बीजेपी से निकाले गए पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ CBI सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करने और जमानत देने का आदेश दिया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि CBI ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दायर की है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को 2017 के उन्नाव रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे सेंगर की सजा को यह कहते हुए सस्पेंड कर दिया कि वह पहले ही सात साल और पांच महीने जेल में बिता चुका है।
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CBI ने क्या बताया?
CBI के प्रवक्ता ने कहा, 'इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर की गई है, जिसने उन्नाव रेप केस में कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को सस्पेंड कर दिया था और उसे जमानत दे दी थी।'
उन्होंने बताया कि कुलदीप सेंगर को दिसंबर 2019 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
उन्होंने कहा, 'कुलदीप सेंगर ने जनवरी 2020 में दिल्ली हाई कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। मार्च 2022 में सजा सस्पेंड करने के लिए एक याचिका दायर की थी। इस याचिका का CBI और पीड़ित ने अपने वकीलों के जरिए जोरदार विरोध किया था।'
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सजा सस्पेंड लेकिन जेल में ही रहेगा सेंगर
23 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन की बेंच ने कुलदीप सिंह सेंगर की याचिका पर फैसला सुनाया था।
बेंच ने कहा था कि POCSO ऐक्ट की धारा 4 के तहत तय न्यूनतम सजा पहले ही पूरी कर ली है। हाई कोर्ट ने कहा, 'आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। 30 नवंबर 2025 तक वह लगभग 7 साल और 5 महीने जेल में बिता चुका है जो POCSO ऐक्ट की धारा 4 के तहत न्यूनतम सजा से ज्यादा है।'
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने उसकी सजा को निलंबित करते हुए जमानत दे दी थी। साथ ही कुछ शर्तें भी लगाई थीं। हाई कोर्ट ने उसे 15 लाख रुपये का बॉन्ड जमा करने को कहा है। साथ ही यह भी आदेश दिया है कि वह पीड़िता के घर के 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं आएगा।
हालांकि, कुलदीप सेंगर अभी जेल में ही रहेगा। क्योंकि रेप केस में सजा सस्पेंड हुई है और जमानत मिली है। पीड़िता की पिता की कस्टडी में मौत के मामले में भी उसे 10 साल की सजा मिली है।