1976 के बरस में स्विटजरलैंड के एक होटल में रेड वाइन लेकर बैठे रामानंद सागर को जब पहली बार रामायण की कहानी पर्दे पर उतारने का आइडिया आया, तब शायद ही उन्होंने सोचा होगा कि 21वीं सदी की एक पीढ़ी उनके बनाए सीरियल में Memes का खज़ाना तलाश लेगी। मसलन जब वह सीन शूट हो रहा होगा जिसमें विभीषण राम को रावण के अमरत्व का राज़ बताते हुए कहते हैं कि “प्रभु ब्रह्मा जी के वरदान से दशानन की नाभि में अमृत है। आप उसकी नाभि में तीर मारकर पहले अमृत सुखा दीजिए”। तब तो कतई अंदाज़ा नहीं होगा कि कोई अपने दोस्त पर भड़ककर मीम बनाकर लिख देगा कि “प्रभु इसकी नाभि में तीर मारिए।”

 

रामायण से लेकर मीम कल्चर तक नाभि का महत्व ख़ास है। सिर्फ लिट्रेचर में ही नहीं बल्कि बायोलॉजी में भी। मां के गर्भ में जब एक शिशु पल रहा होता है तो शिशु और मां नाभि के जरिए जुड़े होते हैं और उसी से होता है शिशु का पोषण। बॉयोलॉजी के टीचर्स बताते हैं कि नाभि पेट के निचले हिस्से पर उभरा एक निशान है जो गर्भनाल के ज्वाइंट की वजह से बनती है। शारीरिक ढांचे का केंद्र बिंदु भी बताया जाता है। जूडो-कराटे वाली फिल्मों में हीरो गुंडों को इसी नाभि में उंगली लगाकर उठा लिया करते हैं।

 

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नाभि इंसानों की देह का इतना जरूरी अंग है कि एक्रॉस दी लैंग्वेज साहित्यकारों की नज़र उस पर पड़ती है। अब जनाबे जौन एलिया को ही ले लीजिए। जौन साहब फरमाते हैं-

हाए 'जौन' उस का वो पियाला-ए-नाफ़
जाम ऐसा कोई मिला ही नहीं

 

जौन ने नाफ़ माने नाभी को मय के प्याले की तरह देखा लेकिन जाँ निसार अख़्तर साहब ने थोड़ा नेचर फ्रेंडली एटीट्यूड दिखाते हुए लिखा-

 

ज़ुल्फ़ें सीना नाफ़ कमर
एक नदी में कितने भँवर

 

तारीफ़ें गढ़ते शायरों की ही दुनिया में भोजपुरी गानों के लिरिसिस्ट प्रमोद कुमार कुशवाहा गुजर रहे हैं जिन्होंने एक ब्याही महिला की शिकायत को अपने काव्य में जगह दी जिसे चंदन चंचल गाते हैं-


पतिया नतिया पटना बा
देवरा ढोड़ी चटना बा

 

गैर-भोजपुरी दर्शकों के लिए इसका मतलब बताना ज़रूरी है। इस गाने में महिला किरदार कह रही हैं कि उनका पति पटना (बिहार की राजधानी) है और घर पर जो देवर है वो ढोड़ी चाटने वाला है। इन लाइनों से क्या कहानी बताने की कोशिश हो रही है, आप समझ ही गए होंगे।

 

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प्रमोद कुशवाहा और चंदन चंचल इस तरह के गाने लिखने और गाने वाले इकलौते भोजपुरी कलाकार नहीं हैं बल्कि भोजपुरी कलाकारों की पूरी एक जमात है जो ढोड़ी यानी नाभि को एक्सप्लोर करने में जुटे हुए हैं।

 

पूरी कहानी विस्तार से समझिए

 

सबसे पहले चलते हैं जापान। जहां की कहानियों में एक देवता का उल्लेख मिलता है। नाम- रायजिन। बताया जाता है कि रायजिन तूफानों और बारिश के देवता हैं लेकिन कहा जाता है कि रायजिन बारिश के साथ-साथ विनाश भी लाते हैं। दंतकथाएं चलती हैं कि रायजिन उन बच्चों को किडनैप करके खा जाया करते थे जो अपनी नाभि छिपाकर नहीं रहते थे। कहानी से पता चलता है कि रायजिन को नाभि दिखाने वाले बच्चे पसंद नहीं रहे होंगे। पसंद अमेरिका को भी नहीं था। तभी तो 1934 में टीवी कार्यक्रमों में ऐसे सीन्स पर बैन लगा दिया गया जिसमें किसी महिला की नाभि दिख रही हो। ये जानकारी BBC Ideas के हवाले से है। बीबीसी की उसी रिपोर्ट से ये जानकारी भी मिलती है कि पचास के दशक में Belly Dancers ने अपनी नाभि को अलग-अलग तरह की ज्वेलरी से ढककर परफॉर्म करना शुरू कर दिया। दावा किया जाता है कि साठ के दशक में अमेरिकन सिंगर और एक्टर Cher ने पहली बार टीवी पर परफॉर्म किया और इसमें उन्होंने ऐसे कपड़े पहने हुए थे जिससे उनकी नाभि दिख रही थी। 

