वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की पत्नी अमनीत पी. कुमार ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी को एक शिकायत सौंपी। इसमें मामले की निष्पक्ष जांच, तुरंत एफआई दर्ज करने और सुसाइड नोट में जिन अधिकारियों के नाम लिखे हैं, उन्हें तत्काल निलंबित और गिरफ्तार करने की मांग की। शिकायत में कहा गया कि सुसाइड नोट और मामले की तहरीर देने के बावजूद चंडीगढ़ पुलिस ने अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने अपने परिवार के लिए आजीवन सुरक्षा की मांग की, क्योंकि खुदकुशी मामले में हरियाणा के बड़े अधिकारी शामिल हैं। सीएम से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई, ताकि न्याय में देरी न हो सके।
शिकायत में कहा गया कि वाई पूरन कुमार एक सम्मानित पुलिस अधिकारी थे। उन्होंने प्रदेश और देश की ईमानदारी, समर्पण और साहस से सेवा की। उन्हें सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया गया था। वाई. पूरन कुमार अनुसूचित जाति समुदाय के एक प्रमुख प्रतिनिधि और शक्ति स्तंभ थे। वे समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के असंख्य लोगों की प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत थे। उनकी मौत से अनुसूचित जाति समुदाय में आक्रोश है।
यह भी पढ़ें: IPS वाई पूरन की पत्नी का आरोप- DGP, SP से तंग आकर पति ने की सुसाइड
सीएम से परिवार ने क्या मांग की?
- सुसाइड नोट में शामिल अधिकारियों को खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए।
- अधिकारियों को निलंबित और गिरफ्तार किया जाए, ताकि सबूत से छेड़छाड़ न हो सके।
- परिवार को स्थायी सुरक्षा दी जाए।
- परिवार के अधिकारों और सम्मान की रक्षा की जाए।
48 घंटे बीते, अभी तक मामला दर्ज नहीं
अपनी शिकायत में अमनीत पी. कुमार ने आगे बताया कि तहरीर और सुसाइड नोट के बावजूद अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। जबकि सुसाइड नोट में उन लोगों के नाम लिखे हैं, जिन्होंने उत्पीड़न, अपमान और मानसिक यातना का माहौल बनाया। 48 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बावजूद चंडीगढ़ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। शिकायत और सुसाइड में संज्ञेय अपराध का खुलासा होने के बावजूद चंडीगढ़ पुलिस ने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की, जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम) के तहत विशेष प्रावधान हैं।
'चंडीगढ़ पुलिस को प्रभावित कर रहे आरोपी'
सीएम नायब सिंह सैनी को सौंपी अपनी शिकायत में अमनीत पी. कुमार ने बताया कि हरियाणा पुलिस और प्रशासन के लोग मामले में आरोपी है। इस वजह से एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है। आरोपी अधिकारी चंडीगढ़ पुलिस को प्रभावित करने में जुटे हैं। शिकायत में उन्होंने आशंका जताई कि हरियाणा के आरोपी उच्च पदस्थ अधिकारी उन्हें और मेरे परिवार को बदनाम करने की कोशिश करेंगे। विभागीय या अन्य तरीकों से भी फंसाने का प्रयास करेंगे।
यह भी पढ़ें: IIM से पढ़ाई के बाद बने IAS; कहानी पूरन कुमार की जो सिस्टम से तंग आ गए
'डीजीपी और रोहतक एसपी को गिरफ्तार करने की मांग'
चंडीगढ़ पुलिस को सौंपी अपनी शिकायत में आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया को अपने पति वाई पूरन कुमार की मौत का जिम्मेदार ठहराया। आरोपी अधिकारियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 108 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की मांग की।
अमनीत पी. कुमार ने कहा कि मेरे पति एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी थे। 7 अक्टूबर 2025 को घर पर मृत मिले। उनको गोली लगी थी। मामले को खुदकुशी बताया जा रहा है, लेकिन मैं इसे नहीं मानती हूं। मेरे पति को वर्षों से डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर व्यवस्थित रूप से अपमानित, परेशान और प्रताड़ित कर रहे थे। उनके जान देने के पीछे यह एक प्रमुख कारण है।
'डीजीपी के निर्देश पर दर्ज किया गया झूठा केस'
अमनीत पी. कुमार ने बताया, 'मेरे पति ने अपने सुसाइड नोट में बताया कि डीजीपी के निर्देश पर उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज किया गया। उनके स्टाफ सदस्य सुशील को फंसाया गया। अब इसमें मेरे पति को भी झूठे सबूतों के आधार पर फंसाने की साजिश रची गई थी। उन्होंने डीजीपी से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनकी बात को टाल दिया गया।
रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया ने भी उनके फोन का जवाब नहीं दिया। यह उनकी मिलीभगत को दिखाता है। मेरे पति ने अपने सुसाइड नोट में बताया कि उन्हें अनुसूचित जाति (एससी) के कारण भेदभाव और अपमान का सामना करना पड़ा। उन्हें पुलिस परिसर में पूजा स्थलों में प्रवेश से रोका गया और जातिगत टिप्पणियां झेलनी पड़ी।'
हरियाणा के किस अधिकारी पर क्या आरोप लगा?
- डीजीपी शत्रुजीत कपूर: जाति आधारित भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और फर्जी केस दर्ज कराने का आरोप। शिकायतों की अनदेखी और बदले की भावना से कार्रवाई न करना।
- अमिताभ ढिल्लो: आरटीआई के तहत जानकारी मांगने पर कोई जवाब न देना, साजिश का हिस्सा और पूर्वाग्रह से भरा रवैया।
- पूर्व डीजीपी मनोज यादव: जाति आधारित भेदभाव, मानसिक प्रताड़ना। पिता के निधन पर छुट्टी न देना। 2020 में अंबाला मंदिर के दौरे के दौरान उत्पीड़न किया।
- रिटायर्ड आईएएस टीवीएसएन प्रसाद: तत्कालीन एसीएस (गृह) रहते मनोज यादव के जैसा रवैया अपनाना। शिकायतों को अनसुना करना। रिटायर्ड आईपीएस पीके अग्रवाल पर भी यही आरोप लगे।
- राजीव अरोड़ा: एसीएस (गृह) के रूप में छुट्टी न देकर मानसिक दर्द देने का आरोप। शिकायतों को अनदेखा करना।
- आईपीएस संदीप खीर्वा: गलत तरीके से संपत्ति घोषणा पर अपमान और साजिश में शामिल।
- आईपीएस शिबाश काबरा: संदीप खीर्वा के साथ मिलकर साजिश में साथ देना। शिकायतों को न सुनना।
- संजय कुमार: (ADGP) पुलिस मुख्यालय में उनकी शिकायतों को नजरअंदाज करना। शत्रुजीत कपूर और अमिताभ ढिल्लो के साथ साजिश में शामिल।
- आईपीएस पंकज नैन: शत्रुजीत कपूर के साथ साजिश में सक्रिय साथ देना। अपमानित और उत्पीड़ित करना।
- आईपीएस डॉ. किरण: एक्स-कैडर पद पर तैनाती पर सार्वजनिक रूप से मजाक उड़ाना।
