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वीर नारायण मंदिर: यहां योद्धा के रूप में दर्शन देते हैं भगवान विष्णु

कर्नाटक के गडग जिले में स्थित वीर नारायण मंदिर को दक्षिण भारत सहित देशभर के प्रमुख विष्णु मंदिरों में गिना जाता है। जानिए क्या है इस मंदिर की कथा।

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वीरनारायण मंदिर का प्रवेश द्वार।(Photo Credit: Wikimedia Commons)

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कर्नाटक राज्य के गडग जिले में स्थित वीर नारायण मंदिर एक ऐसा आध्यात्मिक स्थल है, जो भगवान विष्णु के भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय है। यह मंदिर अपनी वास्तुकला, पौराणिक इतिहास और धार्मिक महत्व के कारण दक्षिण भारत सहित देशभर के प्रमुख विष्णु मंदिरों में गिना जाता है। इसे ‘दुर्लभ विष्णु मंदिर’ इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यहां भगवान विष्णु का ऐसा रूप कहीं देखने को नहीं मिलता।

पौराणिक इतिहास और कथा

इस मंदिर से जुड़ी कथा महाभारत काल से जुड़ी मानी जाती है। मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया था, तब उन्होंने यहां तपस्या की थी। यह स्थल नर-नारायण की साधना भूमि के रूप में प्रसिद्ध है।

 

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एक मान्यता यह भी है कि महाभारत युद्ध के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों के साथ गुप्त रूप से तीर्थ यात्रा की थी, तब वे इस स्थान पर भी रुके थे। श्रीकृष्ण ने यहां वीर नारायण रूप में दर्शन दिए और इस वजह से यह स्थान पूजनीय है।

वीर नारायण का विशेष स्वरूप

वीर नारायण मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण यहां विराजमान भगवान विष्णु का ‘वीर’ रूप है। यह स्वरूप भगवान के पराक्रमी, युद्धशील और रक्षक रूप को दर्शाता है। सामान्य तौर पर भगवान विष्णु के मंदिरों में उन्हें शांत और ध्यानमग्न मुद्रा में दिखाया जाता है लेकिन इस मंदिर में वह वीर मुद्रा में हैं - जैसे उन्होंने किसी राक्षस का वध कर अभी-अभी विजयी रूप में दर्शन दिए हों।

 

उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म के साथ-साथ एक विशेष मुद्रा है जो विजेता रूप दर्शाती है। यही कारण है कि इस मंदिर को ‘वीर नारायण मंदिर’ कहा जाता है।

वास्तुकला की विशेषता

 

वीर नारायण मंदिर चालुक्य काल की वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण है। इसे 11वीं शताब्दी में चालुक्य राजा त्रैलोक्यमल्ल भीमदेव द्वारा बनवाया गया था। मंदिर का निर्माण पूरी तरह से पत्थरों से हुआ है, जिसमें नक्काशीदार स्तंभ और सुंदर शिखर देखने को मिलता है।

 

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मंदिर के गर्भगृह में भगवान वीर नारायण की भव्य मूर्ति विराजमान है। सभामंडप में देवी-देवताओं, यक्ष और गंधर्वों के चित्र उकेरे गए हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से भक्तों को साहस और शक्ति की अनुभूति होती है। भक्तों की मान्यता है कि वीर नारायण भगवान को जो भी सच्चे मन से याद करता है, उसके जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। यहां हर वर्ष विशेष रूप से ‘वैकुण्ठ एकादशी’ पर हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।


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