देवी बगलामुखी, जिन्हें तंत्र जगत की सबसे रहस्यमयी और शक्तिशाली महाविद्या माना जाता है। शत्रु-विजय, मुकदमों में सफलता और नकारात्मक शक्तियों को खत्म करने वाली अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रसिद्ध बगलामुखी माता की महिमा को लेकर हमेशा श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा जाता है। मान्यता है कि पीतांबरा देवी के नाम से विख्यात माता बगलामुखी साधक के जीवन से हर प्रकार की बाधा, संकट और विरोध को तुरंत रोक देती हैं और उनकी वाणी और बुद्धि को दिव्य प्रभाव से भर देती हैं।

 

विशेष बात यह है कि देवी की पूजा साधारण पूजा से बिल्कुल अलग है।  पीले कपड़े, पीले आसन और पीले भोग के साथ की जाने वाली तांत्रिक साधना को अत्यंत प्रभावी माना जाता है। पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार प्रलय को रोकने और पृथ्वी को बचाने के लिए देवी प्राकट्य हुआ था, इसी वजह से इन्हें ‘स्तंभन शक्ति’ की देवी कहा गया है। देश भर में मौजूद चुनिंदा बगलामुखी शक्तिपीठों में भक्तों की भीड़ लगातार बनी रहती है। माना जाता है कि जिन लोगों पर झूठे आरोप, शत्रु या कानूनी परेशानियों का संकट हो उनके लिए बगलामुखी साधना सबसे चमत्कारी सिद्ध होती है।

 

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देवी बगलामुखी क्यों इतनी प्रसिद्ध हैं?

शत्रु पर विजय की अधिष्ठात्री देवी

 

माना जाता है कि देवी साधक को शत्रुओं, विरोधियों, मुकदमों, विवादों और षड्यंत्रों से तुरंत राहत देती हैं। उनकी कृपा से शत्रु का दिमाग भ्रमित होकर शांत हो जाता है।

 

वाणी (शब्दों) पर नियंत्रण देने वाली शक्ति

 

देवी बगलामुखी को 'स्तंभन शक्ति' की देवी कहा गया है। मान्यता है कि देवी साधक की वाणी को प्रभावशाली बनाती हैं और शत्रु की वाणी को निरर्थक कर देती हैं। इसलिए वक्ताओं, वकीलों और नेताओं में इनकी पूजा प्रसिद्ध है।

 

तांत्रिक साधना की महाविद्या

 

यह महाविद्या गुप्त, शक्तिशाली और अत्यंत चमत्कारी मानी जाती है। साधक को दिव्य सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। यह विश्वास उन्हें बेहद विशेष बनाता है।

देवी बगलामुखी से जुड़े 10 रहस्य

देवी का रहस्यमय स्वरूप: शत्रु-विजयी शक्ति

 

देवी को पीतवर्णा, पीले कपड़े धारण करने वाली और एक हाथ से शत्रु की जीभ पकड़ने वाली देवी बताया गया है। यह प्रतीकात्मक रूप से नकारात्मक शक्तियों या झूठे आरोपों को रोकने का संकेत है।

 

पीतांबर और पीले रंग का रहस्य

 

देवी केवल पीले रंग से प्रसन्न होती हैं। पूजा, कपड़े, आसन, भोग, दीप सब पीले रंग में ही किया जाता है। कहा जाता है कि पीला रंग ब्रह्माण्डीय 'प्रभाव-स्तंभन ऊर्जा' को सक्रिय करता है।

 

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तंत्र महाविद्या में सर्वोच्च स्थान

 

तांत्रिक जगत में बगलामुखी को तीन देवियों के बराबर माना गया है

स्तंभन (रोकना)

मोहन (आकर्षण)

वशीकरण (नियंत्रण)

 

यह अत्यंत दुर्लभ शक्तियां हैं, जिन्हें सिद्ध करने के लिए कठोर तपस्या की आवश्यकता होती है।

 

जड़-बुद्धि करने की अद्भुत शक्ति

 

मान्यता है कि देवी शत्रु की बुद्धि को भ्रमित कर देती हैं, जिससे वह स्वयं अपने ही खिलाफ निर्णय लेने लगता है। इसे ‘मूढ़ता स्तंभन’ कहा जाता है।

 

युद्धकाल में देवी की पूजा

 

कहा जाता है कि कई राजाओं ने युद्ध के समय देवी की साधना की और शत्रुओं के आक्रमण को रोकने में सफलता पाई। कुछ कथाओं में कहा गया है कि देवी बगलामुखी के मंत्रों से सेनाएं दिशाहीन हो जाती थीं।

 

संकट-मोचन शक्ति: मुकदमों और विवादों में तुरंत असर

 

बहुत से लोग कहते हैं कि अदालत के मामलों में देवी की महिमा तुरंत दिखती है। देवी अनुचित आरोपों को स्थिर कर देने वाली शक्ति प्रदान करती हैं।

 

देवी का प्राकट्य-प्रलय को रोकने के लिए

 

पुराण कथा कहती है कि प्रलय के समय जब पृथ्वी को भयानक तूफान निगल रहा था, तब भगवान विष्णु ने देवी बगलामुखी को प्रकट किया। उन्होंने प्रलय की ऊर्जा को 'स्तंभित' करके संसार को बचाया।

 

चमत्कारी बगलामुखी मंत्र

 

मंत्र को अत्यंत गोपनीय माना जाता है। मंत्र सिद्ध होने पर साधक शत्रु की वाणी और बुद्धि को रोक सकता है। यह विश्वास इसे रहस्यमयी बनाता है।

 

केवल कुछ ही स्थानों पर शक्तिपीठ

 

देश में देवी बगलामुखी के कुछ ही प्रसिद्ध मंदिर हैं

दतिया (MP)

नलखोल (HP)

कांगड़ा

कोलकाता

इनकी दुर्लभता भी उन्हें अत्यंत रहस्यमयी बनाती है।

 

साधना केवल गुरु से ही संभव

 

बगलामुखी साधना अत्यंत शक्तिशाली हैं। कहा जाता है कि इस साधना का अभ्यास बिना गुरु के करने से साधक को उल्टा प्रभाव भी झेलना पड़ सकता है। इसी वजह से बगलामुखी पूजा को 'गुप्त महाविद्या' कहा गया है।