प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन होता है, जो हर महीने में दो बार त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत शिव भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। इस दिन महादेव की उपासना विशेष विधि से की जाती है। आइए जानते हैं, इस व्रत में किन नियमों का पालन करना चाहिए, पूजा में क्या चीजें उपयोग करनी चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए।

प्रदोष व्रत के दिन पालन करने योग्य नियम

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर और पूजा स्थल को साफ रखें। इसके बाद शिवजी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। दिनभर सात्विक आहार लें या जल-फल पर रहें। साथ ही दिनभर संयमित रहें। गुस्सा, झूठ, क्रोध या अपशब्द से बचें। मन में सिर्फ अच्छे विचार रखें।

 

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प्रदोष काल यानी सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे पहले और बाद तक भगवान शिव की पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। इस दौरान भगवान शिव का अभिषेक करें और उनके मंत्रों का जाप करें। इस दौरान भगवान शिव के त्र्यंबक मंत्र को बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है।

पूजा में किन चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए

  • शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं।
  • बिल्वपत्र (बेलपत्र)- त्रिपत्री बेलपत्र अर्पित करें। यह शिवजी को अत्यंत प्रिय है।
  • धतूरा और भांग- शिवजी की प्रिय वस्तुएं हैं, इनका संयमित उपयोग करें।
  • चावल (अक्षत)- बिना टूटे सफेद चावल चढ़ाएं।
  • सफेद फूल- जैसे कुंद, कमल या बेला के फूल शिव पूजा के लिए श्रेष्ठ होते हैं।
  • घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
  • अगरबत्ती या धूप- वातावरण को पवित्र और सुगंधित करें।
  • पंचामृत से अभिषेक- दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर शिवलिंग का स्नान कराएं।

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पूजा में किन चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए

  • तुलसी के पत्ते- यह भगवान विष्णु को अर्पित होता है, शिव जी की पूजा में मान्य नहीं।
  • केतकी का फूल- यह फूल शिव पूजा में निषेध माना गया है।
  • टूटे या मुरझाए फूल या बेलपत्र महादेव को न चढ़ाएं।
  • नमक वाला भोजन व्रत में न करें।
  • शिवलिंग पर हल्दी या सिंदूर न चढ़ाएं। ये देवी पूजा में उपयोग होते हैं, शिवलिंग पर नहीं।

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।