महाराष्ट्र के 288 निकायों में हुए चुनाव के बाद अब सबकी नजरें पुणे नगर निगम (PMC) और बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनावों पर टिकी हैं। राज्य में 15 जनवरी को 29 नगर निगमों के चुनाव होने वाले हैं, जिनमें BMC और PMC सबसे अहम हैं। इन चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA) में दरार पड़ गई है। कांग्रेस ने मुंबई और पुणे दोनों जगहों पर अलग-अलग लड़ने का फैसला किया है, जबकि उसके पुराने साथी अलग रास्ते अपनाने लगे हैं। 

महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी (MPCC) के उपाध्यक्ष मोहन जोशी ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) या  अजित पवार के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी, क्योंकि ये दोनों पार्टियां पुणे नगर निगम चुनाव एक साथ लड़ने का फैसला कर चुकी हैं। 

मोहन जोशी का कहना है कि मुंबई में प्रदेश कांग्रेस की बैठक हुई, जिसमें राज्य अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने साफ निर्देश दिए हैं कि कांग्रेस शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे), आम आदमी पार्टी (AAP) और राष्ट्रीय समाज पक्ष जैसे समान विचार वाली पार्टियों के साथ गठबंधन पर विचार किया जाए। अगर वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) शामिल होना चाहे तो उसका स्वागत है। कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र में विश्वास रखने वाली पार्टियों के साथ ही पुणे चुनाव लड़ेगी। 

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NCP और NCP (SP) एक, कांग्रेस लगी किनारे 

महाराष्ट्र में मूल एनसीपी शरद पवार की पार्टी थी। भतीजे अजीत पवार ने साल 2023 में चाचा शरद पवार की पार्टी, अपने नाम कर ली और उन्हें नई पार्टी बनानी पड़ी। एक बहन सुप्रिया सुले की अगुवाई में परिवार एक साथ आ रहा है। दोनों दलों ने तय किया है कि निकाय चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे। परिवार एक हो रहा है, जिससे आहत कांग्रेस हुई है। 

दो दिन पहले कांग्रेस नेता सतेज पाटिल ने कहा था कि उन्हें अजित पवार से पुणे चुनाव के लिए गठबंधन का प्रस्ताव मिला था। मोहन जोशी ने साफ कहा है कि एनसीपी (एसपी) और अजित पवार वाली एनसीपी एक साथ चुनाव लड़ रही हैं, इसलिए कांग्रेस इन दोनों में से किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी।

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एनसीपी के अपने 'परिवार' के एक होने से नाराज क्यों?

एनसीपी (एसपी) के पुणे शहर अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने बुधवार को पार्टी पद और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे अजित पवार वाली एनसीपी से गठबंधन से नाराज थे। मोहन जोशी ने कहा कि अगर जगताप कांग्रेस में आना चाहें तो उनका स्वागत है, लेकिन अभी तक उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ है। अगर वे इच्छा जताते हैं तो राज्य कांग्रेस नेतृत्व सही कदम उठाएगा।

मतभेद भुलाकर BMC के लिए साथ आ सकते हैं अजीत पवार और सुप्रिया सुले। (Photo Credit: ANI)

 

मुंबई में 'एकला चलो' की राह पर कांग्रेस

मुंबई के BMC चुनाव में कांग्रेस ने महा विकास अघाड़ी गठबंधन से अलग होकर अकेले लड़ने का फैसला किया है। इससे विपक्षी खेमे में टूट दिख रही है। अब चुनाव बहुदलीय हो गया है। कांग्रेस ने यह फैसला उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के गठबंधन की वजह से लिया है। 

क्यों उद्धव ठाकरे से नाराज हैं कांग्रेस?

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, क्षेत्रीय राजनीति करती है। भारतीय आधार पर भेदभाव के आरोपों में पार्टी लिप्त है। पार्टी के मुखिया राज ठाकरे खुद भड़काऊ बयानों के लिए बदनाम रहे हैं, यूपी-बिहार के लोगों से उनकी नफरत और चिढ़ सुर्खियों में रही है। कांग्रेस का कहना है कि एमएनएस की भाषाई पहचान और उत्तर भारतीय प्रवासियों के मुद्दे पर रुख, कांग्रेस की समावेशी छवि के खिलाफ है। 

रमेश चेन्निथला, कांग्रेस प्रभारी, महाराष्ट्र:-
हम विभाजनकारी राजनीति करने वाले गठबंधन का हिस्सा नहीं बन सकते।

कांग्रेस ने MVA से दूरी क्यों बनाई?

कांग्रेस की रणनीति अल्पसंख्यक, दलित और प्रवासी वोटरों को जोड़ने की है। महाराष्ट्र नवनिर्णाण सेना और शिवसेना (यूबीटी) का गठबंधन कांग्रेस को असहज कर रहा है। वैसे शिवसेना का भी अतीत ऐसा ही रहा है लेकिन कांग्रेस ने 2019 में बेमेल गठबंधन किया था। बाद में उद्धव ठाकरे ने अपना रुख बदल लिया था। शिवसेना ने अपनी पारंपरिक छवि छोड़कर सेक्युलर दिखने की कोशिश की थी। उद्धव ठाकरे ने बीएमसी चुनावों के लिए राज ठाकरे से हाथ मिलाकर अपने साथी कांग्रेस को नाराज कर दिया। 

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उद्धव ठाकरे, अपने भाई राज ठाकरे के साथ। Photo Credit: PTI

कांग्रेस का एजेंडा क्या है?

