अमेरिका से निर्वासित 120 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर एक विशेष विमान शनिवार देर रात अमृतसर हवाई अड्डे पर लैंड हुआ। इस उड़ान में दर्जनों निर्वासितों में पंजाब के मूल निवासी सौरव नाम का एक व्यक्ति भी शामिल है। सौरव ने बताया कि उसके परिवार ने उसे अमेरिका भेजने के लिए लगभग 45 लाख रुपये खर्च किए थे। सौरव के परिजनों ने अपनी जमीन बेचकर यह पैसे इकट्टे किए थे।

 

दरअसल, सौरव अवैध रूप से अमेरिका में घुसे थे। प्रवेश के कुछ ही घंटों बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। सौरव ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बताया कि वह कैसे अमेरिका पहुंचे और फिर अमेरिका से उन्हें कैसे निर्वासित किया गया?

 

'मैं मैक्सिको के रास्ते अमेरिका में घुसा था'

फिरोजपुर के रहने वाले सौरव ने बताया कि वह 27 जनवरी को अमेरिका में घुसे थे। वे मैक्सिको के रास्ते अमेरिका में दाखिल हुए। सीमा पहाड़ी इलाके में थी और ग्रुप को अमेरिका में दाखिल होने में दो से तीन दिन लग गए, जिसके महज कुछ घंटों के बाद ही वह पकड़े गए।

 

सौरव ने कहा, 'अमेरिका में दाखिल होने के 2-3 घंटे के भीतर ही पुलिस ने हमें पकड़ लिया। वे हमें पुलिस स्टेशन ले गए और 2-3 घंटे बाद हमें एक कैंप में ले जाया गया। उन्होंने हमारी तस्वीरें और उंगलियों के निशान लिए। हम कैंप में 15-18 दिन तक रहे। हमारी बात सुनने वाला कोई नहीं था।' सौरव ने कहा, 'दो दिन पहले हमें बताया गया कि हमें दूसरे कैंप में भेजा जा रहा है। जब हम विमान में सवार हुए, तो हमें बताया गया कि हमें वापस भारत भेजा जा रहा है।'

 

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माता-पिता ने जमीन बेची

सौरव ने बताया कि उनके माता-पिता ने जमीन बेची और रिश्तेदारों से 45 लाख रुपये उधार लेकर पैसे जुटाए। यह पैसे उन्हें अमेरिका भेजने में खर्च किए गए। उन्होंने कहा, 'मैंने वहां जाने के लिए करीब 45 लाख रुपये खर्च किए। मेरे माता-पिता ने हमारी जमीनें बेचीं और इस प्रक्रिया के लिए रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए। मैं सरकार से मदद चाहता हूं क्योंकि मेरे माता-पिता ने हमारी जमीनें बेचीं और लोन लिया लेकिन वह सब बेकार हो गया।'

 

अमेरिका पहुंचने में लगे डेढ़ महीने

अमेरिका पहुंचने की अपनी चाहत में, सौरव ने दुनिया भर के कई शहरों की यात्रा की। भारत से अमेरिका पहुंचने में उन्हें करीब डेढ़ महीने का समय लगा। सौरव ने बताया, 'मैंने 17 दिसंबर को भारत छोड़ा... सबसे पहले, मैं मलेशिया गया, जहां मैं एक हफ्ते तक रहा; फिर अगली फ्लाइट से मुंबई पहुंचा, जहां मैं 10 दिन तक रहा। मुंबई से मैं एम्स्टर्डम गया, फिर पनामा से तापचुला और फिर मैक्सिको सिटी गया। मैक्सिको सिटी से हमें सीमा पार करने में 3-4 दिन लगे।'

 

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मोबाइल फोन जब्द, हाथों में हथकड़ी

सौरव ने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों से की गई उनकी सभी अपीलें अनसुनी कर दी गईं। इसके बजाय, उन्हें और अन्य अवैध अप्रवासियों को हाथ-पैर बांधकर वापस भेज दिया गया।

उन्होंने बताया कि फ्लाइट में हमारे हाथ-पैर बांध दिए। सीमा पर हमें पकड़ते ही हमारे मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए। बता दें कि सौरव के परिवार ने उस एजेंट का नाम बताने से इनकार कर दिया है जिसने उन्हें अवैध रूप से अमेरिका में घुसने में मदद की।