अगर कोर्ट ने यह व्यवस्था की है, तो वे असुरक्षित कैसे हो सकते हैं?
कुलदीप सिंह सेंगर को समर्थन क्यों दे रहे नेता?
बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। उन्हें यौन उत्पीड़न मामले में राहत मिल चुकी है। वह खुद से तुलना करते हुए बार-बार कह रहे हैं कि कुलदीप सेंगर राजनीतिक साजिश के शिकार हैं। राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि कुलदीप सिंह सेंगर, क्षत्रिय समुदाय के प्रभावशाली नेता हैं। उन्नाव-आसपास के क्षेत्र में जातीय वोट बैंक हावी है। बृजभूषण शरण खुद उसी समुदाय से आते हैं। साक्षी महाराज, उन्नाव से सांसद हैं। उन्नाव में सेंगर इतने मजबूत हैं कि साक्षी महाराज जेल में जाकर उसे शुक्रिया कह चुके हैं। यूपी में ठाकुरों का वर्चस्व रहा है। राजपूत वोटर करीब 7 फीसदी हैं लेकिन संख्या में कम होने के बाद भी यह समाज निर्णायक समर्थन वाला समाज है। यूपी की सियासत में इस समुदाय का कद इसी हिसाब से समझ सकते हैं कि यूपी के 5 मुख्यमंत्री और देश के 2 प्रधानमंत्री इसी समुदाय से रहे हैं।
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विपक्ष क्या कह रहा है?
सुप्रिया श्रीनेत, प्रवक्ता, कांग्रेस:-
अव्वल तो अधिकांश लोगों ने कुलदीप सिंह सेंगर को बेल मिलने पर शो नहीं किए। जो थोड़े बहुत शो हुए उसमें BJP ने प्रवक्ता नहीं भेजे। क्या आज एक दिन BJP उन्नाव पीड़िता के साथ, कुलदीप सेंगर के खिलाफ नहीं खड़ी हो सकती थी? हर बार की यही कहानी क्यों है?
AAP ने कहा, 'BJP के बलात्कारी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के समर्थन में बीजेपी के तमाम नेताओं के बाद अब बृज भूषण सिंह उतर आए हैं। जिस सेंगर ने उन्नाव की बेटी का बलात्कार किया, उसके पूरे परिवार को तबाह कर दिया, उस बलात्कारी सेंगर के समर्थन में पूरी बीजेपी उतर आई है। दरअसल यही BJP का असली चेहरा और चरित्र है।'
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह:-
कुलदीप सेंगर के मकान पर बुलडोजर चलना चाहिए था। तजुर्बे से कह रहा हूं, वह दोषी नहीं महादोषी हैं। एक नहीं, हजार सबूत हैं। अगर MLA पोजिशन ऑफ ट्रस्ट नहीं तो तनख्वाह किस सरकारी खजाने से ले रहा था।
क्या रिहा हो जाएंगे कुलदीप सिंह सेंगर?
कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ CBI सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट की याचिका को चुनौती दी है। CBI ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दायर की है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत क्यों दी है?
दिल्ली हाई कोर्ट ने कुलदीप को जमानत इस आधार पर दिया है कि उन्होंने POCSO ऐक्ट की धारा 4 के तहत तय न्यूनतम सजा पहले ही पूरी कर ली है। आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। 30 नवंबर 2025 तक कुलदीप सिंह सेंगर करीब 7 साल और 5 महीने जेल में रहे हैं, यह POCSO ऐक्ट की धारा 4 के तहत न्यूनतम सजा से यह ज्यादा है।
हाई कोर्ट का फैसला क्या है?