 

 

अमेरिका के इतिहास से चले आइए भोजपुरी के सिनेमाई वर्तमान पर। जहां हर महीने एक सिंगर ढ़ोड़ी को एक्सप्लोर कर रहा है। कुछ गानों के लिरिक्स से इस दुनिया में दाखिल होना ज़्यादा बेहतर होगा। 2015 में एक भोजपुरी फिल्म आई नागिन। खेसारी लाल यादव और रानी चटर्जी लीड रोल में थे। इसी फिल्म में कृष्णा बेदर्दी के लिखे, कल्पना और ममता रावत के गाए एक गाने की लिरिक्स देखिए-

 

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हम त ढोड़ी मुंदले रहनी पियरी माटी से
पियवा मुंअना खोदे कांटी से

 

हिंदी में समझिए। एक नई-नवेली दुल्हन इस गाने में अपने सहेलियों को बताती है कि उसने अपनी ढोड़ी पीली मिट्टी से ढक रखा था लेकिन उसका पति कील से उसे खोदने लगा। कहे बिना भी दर्शक समझते ही हैं कि ये घनघोर किस्म का डबल मीनिंग माफ़ कीजिए सिंगल मीनिंग गाना है।

 

2017 में आई एक फिल्म है साजन चले ससुराल-2। इस फिल्म में खेसारी और अक्षरा सिंह का एक गाना है। गाने के बोल सुनिए-
 
गोरे गलिया के पिंपल बा रोड़ी नियन
तोहर ढोड़ी बा फुलहा कटोरी नियन

 

श्याम देहाती के लिखे और खेसारी लाल यादव के गाये इस गाने का मतलब है कि एक एक्ट्रेस की नाभि तांबे की कटोरी जैसी है। बिहार में तांबे के बर्तन को फुलहा बर्तन कहते हैं। गांव-जवार में बाबा-ईया की उम्र के लोग अमूमन फुलहा बर्तन में ही खाना खाते हैं। हालांकि, अब फुलहा बर्तन का इस्तेमाल बहुत कम हो रहा है। जिस गाने की बात हो रही है उसे Worldwide Records Bhojpuri के यूट्यूब चैनल पर अब तक सवा सात करोड़ से ज्यादा बार सुना जा चुका है। 

 

खेसारी की बात हो रही है तो पवन सिंह के ढोड़ी चालीसा पर भी एक नज़र डाल लेते हैं। पवन बाबू की एक फिल्म है पवन राजा। 2018 में आई थी। फिल्म में एक गाना है जिसे लिखा है छोटन मनीष ने। गाया है पवन सिंह और प्रियंका सिंह ने। गाने में पवन का क़िरदार अक्षरा के किरदार से कह रहा है- 


हटा जन सट जा तू सीना से
जवाब मिलता है- भर जाता ढोड़ी मोर पसीना से।

 

Wave Music के यूट्यूब चैनल पर इस गाने को क़रीब 8 करोड़ बार सुना जा चुका है। कवि और कवयित्री बात तो नाभि और पसीने की कर रहे हैं लेकिन इस सिंगल मीनिंग गाने के मायने क्या हैं दर्शक समझते ही हैं। नहीं समझ आया तो थोड़ा इंतज़ार कीजिए। आगे हम बताएंगे कि कैसे नाभि शरीर के ही एक अन्य अंग के मिनी रूप के तौर पर देखा जाता है। 

अवधेश प्रेमी यादव तो पवन-खेसारी से भी आगे निकल गए। अवधेश प्रेमी का एक गाना है, जिसमें उनके साथ एक महिला किरदार गा रही है-


ढोड़ीपुर में पान खईह जोबनपुर में नास्ता
मन क ल ताजा कट जाई रास्ता

 

Awadhesh Premi Entertainment नाम के यूट्यूब चैनल पर इस गाने को क़रीब ढाई करोड़ लोग देख-सुन चुके हैं। गाने में नाभि और सीने को किसी जगह की तरह ट्रीट किया गया है और पान-नाश्ते की दुकान लगाई जा रही है।  

