देश का दूसरा सबसे बड़ा चुनाव उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने में अब लगभग एक साल का वक्त बचा है। सूबे में राजनीतिक पार्टियां अभी से सक्रिय होने लगी हैं। बीजेपी अपने नए प्रदेश अध्यक्ष का कभी भी ऐलान कर सकती है। समाजवादी पार्टी पीडीए के नारे के साथ अपना कुनबा बढ़ाने पर होमवर्क कर रही है। कांग्रेस वेट एंड वॉच की स्थिति में है, जबकि बसपा जमीन पर सक्रिय होकर अपना कैडर मजबूत कर रही है। मगर, इन सबमें सबकी निगाहें बीजेपी और समाजवादी पार्टी के कदमों पर टिकी हुई हैं। वर्तमान यूपी बीजेपी की कमान भूपेंद्र चौधरी के हाथों में है। प्रदेश की राजनीति को देखते हुए अंदाया लगाया जा रहा है कि बीजेपी अपना नया अध्यक्ष ओबीसी समुदाय से बना सकती है।
पीडीए के नारे के साथ 2024 लोकसभा में शानदार प्रदर्शन करने वाली समाजवादी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में एक-एक वोट की अहमियत समझ रही है। ऐसे में पार्टी ना तो अपने किसी वोटर को और ना ही गठबंधन के किसी साथी को नजरअंदाज कर सकती है। यही वजह है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दिनों कांग्रेस को लेकर एक बयान दिया, जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इस बयान के बाद ऐसा लगा जैसे अखिलेश यादव चुनाव में कांग्रेस का हाथ नहीं छोड़ेंगे। आईए पूर्व सीएम के उस बयान के मायने समझते हैं...
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सोनिया गांधी के जन्मदिन पर ऐलान
दरअसल, 9 दिसंबर को कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी का 79वां जन्मदिन था। सोनिया का जन्मदिन संसद में मनाया गया, जिसमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा के अलावा अखिलेश यादव मौजूद थे। इसके अलावा कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ ही अन्य दलों के वरिष्ठ नेता मौदूज रहे। जब सोनिया गांधी के जन्मदिन का केक काटकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश बाहर निकले को मीडिया ने उन्हें घेर लिया। जब मीडिया ने अखिलेश से जन्मदिन को लेकर सवाल किया तो उन्होंने यूपी में सपा और कांग्रेस के भविष्य को लेकर बड़ा बयान दिया।
मीडिया ने अखिलेश यादव से सवाल किया- सर केक का स्वाद कैसा था? इसपर उन्होंने कहा, 'केक हमेशा अच्छा रहता है, गठबंधन है और आगे भी रहेगा।' जबकि सपा प्रमुख से गठबंधन को लेकर कोई सवाल नहीं किया गया था।
अभी से गठबंधन का ऐलान क्यों?
ढेढ साल पहले हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को साथ लेकर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव ने बीजेपी की उम्मीदों पर बुरी तरह से पानी फेरते हुए हरा दिया। सपा-कांग्रेस गठबंधन ने मिलकर यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 43 सीटें अपने नाम कर ली, जबकि बीजेपी ने नेतृत्व वाले एनडीए को महज 36 सीटों से संतोष कना पड़ा। इसी हार ने बीजेपी को केंद्र की सरकार में अपने बलबूते अल्पमत में ला दिया। 2024 के चुनाव में गठबंधन को 43.52 फीसदी वोट शेयर मिला, जबकि एनडीए को मालूली बढ़त के साथ 43.69 फीसदी वोट शेयर मिला।

वोट शेयर और सीटों का समीकरण
वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी वोट शेयर के मामले से लेकर सीटों के मामले में भी बहुत आगे थी। इस चुनाव में एनडीए ने साथ मिलकर 43.82 फीसदी वोट हासिल किया था। एनडीए को कुल 403 में से 273 सीटें मिलीं। बीजेपी ने अकेले दम पर 255 सीटें अपने नाम की थीं। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन को 36.60 फीसदी वोट शेयर मिला। गठबंधन को महज 125 सीटें मिलीं। सपा को महज 111 सीटें मिलीं।
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साल 2022 के विधानसभा चुनाव में जिस सपा-कांग्रेस गठबंधन को 36.60 फीसदी वोट शेयर मिला था, उसी गठबंधन को दो साल बाद 2024 में 43.52 फीसदी वोट शेयर मिला। 2022 में जो एनडीए, सपा-कांग्रेस गठबंधन से 7.22 फीसदी वोट शेयर के साथ भारी बहुमत से आगे था, वही एनडीए 2024 लोकसभा चुनाव में महज 0.17 फीसदी से आगे था। कांग्रेस-सपा ने मिलकर उस खाई को पाट दिया।
दलों ने कसी कमर
खास बात ये है कि पिछले विधानसभा चुनाव में जो मुद्दे थे 2024 लोकसभा चुनाव में भी लगभग वही मुद्दे रहे। इसके बावजूद भी बीजेपी चुनाव में पिछड़ गई। इन्हीं सभी समीकरणों को देखते हुए सोनिया गांधी के जन्मदिन पर अखिलेश यादव ने संसद के बाहर कांग्रेस के साथ भविष्य में भी गठबंधन रहने की बात सार्वजनिक तौर पर कही।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2027 (फरवरी-मार्च) में प्रस्तावित हैं। आगामी चुनाव के देखते हुए बीजेपी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा के साथ में अन्य पार्टियां कमर कस चुकी हैं।