दिसंबर 2019 में उन्नाव बलात्कार मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की एक अदालत ने आईपीसी की धारा 376(2)(b) और पॉक्सो एक्ट की धारा 5(c) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी। ये धाराएं तब लगती हैं, जब कोई लोक सेवक बलात्कार करता है, जिसमें न्यूनतम सजा 10 वर्ष और अधिकतम आजीवन कारावास है, जबकि सामान्य नागरिक के लिए न्यूनतम सजा 7 वर्ष होती है।
मामला दिल्ली हाई कोर्ट में था। कोर्ट के सामने यह तथ्य रखा गया कि क्या विधायक कुलदीप सेंगर को लोक सेवक माना जा सकता है। सेंगर के वकीलों ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि आईपीसी के तहत विधायक लोक सेवक नहीं होते। ट्रायल कोर्ट ने 1997 के एक सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का देकर उन्हें लोक सेवक माना था। हाई कोर्ट ने सेंगर के पक्ष में सहमति जताई और कहा कि पॉक्सो एक्ट पर भ्रष्टाचार निवारण कानून की लोक सेवक की परिभाषा लागू नहीं होती। हालांकि, कोर्ट ने इसे प्रथम दृष्टया टिप्पणी बताया और अंतिम अपील में सजा की मात्रा पर विचार करने की बात कही।
कोर्ट ने यह भी जिक्र किया कि पॉक्सो के सामान्य प्रावधान में न्यूनतम सजा 7 वर्ष है और सेंगर पहले से 7 वर्ष 5 महीने जेल में हैं। पीड़िता के वकील ने इसका विरोध किया लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलों पर सहमति नहीं जताई। कुलदीप सेंगर की सजा रेप के मामले में निलंबित हुई है, पीड़िता की पिता की हिरासत में मौत के मामले में भी उसे 10 साल की सजा मिली है।
कुलदीप सेंगर वाले फैसले पर वकील क्या कह रहे हैं?
स्निग्धा त्रिपाठी, अधिवक्ता, दिल्ली हाई कोर्ट:-
ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को लोक सेवक मान लिया था। सुप्रीम कोर्ट साफ कह चुका है कि विधायक लोक सेवक नहीं है। ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की 1997 वाली रूलिंग पर ज्यादा जोर दिया कि भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम में विधायक को लोक सेवक मान सकते हैं। कुलदीप सेंगर के वकीलों का तर्क है जब वह लोक सेवक नहीं हैं तो लोक सेवकों का कानून उन पर क्यों लागू हो रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर सहमति जताई और कहा कि पॉक्सो कानून पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट' के हिसाब से लोक सेवक की परिभाषा फिट नहीं बैठ रही है।
एक नजर, उन्नाव रेप केस पर
उन्नाव रेप केस साल 2017 में सामने आया। पीड़िता, तब नाबालिग थी, वह नौकरी मांगने कुलदीप सेंगर के घर गई थी। यहीं उसके साथ रेप हुआ था। पीड़िता ने सेंगर के खिलाफ FIR की,शुरुआत में कुलदीप सिंह सेंगर का नाम शामिल करने इनकार किया। 2018 में पीड़िता के पिता की कस्टडी में मौत हो गई। इसी मामले में ही वह दोषी है। पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया, जिसके बाद मामला सुर्खियों में आया।
सीबीआई जांच हुई, कुलदीप सेंगर सहित कई लोग गिरफ्तार हुए। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित मामले दिल्ली ट्रांसफर किए। उसी साल एक सड़क दुर्घटना में पीड़िता घायल हुई और उसके दो रिश्तेदारों की मौत हुई थी। दिसंबर 2019 में दिल्ली की अदालत ने सेंगर को बलात्कार के लिए आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
23 दिसंबर 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की अपील लंबित रहने तक उनकी सजा निलंबित कर सशर्त जमानत दे दी। शर्त यह कि पीड़िता के घर से 5 किमी दूर रहना रहेंगे, उसे धमकी नहीं देंगे। पीड़िता के पिता की हिरासत मौत मामले में अलग सजा चल रही है, इसलिए कुलदीप सिंह सेंगर जेल में ही रहेगा। इस फैसले के खिलाफ पीड़िता, सीबीआई और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। अब CBI ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी है।
