गुजरात के अहमदाबाद में एक मंदिर के पुजारी ने आत्महत्या कर ली है। पुजारी के बेटे का दावा है कि बिल्डर और नगर निगम से उत्पीड़न के कारण आत्महत्या की है।


मामला अहमदाबाद के कुबेरनगर का है, जहां संतोषी माता मंदिर के पुजारी महेंद्रभाई मिणेकर ने मंदिर परिसर में ही आत्महत्या कर ली। आरोप है कि मंदिर को तोड़ने के नोटिस मिल रहे थे। इससे महेंद्रभाई परेशान थे। पुजारी के बेटे ब्रजेश ने दावा किया है कि कई महीनों से नगर निगम और बिल्डर से धमकियां मिल रही थीं। इस कारण उनके पिता ने आत्महत्या कर ली।


एक वीडियो मैसेज में ब्रजेश ने कहा, 'मेरे पिता को नगर निगम, बिल्डर और कुछ पुलिसवाले मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे, क्योंकि वे मंदिर तोड़ना चाहते हैं। इस मंदिर को मेरे दादा ने 1972 में बनाया था। आज संतोषीनगर इसी मंदिर के कारण बना है।'

 

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सुसाइड नोट में लिखा- 'मंदिर बचा लेना'

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुजारी ने मरने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा था। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में अपने बेटे से 'मंदिर बचाने' की बात कही है। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि यह जमीन उनका जन्मस्थान है और यह मंदिर उनके परिवार और समुदाय के लिए पवित्र स्थान है। इसलिए इस मंदिर को बचा लेना।


सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा, 'मैं अपने मंदिर की अधूरी लड़ाई अपने बेटे को सौंप रहा है। मेरे बेटे, मेरी अधूरी लड़ाई लड़ना। इस जन्मभूमि को बचाने के लिए धर्म की लड़ाई लड़ना। यह पावन भूमि तुम्हारे दादा-दादी की भक्ति की गंगा की पावन भूमि है। यही हमारी संपत्ति है।'

 

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पुलिस ने क्या कहा?

पुजारी के बेटे ब्रजेश के दावों पर पुलिस को खारिज किया है। जी-डिविजन के एडिशनल कमिश्नर वीएन यादव ने कहा, 'नगर निगम के अनुरोध पर पुलिस तैनात होती है। बेटे की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है। फिलहाल एक्सीडेंटल डेथ का केस दर्ज कर लिया गया है।'

नगर निगम ने क्या कहा?

इस पर अहमदाबाद नगर निगम ने भी बयान जारी किया है। नगर निगम ने कहा कि संतोषीनगर उनकी जमीन पर बसा है। यहां करीब 475 रिहायशी झुग्गियां और 22 दुकानें हैं। निगम ने कहा कि हाल ही में संतोषीमाता मंदिर के 1,251 वर्ग मीटर को हटाकर रिडेवलप करने की योजना शुरू की थी। हालांकि, लोगों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मंदिर को उसी जगह पर बनाए रखने का फैसला लिया गया था।