साल का मार्च महीना आते-आते होली कि चर्चा तेज हो जाती है। इस पर्व का नाम सुनते ही सबसे पहले बरसाना, मथुरा और वृंदावन की होली का ध्यान आता है। हालांकि, होली सिर्फ उत्तर भारत में ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में भी कई मंदिरों में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यहां की होली का रंग-रूप उत्तर भारत से थोड़ा अलग होता है। आइए जानते हैं कि दक्षिण भारत के कौन-कौन से मंदिर इस पावन पर्व को मनाते हैं और यहां की परंपराएं क्या हैं।
उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर, कर्नाटक
कर्नाटक के उडुपी स्थित श्रीकृष्ण मंदिर में होली का उत्सव उल्लास के साथ मनाया जाता है। यहां होली को 'फगु उत्सव' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मंदिर में विशेष पूजा होती है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा का फूलों और रंगों से अभिषेक किया जाता है। भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाता है और वे आपस में हल्के गुलाल का तिलक लगाकर यह पर्व मनाया जाता है।
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मलयप्पा स्वामी मंदिर, तिरुपति
आंध्र प्रदेश के तिरुपति में स्थित मलयप्पा स्वामी मंदिर में भी होली का उत्सव का उत्साह देखते ही बनता है। यहां होली को ‘वसंतोत्सव’ कहा जाता है, जो वसंत ऋतु के स्वागत का प्रतीक होता है। इस दिन भगवान वेंकटेश्वर के विग्रह को फूलों और अबीर-गुलाल से सजाया जाता है। मंदिर में संगीत और भजन का आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु भक्ति गीतों के माध्यम से भगवान की आराधना करते हैं।
रंगनाथस्वामी मंदिर, श्रीरंगम
तमिलनाडु के श्रीरंगम स्थित रंगनाथस्वामी मंदिर में होली को एक अलग तरह से मनाया जाता है। यहां इस त्योहार को ‘पंगुनी उत्सव’ कहा जाता है, जो पूरे 10 दिनों तक चलता है। भगवान रंगनाथस्वामी और देवी लक्ष्मी के विग्रहों को पालकी में बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है। यहां ज्यादातर फूलों की होली खेली जाती हैं और अबीर-गुलाल से मंदिर प्रांगण को रंगीन बना देते हैं।
मेलकोटे चेलुवनारायण मंदिर, कर्नाटक
कर्नाटक के मेलकोटे में स्थित चेलुवनारायण मंदिर में भी होली का त्योहार श्रद्धा और आनंद के साथ मनाया जाता है। यहां भक्तों द्वारा पारंपरिक नृत्य, संगीत और रंगों के माध्यम से भगवान को प्रसन्न किया जाता है। इस मंदिर में होली के दिन खास तरह की मिठाइयां भी प्रसाद के रूप में बांटी जाती हैं।
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दक्षिण भारत की होली की विशेषता
दक्षिण भारत के मंदिरों में होली अधिकतर फूल और चंदन से बने रंगों से खेली जाती है। साथ ही यहां संगीत, भजन, कीर्तन और विशेष आरती का अधिक महत्व होता है। भक्त तिलक लगाकर और फूलों की होली भी खेलते हैं। इस विशेष दिन पर भगवान की झांकियां और शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। साथ ही वसंत ऋतु के स्वागत के रूप में भी इस त्योहार को मनाया जाता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।