 

एक और गाने का उदाहरण लेते हैं जहां किसी जगह को एक रेफ्रेंस की तरह यूज़ किया गया है। 2020 का एक गाना है अमरेंद्र अलबेला और शिल्पी राज ने गाया है। गाने को जेके यादव नाम के यूट्यूब चैनल पर 5 करोड़ से ज्यादा बार देखा गया है। गाने के बोल सुनिए-

 

हमरा ढोड़ी के सभे दिवाना बा
एकरा नीचे शहर लुधियाना बा

 

लुधियाना का रेफ्रेंस समझिए। बिहार से लोग लुधियाना और पंजाब के दूसरे शहरों में नौकरी करने जाते हैं। एक तरह से कहें तो नौकरी के लिए लुधियाना की पॉपुलैरिटी को रेफ्रेंस की तरह यूज़ किया गया है। कवि बताना चाहता है कि नाभि के नीचे जो हिस्सा है वो इतना पॉपुलर है कि हर आदमी वहां जाना चाहता है।

 

देखिए, कुल जमा बात ये है कि गूगल या यूट्यूब पर जाइए और सिर्फ ढोड़ी लिखकर सर्च कीजिए। ढोड़ी चाटअ राजा जी बोखार ना होई, ढोड़ी कुआं कईले बा, देवरा ढोड़ी चटना बा, ढोड़ी के कमजोरी, ढोड़ी से शुरुआत, आज भर ढिल द... ढोड़ी जन छील द, देवरा ढोड़ी के आशिक बा... और ऐसे ही गानों की भरमार है। हम बताते-बताते थक जाएंगे। आप सुनते-सुनते वीडियो बंद कर देंगे लेकिन भोजपुरी सिंगर्स के ढोड़ी वाले गानों की CD खत्म नहीं होगी। ना खत्म होने वाली इसी लिस्ट में पवन सिंह का क्लासिक गाना भी आता है जहां वो पूछते हैं कि- तहरा गहिर ढोड़ी में बियर डाल दिहीं का…

 

कहना मुश्किल है कि पहली बार किस गाने में किसी महिला की नाभि को सब्जेक्ट बनाकर गाना लिखा गया और फिर भोजपुरी के गायकों ने मिशन मोड में नाभि के ईर्द-गिर्द चालीसा गढ़ना शुरू कर दिया लेकिन ये समझना ज़रूरी है कि क्या सिर्फ भोजपुरी गानों में ही नाभि केंद्र में है या दूसरी भाषाओं में भी ये देखने को मिलता है। कुछ उर्दू शेर तो हमने आपको इस वीडियो के शुरुआत में ही सुनाए जहां नाभि को ऑब्जेक्टिफाई किया गया है। और इससे अंग्रेजी भी अछूता नहीं है।

 

अमेरिकी कवि May Swenson की कविता है Little Lion Face, जिसमें वह लिखते हैं- 
Now I'm bold
to touch your swollen neck,
put careful lips to slick
petals, snuff up gold
pollen in your navel cup

 

हिंदी में अनुवाद करने पर समझ आता है कि कवि नाभि में सोने के पराग को सूंघने की बात कह रहे हैं।

 

Robert W। Service ने तो Navel नाम से पूरी एक कविता ही लिखी जिसकी आख़िरी लाइनों में वो लिखते हैं-

How a rosebud navel would
Be sweet to kiss!

यानी गुलाब की कली जैसी नाभि को चूमना कितना मीठा होगा!

 

लेकिन फिर नाभि की एंट्री उस धरती पर बन रही सिनेमा में होती है जहां कभी लुंबिनी से चलकर राजकुमार सिद्धार्थ आए और महात्मा बुद्ध बन गए। उसी धरती पर नाभि ढोड़ी बन गई और फिर उस पर एक से एकाल गाने बनने लगे।

 

हिंदी फिल्मों में एक्ट्रेस की नाभि के क्लोज़अप शॉट का ट्रेंड भी लंबे समय से देखा गया है। 1968 में मुमताज और शमी कपूरी की एक फिल्म आई- ‘ब्रह्मचारी’। फिल्म का एक गाना आज तक सुना जाता है- ‘तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर ज़ुबान पर…’ इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक़ ये पहला मौका था जब किसी हिंदी फिल्म में एक्ट्रेस की Navel को लेकर चर्चा हुई। धीरे-धीरे आइटम सॉन्ग और इन्टिमेट सीन्स के बढ़ते ट्रेंड के साथ एक्ट्रेस की नाभि पर कैमरे का फोकस होना आम होता चला गया और इसी दरम्यान हमने पर्दे पर वो सीन्स देखे जिसमें एक्ट्रेस की नाभि पर फिल्म का क़िरदार कभी अंगूर रखता है तो कभी बर्फ।