कांग्रेस महाराष्ट्र में स्थानीय मुद्दों पर फोकस करेगी। कांग्रेस, बेहतर इंन्फ्रास्ट्रक्चर, सत्ता में पारदर्शिता की वकालत कर रही है। स्थानीय हितों की उपेक्षा का मौजूदा सरकार पर आरोप लगा रही है। कांग्रेस एक चार्जशीट भी तैायर करने वाली है, जिसमें महायुति सरकार की खामियों का जिक्र किया जाएगा। 

नफा या नुकसान, कांग्रेस के पक्ष में क्या समीकरण बन रहे हैं?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह फैसला कांग्रेस के लिए जोखिम भरा है। हाल के चुनावों में विपक्षी एकता भारतीय जनता पार्टी की संगठन शक्ति के खिलाफ अहम साबित हुई है। अब विभाजित विपक्ष से सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को फायदा पहुंच सकता है। निकाय चुनाव और साल 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में यह साबित हुआ है कि भारतीय जनता पार्टी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी साथ मिलकर लड़ती हैं तो विपक्ष का हाशिए पर पहुंचना तय हो जाता है। कांग्रेस की मुंबई में जमीनी मौजूदगी कमजोर हुई है। सभी 227 वार्डों में मजबूत उम्मीदवार उतारना चुनौती है। प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी से बात चल रही है, लेकिन सीट बंटवारे पर मतभेद हैं।

BMC चुनाव कितने अहम हैं कि अपनों को नाराज कर गई कांग्रेस?

बीएमसी का बड़ा बजट और मुंबई के प्रशासन पर मजबूत दखल की वजह से हर पार्ट को इस पर अपनी सत्ता चाहिए होती है। यह राजनीतिक तौर पर बेहद अहम है। कांग्रेस कभी मुंबई की नगर राजनीति में प्रमुख थी, लेकिन पिछले तीन दशकों में उसकी लगातार सीटें घटती गईं। 2017 के चुनाव में अविभाजित शिवसेना को 84, भारतीय जनता पार्टी को 82 और कांग्रेस को सिर्फ 31 सीटें मिली थीं। 

राज ठाकरे की वजह से उद्धव से भी भाग रही कांग्रेस

महाराष्ट्र में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, अपने उग्र एजेंडे के लिए आलोचना के केंद्र में रही है। कांग्रेस सबको साथ लेकर चलने का वादा करती है। नीतिगत रूप से न शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) दोनों की विचारधारा एक ही है। राज ठाकरे एक जमाने में बाल ठाकरे के राजनीतिक वारिस रहे हैं। उद्धव ठाकरे की सियासत में एंट्री के बाद राज ठाकरे किनारे लगे। अब दोनों भाई सियासत में साथ उतर रहे हैं। राज ठाकरे की शैली, बेहद आक्रामक रही है और वह अपने भड़काऊ बयानों की वजह से चर्चा में रहे हैं। 

महाराष्ट्र में MVA से अलग चल पड़ी है शरद पवार की NCP। Photo Credit: PTI

रमेश चेन्निथला, कांग्रेस प्रभारी, महाराष्ट्र:-
हम भाषाई आधार पर शहर बांटने वाली ताकतों से नहीं जुड़ सकते। हमारा मुद्दा विकास है, विवाद नहीं।

कांग्रेस की महाराष्ट्र के लिए रणनीति क्या है?

कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। कांग्रेस नेता मुस्लिम, दलित और उत्तर भारतीय वोट बैंक पर दांव लगा रहे हैं। तेलंगाना मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और पूर्व सांसद मोहम्मद अजहरुद्दीन को तेलुगु और उर्दू बोलने वाले इलाकों में प्रचार के लिए लगाया गया है। विश्लेषकों का कहना है कि बहुकोणीय लड़ाई से महायुति को अप्रत्यक्ष फायदा हो सकता है। 

कांग्रेस का यह दांव कामयाब होता है या नहीं, यह मुंबई के भविष्य के साथ-साथ महाराष्ट्र में कांग्रेस की दिशा तय करेगा। एमवीए में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) हैं, जबकि महायुति में बीजेपी, शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं। चुनाव 15 जनवरी को होने वाले हैं। 16 जनवरी को वोट गिने जाएंगे। कांग्रेस, इस चुनाव को लेकर बेहद उत्साहित है। 

दूसरे दलों का हाल क्या है? 

बीएमसी में कुल 277 सीटें हैं। महा विकास अघाड़ी में फूट के बाद, अब शिवसेना और बीजेपी, महायुति गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश में जुटे हैं। पारंपरिक तौर पर उद्धव ठाकरे का बीएमसी चुनावों पर असर है। राज ठाकरे के साथ आने से पार्टी की स्थिति थोड़ी और मजबूत हो सकती है। बीजेपी यह जोखिम नहीं लेना चाह रही है कि किसी भी तरह से इस गठबंधन लाभ उन्हें मिले। पहले ऐसी अटकलें थीं कि बीजेपी और शिवसेना में सीट बंटवारे को लेकर दरार पड़ सकती है लेकिन अब दोनों दल, एक आम सहमति के लिए बातचीत कर रहे हैं।