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उज्जैन महाकाल: इस में खेली जाती है संसार की सबसे पहली होली

क्या आप जानते हैं कि उज्जैन में स्थिति महाकाल मंदिर में संसार की सबसे पहली होली खेली जाती है। आइए जानते हैं क्या है यह परंपरा और इससे जुड़ी मान्यताएं।

Image of Bhagwan Mahakal

भगवान महाकाल।(Photo Credit: Instagram/ @mahakaldailydarshan)

हिंदू धर्म में होली पर्व का अपना विशेष स्थान है। प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन यह पर्व मनाया जाता है। बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों में होली का त्योहार अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। वहीं संसार की सबसे पहले होली उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में खेली जाती है।

 

महाकाल मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत विशेष है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर भक्ति और आस्था का केंद्र माना जाता है। होली के त्योहार का संबंध केवल रंगों और उल्लास से ही नहीं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक और धार्मिक पहलुओं से भी जुड़ा है। यही कारण है कि उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर होली का त्योहार सबसे पहले मनाने वाला स्थान बन गया है।

महाकाल मंदिर में सबसे पहले होली क्यों खेली जाती है?

कहा जाता है कि भगवान शिव को पूरे ब्रह्मांड का अधिपति और कालों के भी काल माना जाता है। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में भगवान शिव स्वयं महाकाल के रूप में प्रतिष्ठित हैं। मान्यता है कि सृष्टि के किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत महाकाल की पूजा-अर्चना से होती है। इसी कारण यहां होली का पर्व पूरे भारत में सबसे पहले मनाया जाता है।

होली उत्सव की परंपरा

होली के पर्व की शुरुआत महाकाल मंदिर में फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से होती है, जिसे 'रंग-भस्म आरती' से प्रारंभ किया जाता है। इस दौरान बाबा महाकाल को विशेष रूप से भस्म अर्पित की जाती है। भक्त रंग-गुलाल से भगवान महाकाल को अर्पित कर भक्ति-भाव से होली खेलते हैं। होली के दिन महाकाल मंदिर में एक विशेष अनुष्ठान किया जाता है, जिसमें भगवान महाकाल को चंदन, अबीर, गुलाल और फूलों से सजाया जाता है।

भगवान महाकाल की भस्म आरती

महाकाल मंदिर में प्रतिदिन होने वाली भस्म आरती का विशेष महत्व होता है, लेकिन होली के अवसर पर यह आरती और भी भव्य तरीके से संपन्न की जाती है। इस दिन भगवान महाकाल को पहले भस्म से अभिषेक किया जाता है, फिर उन्हें रंगों से सराबोर कर भक्त उनके साथ होली खेलते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं।

धार्मिक मान्यता और महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, उज्जैन का महाकाल मंदिर ही एकमात्र स्थान है जहां भगवान शिव को सबसे पहले रंग अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि महाकाल मंदिर में भगवान शिव उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही होली, महाशिवरात्रि जैसे विशेष अवसर यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं।

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