 

टॉलीवुड यानी तमिल फिल्म इंडस्ट्री के एक निर्देशक के। राघवेंद्र राव को ‘Navel Specialist’ कहा जाने लगा। चिरंजीवी ने कभी राव के बारे में कहा था कि अगर किसी को फलों के बारे में जानना है तो राघवेंद्र राव की फिल्में देखनी चाहिए क्योंकि वह एक्ट्रेस की नाभि के चारों तरफ अलग-अलग तरह के फल दिखाने में एक्सपर्ट हैं। इन्हीं के. राघवेंद्र की एक फिल्म है Jhummandi Naadam। इसी फिल्म से तापसी पन्नू ने डेब्यू किया था। तापसी इस्ट इंडिया कॉमेडी नाम के यूट्यूब चैनल पर राव के बारे में कहती हैं, “मैंने श्रीदेवी और अन्य लोगों के वीडियो देखे। सभी पर फूल और फल फेंके गए। मेरी बारी आई और उन्होंने मुझ पर नारियल फेंका! मुझे नहीं पता कि मेरे पेट पर नारियल लगने में क्या कामुकता है। मैं ये ऑब्सेशन समझ नहीं पा रही हूं।”

 

जो ऑब्सेशन तापसी नहीं समझ पा रही थीं, उसे अमेरिकी साइकोलॉजिस्ट Leon F। Seltzer समझाते हैं- “Evolutionary psychologists का मानना ​​है कि पुरुष आमतौर पर शरीर के छिद्रों की ओर आकर्षित होते हैं। Psychologist डॉ. एल्मर बैस ने नाभि को Small Vagina कहा है।” मुमकिन है कि इसी मानसिकता की वजह से पुरुषों में नाभि को लेकर एक अपील है। और इसी अपील को साहित्य-सिनेमा ने Exploit किया।

 

हिंदी, ऊर्दू, भोजपुरी और अंग्रेजी। इन चार भाषाओं की रचना हमने ऊपर बताई ही। जो सीधे-सीधे बॉडी पार्ट और महिलाओं को एक ऑब्जेक्ट की तरह पेश करता है। ये उसी सेक्सुअल कुंठा की ओर इशारा करता है जिसे कुरेदते हुए भोजपुरी के कलाकार अपने स्टेज शो में महिला कलाकारों की नाभि और दूसरे अंगों की ओर इशारा करते हैं।

 

समझेंगे तो एक बात और समझ आएगी कि ऐसे गानों के केंद्र में लस्ट है और उस लस्ट को लिखकर-गाकर देखने-सुनने वालों को एंगेज करने के लिए शरीर के एक अंग नाभि को चुना जिसे Psychologist डॉ. एल्मर ने Small Vagina कहा। उदाहरण से समझिए। 2011 में गुड्डु रंगीला का एक गाना आया- नाहीं चाहीं हो कुछ अउर, हमरा हऊ चाहीं। हिंदी अनुवाद है कि मुझे कुछ और नहीं वो चाहिए। ये गाना अगर आप यूट्यूब पर देखेंगे तो पता चलेगा कि गुड्डु रंगीला क्या मांग रहे हैं और इसी मांग को लिखने के लिए ढ़ोड़ी पर गाने बन रहे हैं।

90s के गानों में समीर दिल, जिगर, जान जैसे शब्दों के साथ खेलते दिखते हैं। भोजपुरी गाना बनाने वालों ने दिल, जिगर, जान को ढ़ोड़ी से रिप्लेस कर दिया। और हज़ारों की संख्या में करोड़ों व्यूज़ वाले ऐसे गाने हैं। और ये सेक्सुअल कुंठा को व्यूज़ में कैश करने के टूल जैसा है। महिला और उनके शरीर के अंगों को ऑब्जेक्टिफाई करने का चलन पुराना है। भोजपुरी कलाकारों पर इसे लेकर सवाल उठते रहे हैं लेकिन अब जिस तरह के गाने लिखे-गाये जा रहे हैं वो ऑब्जेक्टिफिकेशन के स्केल से आगे निकल चुका है।

 

ऐसा लगता है कि जिस तरह रावण की नाभि अमरत्व का अमृत था, कुछ वैसे ही भोजपुरी गानों का अमृत ढोड़ी में टिका है। सवाल है कि कौन बनेगा विभीषण जो नाभि का रहस्य बताएगा।