हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है। इन सबमें महाशिवरात्रि के दिन महादेव की उपासना करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होगा। यह विशेष दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शिवभक्त पूरी रात जागरण कर श्रद्धा और भक्ति के साथ चार प्रहर की पूजा करते हैं। हालांकि, कई लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि महाशिवरात्रि, सावन में चार प्रहर में ही पूजा क्यों की जाती है?
चार प्रहर की पूजा से जुड़ी मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि पर रात्रि के समय भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यह विवाह चार प्रहर में संपन्न हुआ था, इसलिए इस रात शिवजी की चार प्रहर में पूजा करने का विशेष महत्व बताया जाता है।
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प्रथम प्रहर में शिवजी का जलाभिषेक किया जाता है, जो उनके शांत स्वरूप को दर्शाता है। यह वह समय होता है जब भगवान शिव ध्यान और तपस्या में लीन रहते हैं। भक्त इस समय गंगाजल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र और धतूरा अर्पित कर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
द्वितीय प्रहर में शिवजी का श्रृंगार किया जाता है। इस समय भगवान शिव के सौम्य और प्रिय रूप की पूजा की जाती है, क्योंकि इस प्रहर में माता पार्वती उनका श्रृंगार करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस समय की गई पूजा से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
तृतीय प्रहर की पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का अनुष्ठान किया जाता है। इस दौरान विशेष मंत्रों के साथ शिव विवाह की कथा सुनी जाती है। भक्त इस समय दीप जलाकर, भजन-कीर्तन कर भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
चतुर्थ प्रहर में भगवान शिव को तांबे के पात्र में जल अर्पित कर उनकी आरती की जाती है। यह समय शिव के तांडव का समय माना जाता है, जब शिवजी अपनी महाशक्ति के साथ संसार का कल्याण करते हैं। इस प्रहर की पूजा का महत्व यह है कि यह व्यक्ति को समस्त दुखों से मुक्ति प्रदान करती है और आत्मा को शुद्ध करती है।
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चार प्रहर की पूजा का आध्यात्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि पूजा के दौरान चार प्रहर में पूजा करने व्यक्ति द्वारा की गई उपासना जल्दी सफल हो जाती है। इस रात की ऊर्जा का प्रभाव इतना अधिक होता है कि ध्यान और साधना करने से आत्मिक शक्ति बढ़ती है। साथ है महादेव की उपासना व्यक्ति को धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।