रमजान इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इसे इबादत और आत्मा के शुद्धि का महीना भी कहा जाता है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं, ज्यादा से ज्यादा इबादत करते हैं और कुरान व हदीस की तिलावत यानी उसकी पढ़ाई पर विशेष ध्यान देते हैं। कुरान और हदीस इस्लाम धर्म के दो सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते हैं, जिनका पालन हर मुस्लिम के लिए जरूरी होता है।

कुरान की अहमियत

कुरान इस्लाम का सबसे पवित्र ग्रंथ है, जिसे खुद अल्लाह यानी ईश्वर ने अपने नबी पैगंबर मोहम्मद पर प्रकट किया था। ऐसा माना जाता है कि कुरान की पहली आयत रमजान के महीने में ही उतरी थी, इसलिए इस महीने की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है। कुरान को जिब्रील (गैब्रियल) फरिश्ते ने हजरत मोहम्मद तक पहुंचाया और धीरे-धीरे 23 वर्षों में इसका पूरा रूप में तैयार हुआ। इसमें इस्लामिक जीवन के सभी नियम, कायदे और अल्लाह की सिखाई बातें दी गई हैं।

 

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कुरान में इस्लाम से जुड़ी इबादत के तरीके और रोजमर्रा के जीवन की जरूरी बातें शामिल हैं। रमजान में इसे पढ़ना और समझना बहुत अहम माना जाता है। इस महीने में ‘तरावीह’ नाम की विशेष नमाज अदा की जाती है, जिसमें पूरे कुरान को सुनाया जाता है।

हदीस की विशेषता

हदीस में वह काम और आदतों को बताया गया है, जो पैगंबर मोहम्मद के जीवन से जुड़े हैं। हदीस को पैगंबर मोहम्मद के अनुयायियों ने लिखा था और समय के साथ इसे एक धार्मिक पुस्तक की तरह पेश किया गया। इसमें पैगंबर मोहम्मद के जीवन, उनकी सलाह, हुक्म और व्यवहार की जानकारी दी गई है।

 

इस्लाम धर्म में हदीस को कुरान के बाद सबसे जरूरी धार्मिक पुस्तक माना जाता है, क्योंकि यह कुरान की बातों को समझाने में मदद करता है। रमजान में मुसलमान हदीस को पढ़कर पैगंबर मोहम्मद के जीवन से प्रेरणा लेते हैं।

 

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कुरान और हदीस में अंतर

कुरान को सीधा अल्लाह का संदेश माना जाता है, जबकि हदीस पैगंबर मोहम्मद के जीवन और उनकी शिक्षा पर आधारित होती है। कुरान को दिव्य ग्रंथ कहा जाता है, जबकि हदीस इस्लामिक परंपराओं और पैगंबर की शिक्षाओं का संग्रह है। दोनों इस्लाम के दो प्रमुख आधार हैं लेकिन इनमें कुरान को सर्वोपरि माना जाता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।