हिन्दू में भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार के रूप में पूजा जाता है। विष्णु महापुराण में भगवान विष्णु और उनके विभिन्न स्वरूपों के चरित्र और कथाओं को विस्तार से बताया गया है। साथ ही कुछ ऐसे पवित्र और दिव्य स्थलों का वर्णन किया गया है, जिन्हें मोक्ष का द्वार कहा जाता है। मान्यता है कि इन स्थानों की तीर्थयात्रा करने से व्यक्ति जीवन-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है।
विष्णु महापुराण में सप्तपुरियों का विशेष महत्व है। ये साथ स्थान हिन्दू संस्कृति में विशेष महत्व रखते हैं। प्रत्येक स्थान का अपना एक विशेष धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व है, साथ ही इस स्थान से जुड़ी कई मान्यताएं भी प्रचलित हैं। आइए इन सप्तपुरियों के विषय में विस्तार से जानते हैं।
सप्तपुरियों के नाम और उनका महत्व
सप्तपुरियों में अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांचीपुरम, उज्जैन और द्वारका शामिल हैं।
अयोध्या: अयोध्या को भगवान श्री राम और त्रेतायुग में रघुवंश की राजधानी थी। सनातन धर्म में भगवान श्री राम की आराधन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि अयोध्या में सरयू स्नान और भगवान श्री राम के दर्शन व पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। अयोध्या को धर्म नगरी भी कहा जाता है।
मथुरा: मथुरा को भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है। मथुरा और वृंदावन अपना ही एक अनूठा आध्यात्मिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां यमुना नदी में स्नान करने से और श्री कृष्ण की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही मान्यता है कि वृन्दावन स्थित भगवान कृष्ण से संबंधित तीर्थस्थलों का दर्शन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
हरिद्वार: हिन्दू तीर्थस्थलों में हरिद्वार धाम को देवभूमि का द्वार भी कहा जाता है। इस स्थान से उत्तराखंड के चार धाम- केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की यात्रा शुरू होती है। यह धाम गंगा के तट पर स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरिद्वार में गंगा स्नान करने से और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ हरिद्वार में कुंभ मेले का भी आयोजन होता है, जिस वजह से इस स्थान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। यहां विभिन्न दार्शनिक स्थल हैं, जिनका अपना एक विशेष महत्व है।
काशी: शास्त्रों में यह वर्णित है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल के नोक पर बसा हुआ है। इसके साथ काशी को मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है और यह तीर्थ स्थल भगवान शिव व भगवान विष्णु से विशेष संबंध रखता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काशी में शरीर त्यागने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि काशी में भगवान काशी विश्वनाथ के मंदिर के दर्शन करने से व्यक्ति के सभी आप और कष्ट दूर हो जाते हैं।
कांचीपुरम: विष्णु पुराण में बताए गए सप्तपुरियों में कांचीपुरम का भी विशेष महत्व है। इस स्थान का संबंध भगवान विष्णु और भगवान शिव से है और इसे मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कांचीपुरम में पूजा-पाठ और दर्शन इत्यादि करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उज्जैन: भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं व मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही महाकाल मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के ग्रह दोष से भी मुक्ति मिलती है। उज्जैन में बाबा महाकाल के मंदिर के साथ-साथ कुंभ मेले का भी आयोजन होता है, जिसका अपना एक विशेष महत्व है।
द्वारका: भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारका को ‘मोक्ष का द्वार’ भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां स्थित द्वारकाधीश मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है। इसके साथ भारत के चार धामों में द्वारका धाम का भी नाम शामिल है। शास्त्रों में भी द्वारका के महत्व को विस्तार से बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, मथुरा को छोड़ने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने इसी स्थान पर अपने दिव्य नगरी की स्थापना की थी।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां विष्णु पुराण, सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता.