'बुलडोजर एक्शन' पर सोमवार को तीन बड़े अदालती आदेश आए। दो आदेश सुप्रीम कोर्ट से और एक बॉम्बे हाईकोर्ट से आया। तीनों ही आदेशों में बुलडोजर एक्शन पर चिंता जताई गई।


पहला आदेश सुप्रीम कोर्ट से आया। जस्टिस एएस ओका और जस्टिस उज्जल भुइंया की बेंच ने इस बात पर हैरानी जताई कि मकान मालिक को अपील का समय नहीं दिया और नोटिस के 24 घंटे के भीतर ही घर को ढहा दिया। मामला प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घर को ढहाए जाने से जुड़ा था। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए उन्हें अपने खर्चे पर दोबारा उसी जगह पर घर बनाने की इजाजत दे दी। हालांकि, शर्त यह भी है कि याचिकाकर्ताओं को नगर निगम के खिलाफ अपील करनी होगी और अगर अपील खारिज हुई तो अपने ही खर्च पर घर तुड़वाना भी होगा।


ऐसे ही दूसरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। मामला भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने पर घर पर बुलडोजर चलाने से जुड़ा है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि एक फर्जी शिकायत पर अधिकारियों ने घर ढहाया, जो 13 नवंबर 2024 को जारी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन करती है। इसके बाद जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले पर अब 4 हफ्ते बाद सुनवाई होगी।


वहीं, तीसरा मामला नागपुर हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान के घर पर बुलडोजर चलाने से जुड़ा है। सोमवार को नगर निगम ने फहीम खान के घर के एक हिस्से को अवैध बताते हुए बुलडोजर चलाकर ढहा दिया गया था। हालांकि, बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने नगर निगम की इस कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। जस्टिस नितिन सांब्रे और जस्टिस वृशाली जोशी ने इसे 'अत्याचार' बताया है। इस मामले में अब 15 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी।

 

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बुलडोजर एक्शन पर क्यों उठते हैं सवाल?

बुलडोजर एक्शन पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने माफियाओं और आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन शुरू किया था। इसके बाद आरोपियों और माफियाओं के घर को घर को ढहा दिया गया। इसके बाद से कई और बीजेपी शासित राज्यों में आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाया जाने लगा। आखिरकार मामला सुप्रीम कोर्ट गया और पिछले साल 13 नवंबर को अदालत ने बुलडोजर एक्शन पर चिंता जताते हुए कुछ गाइडलाइंस जारी कीं।


जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच ने कहा था, 'अपना घर हो, अपना आंगन हो। इस ख्वाब में हर कोई जीता है। इंसान के दिल की यह चाहत है कि एक घर का सपना कभी न टूटे।' कोर्ट ने साफ किया था कि 'कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी का घर ढहाना असंवैधानिक है।'


सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'सरकार या अफसर मनमाने और तानाशाही रवैये नहीं अपना सकते। आरोपियों के अधिकारों का हनन हो तो क्षतिपूर्ति होनी चाहिए। किसी अफसर ने शक्तियों का मनमाना उपयोग किया है तो उसे बख्शा नहीं जा सकता।' 


कोर्ट ने यह भी कहा था कि 'अफसर जज नहीं बन सकते और आरोपियों को दोषी नहीं ठहरा सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते।' इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर बाकायदा गाइडलाइंस भी जारी की थीं।

 

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बुलडोजर एक्शन पर SC की गाइडलाइंस क्या?

  • संपत्ति ढहाने से 15 दिन पहले कारण बताओ नोटिस दिया जाएगा। नोटिस की एक कॉपी पोस्ट के जरिए मालिक को भेजी जाएगी और दूसरी कॉपी संपत्ति के बाहर चिपकाई जाएगी।
  • नोटिस में साफ रूप से बताया जाएगा कि किन नियमों का उल्लंघन किया गया है और मकान क्यों ढहाया जाएगा? साथ ही मकान मालिक को अपना पक्ष रखने का अवसर भी दे। 
  • संपत्ति मालिक का जो पक्ष रखेगा, उसे सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। संपत्ति ढहाने का जब आखिरी नोटिस जारी होगा तो बताना होगा कि मालिक ने अपने पक्ष में कौनसी दलीलें दी थीं। आखिरी नोटिस के 15 दिन के भीतर कोई कार्रवाई नहीं होगी, ताकि मालिक अपील कर सके।
  • अवैध निर्माण ढहाने की वीडियोग्राफी की जाएगी। इसकी एक डिटेल रिपोर्ट नगर निगम की वेबसाइट पर भी पब्लिश करना होगा।
  • अगर किसी इमारत या संपत्ति का एक हिस्सा अवैध है और उसे पूरा ढहाया जाना है तो इसका कारण अधिकारियों को देना होगा। 
  • अगर कोई अफसर इन गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू होगी। अगर गलत तरीके से बुलडोजर एक्शन लिया जाता है तो अफसरों को ही उस संपत्ति को दोबारा बनवाना होगा। इसके साथ ही हर्जाना भी भरना होगा।