अमेरिका से 119 अवैध प्रवासियों को लेकर एक विमान शनिवार रात अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा निर्वासित किया जाने वाला भारतीयों का यह दूसरा जत्था है। निर्वासित 119 लोगों में से 67 पंजाब से और 33 हरियाणा से हैं। आठ गुजरात से, तीन उत्तर प्रदेश से, दो-दो गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान से और एक-एक हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से हैं।
इससे पहले शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अमृतसर के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का दौरा किया और कहा कि उनकी सरकार ने निर्वासितों के दूसरे जत्थे में शामिल पंजाब के निवासियों को उनके घर ले जाने की व्यवस्था कर ली है। उन्होंने कहा, 'हमारे वाहन उन्हें उनके घरों पर ले जाने के लिए तैयार हैं।' सूत्रों के अनुसार, 157 निर्वासितों को लेकर तीसरा विमान भी रविवार को उतरने की उम्मीद है।
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5 फरवरी को पहला विमान पहुंचा
इससे पहले 5 फरवरी को भारतीय निर्वासितों को लेकर अमेरिकी वायुसेना का एक विमान अमृतसर पहुंचा था। अमृतसर में उतरे इस विमान में कुल 104 भारतीय नागरिक सवार थे। कई निर्वासितों ने दावा किया कि पूरी यात्रा के दौरान उनके हाथ-पैरों में हथकड़ी लगी रही और अमृतसर में उतरने के बाद ही उन्हें खोला गया। इसके कई वीडियो भी सामने आए जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया और विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वाशिंगटन की अपनी यात्रा के दौरान अमेरिका के समक्ष इस मुद्दे को उठाने की मांग की।
इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया था कि भारतीय प्रवासियों के साथ 'कचरे से भी बदतर' व्यवहार किया गया। भारत में व्यापक आक्रोश के बाद, नई दिल्ली ने निर्वासितों के साथ व्यवहार के बारे में वाशिंगटन को अपनी चिंताओं से अवगत कराया था।
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पंजाब के सीएम ने केंद्र पर निशाना साधा
अमेरिकी विमान आने से पहले, पंजाब के सीएम भगवंत मान ने अमृतसर हवाई अड्डे पर अमेरिकी विमानों से भारतीय निर्वासितों के उतरने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। मान ने कहा, 'हमारे पवित्र शहर (अमृतसर) को निर्वासन केंद्र न बनाएं।' पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में कई एयरबेस हैं और विमान को उनमें से किसी एक पर उतारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अमृतसर स्वर्ण मंदिर, दुर्गियाना मंदिर, राम तीरथ मंदिर, जलियांवाला बाग और गोबिंदगढ़ किले के लिए जाना जाता है।