पंजाब के मलेरकोटला में एक सनसनीखेज मामले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। पंजाब के पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा और पूर्व कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना के बेटे अकील अख्तर की संदिग्ध मौत के बाद शम्शुद्दीन चौधरी नाम के एक शख्स द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत ने नया मोड़ ले लिया है। चौधरी, जो मलेरकोटला में एक पार्टी हॉपर के तौर पर जाने जाते हैं, ने अख्तर की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग की है। लेकिन इस मामले ने उनके मल्टी-पार्टी कनेक्शनों को सुर्खियों में ला दिया है, जिससे इस प्रकरण में सियासी रंग और गहरा हो गया है।


16 अक्टूबर को अकील अख्तर हरियाणा के पंचकूला में अपने मनसा देवी कॉम्प्लेक्स (एमडीसी) स्थित आवास पर मृत पाए गए थे। हरियाणा पुलिस ने मनसा देवी कॉम्प्लेक्स पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के आधार पर मामले की जांच शुरू की है। शम्शुद्दीन चौधरी ने अपनी शिकायत में मांग की है कि अख्तर की मौत के पीछे की सच्चाई सामने लाई जाए और परिवार के किसी भी सदस्य या सहयोगी की संभावित संलिप्तता की जांच हो। इस शिकायत ने तूल तब पकड़ा जब सोशल मीडिया पर अख्तर के दो कथित वीडियो वायरल हुए। पहले वीडियो में अख्तर ने अपने माता-पिता और पत्नी पर गंभीर निजी आरोप लगाए और अपनी जान को खतरा बताया। वहीं, दूसरे वीडियो में उन्होंने कहा कि पहला वीडियो उनकी मानसिक बीमारी के कारण बनाया गया था और उनका परिवार बहुत अच्छा है।

 

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पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच में अख्तर की मौत का कारण ड्रग ओवरडोज बताया गया है। हालांकि, चौधरी की शिकायत और वायरल वीडियो ने इस मामले को रहस्यमयी बना दिया है।

बार-बार बदलते हैं पार्टी

शम्शुद्दीन चौधरी मलेरकोटला में एक चर्चित चेहरा हैं, जिन्हें उनकी बार-बार पार्टी बदलने की आदत के लिए जाना जाता है। चौधरी ने अपने राजनीतिक करियर में शिरोमणि अकाली दल (एसएडी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और आम आदमी पार्टी के साथ काम किया है। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों में उन्होंने मलेरकोटला से आम आदमी पार्टी उम्मीदवार मोहम्मद जमील उर रहमान के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया था। रहमान ने इस चुनाव में तीन बार की कांग्रेस विधायक रजिया सुल्ताना को 20,000 से अधिक वोटों से हराया था।

 

चौधरी का दावा है कि वह रजिया सुल्ताना के परिवार के पुराने परिचित हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'रजिया सुल्ताना के माता-पिता के साथ मेरे परिवार के पुराने रिश्ते हैं। हमारा पुश्तैनी घर मलेरकोटला के मोहल्ला खटिकान में उनके घर के बगल में है। हम उनकी मां को बुआ कहते थे और वे मेरे पिता को मामा।' चौधरी ने यह भी कहा कि उन्होंने अख्तर की मौत की जांच इसलिए मांगी क्योंकि उन्हें लगा कि उनके साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी शिकायत का आम आदमी पार्टी या किसी अन्य पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है।

 

हालांकि, चौधरी के राजनीतिक कनेक्शनों ने इस मामले को जटिल बना दिया है। उनकी फेसबुक प्रोफाइल पर उन्हें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आम आदमी पार्टी के कैबिनेट मंत्री हरपाल चीमा, आम आदमी पार्टी विधायक तरुणप्रीत सोंड, एसएडी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और पूर्व एसएडी विधायक फरजाना आलम जैसे नेताओं के साथ देखा जा सकता है। यह उनके कई पार्टियों में पैठ होने की बात को दिखाता है।

गंदी राजनीति का आरोप

वहीं पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा ने चौधरी की शिकायत को खारिज करते हुए इसे 'गंदी राजनीति' करने और 'गंदी मानसिकता' का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि चौधरी आम आदमी पार्टी विधायक जमील-उर-रहमान के पूर्व निजी सहायक (पीए) थे, जिन्हें रिश्वत और कमीशन लेने के आरोपों के बाद पार्टी से निकाल दिया गया था। मुस्तफा ने यह भी दावा किया कि चौधरी उनसे केवल एक बार मिले थे, जब उन्होंने कांग्रेस सरकार के दौरान एक बैंक धोखाधड़ी मामले में मदद मांगी थी।

 

मुस्तफा ने चौधरी के पड़ोसी होने के दावे को भी खारिज किया। उन्होंने कहा, 'हमारा घर मलेरकोटला के बाहरी इलाके में है, और वहां कोई पड़ोसी नहीं है। चौधरी का यह दावा पूरी तरह झूठा है।'

पार्टी से निकाला गया था

आम आदमी पार्टी विधायक मोहम्मद जमील-उर-रहमान ने भी चौधरी के साथ अपने संबंधों को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, 'चौधरी ने 2022 के चुनाव में मेरे लिए प्रचार किया था, लेकिन वह मेरे पीए नहीं थे, बल्कि सिर्फ एक पार्टी कार्यकर्ता थे। हमने उन्हें लगभग एक साल पहले पार्टी से हटा दिया था क्योंकि वह फोन नहीं उठाते थे और अक्सर अपना फोन बंद रखते थे।' 

 

रहमान ने यह भी बताया कि चौधरी पहले शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे थे और आम आदमी पार्टी की जीत की लहर देखकर ही 2022 में पार्टी में शामिल हुए थे।

पावरफुल कपल

रजिया सुल्ताना और मोहम्मद मुस्तफा कभी पंजाब की सियासत में काफी पावरफुल चेहरों के रूप में जाने जाते थे। सुल्ताना ने 2002, 2007 और 2017 में मलेरकोटला से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता। हालांकि, 2012 में वह एसएडी की फरजाना आलम से हार गई थीं। 2017 में उन्होंने अपने ही भाई अरशद डाली को हराया, जो आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार थे। सुल्ताना को 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था।

 

मुस्तफा का करियर भी विवादों से भरा रहा है। 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे मुस्तफा 2019 में डीजीपी पद से वंचित रह गए, जब उनके जूनियर दिनकर गुप्ता को यह पद दिया गया। मुस्तफा ने इस नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन बाद में याचिका वापस ले ली। 2021 में रिटायरमेंट के बाद उन्होंने कांग्रेस के लिए काम शुरू किया और नवजोत सिंह सिद्धू के प्रमुख रणनीतिक सलाहकार बने।

 

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2022 के चुनावों में मुस्तफा पर मलेरकोटला में एक रैली के दौरान भड़काऊ और सांप्रदायिक टिप्पणी करने का आरोप लगा, जिसके चलते उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। उसी चुनाव में सुल्ताना आम आदमी पार्टी के रहमान से 20,000 से अधिक वोटों से हार गई थीं।

 

मलेरकोटला, पंजाब का एकमात्र मुस्लिम बहुल जिला, हमेशा से सियासी दृष्टिकोण से संवेदनशील रहा है। 2021 में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे पंजाब का 23वां जिला घोषित किया था। इस क्षेत्र में कांग्रेस, एसएडी और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला रहा है। चौधरी जैसे कार्यकर्ता, जो विभिन्न दलों के साथ जुड़े रहे हैं, इस क्षेत्र की सियासत में एक आम चेहरा हैं।