प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को 'रायसीना डायलॉग' का उद्घाटन करेंगे। 17 से 19 मार्च तक चलने वाले रायसीना डायलॉग में जियोपॉलिटिक्स और जियोइकोनॉमिक्स पर चर्चा होगी। 


रायसीना डायलॉग का यह 10वां एडिशन है। इसकी शुरुआत 2016 में हुई थी। रायसीना डायलॉग का आयोजन विदेश मंत्रालय और थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) मिलकर करते हैं। इसमें दुनिया के सैकड़ों देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

 

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125 देशों के 3,500 प्रतिनिधि होंगे शामिल

विदेश मंत्रालय ने बताया कि रायसीना डायलॉग में इस बार 125 देशों के 3,500 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल होंगे। इनमें मंत्री, पूर्व राष्ट्रप्रमुख, राष्ट्रप्रमुख, मिलिट्री कमांडर, टेक्नोलॉजी लीडर्स, एकेडमिक्स, पत्रकार और स्कॉलर्स शामिल होंगे। 

 

पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी 'रायसीना डायलॉग' का उद्घाटन करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी का संबोधन भी होगा। उद्घाटन समारोह में न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन चीफ गेस्ट होंगे। उद्घाटन समारोह में लक्सन का संबोधन भी होगा।

 

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रायसीना डायलॉग में क्या होगा?

रायसीना डायलॉग में दुनियाभर के नेता और स्कॉलर्स और इंडस्ट्री लीडर्स जुटते हैं और जियोपॉलिटिक्स और जियोइकोनॉमिक्स पर चर्चा करते हैं। इस बार की थीम 'कालचक्रः पीपुल, पीस एंड प्लानेट' रखी गई है। रायसीना डायलॉग में इस बार राजनीति, पर्यावरण, कारोबार, शांति जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।

20 देशों के विदेश मंत्री होंगे शामिल

रायसीना डायलॉग में करीब 20 देशों के विदेश मंत्री शामिल होंगे। स्लोवानिया, लक्जमबर्ग, लातविया, मोल्दोवा, जॉर्जिया, स्वीडन, स्लोवाक गणराज्य, भूटान, मालदीव, नॉर्वे, थाईलैंड, एंटीगुआ और बारबुडा, पेरू, घाना, हंगरी और मॉरीशस और फिलीपींस के विदेश मंत्री इसमें हिस्सा लेंगे।


इस बार यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रे सिबिहा भी रायसीना डायलॉग में शामिल होंगे। उनकी भारत यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब अमेरिका, यूक्रेन और रूस के बीच जंग खत्म कराने के लिए एक अस्थायी सीजफायर की कोशिश कर रहा है।

 

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क्या है रायसीना डायलॉग?

विदेश मंत्रालय का ऑफिस रायसीना पहाड़ी पर स्थित है। इसे साउथ ब्लॉक भी कहा जाता है। इसलिए इस सम्मेलन का नाम 'रायसीना डायलॉग' रखा गया है। साल 2016 में इसकी शुरुआत हुई थी। तब इसमें 35 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। उसके बाद से रायसीना डायलॉग में शामिल होने वाले देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2024 में इस सम्मेलन में 125 देशों के 2,500 प्रतिनिधि शामिल हुए थे।