सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस अध्यादेश पर रोक लगा दी है, जिसमें मथुरा के प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर का प्रशासनिक नियंत्रण राज्य सरकार को सौंपा गया था। कोर्ट ने कहा कि इस अध्यादेश की वैधता का फैसला हाई कोर्ट करेगा। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमल्या बागची की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि इस अध्यादेश को चुनौती देने वाले लोग हाई कोर्ट में अपनी बात रख सकते हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया, 'जब तक हाई कोर्ट इस अध्यादेश की वैधता पर फैसला नहीं लेता, तब तक इस अध्यादेश के उन प्रावधानों पर रोक रहेगी, जो राज्य को मंदिर के प्रबंधन के लिए ट्रस्ट बनाने की शक्ति देते हैं।' 

 

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अध्यादेश के तहत बनाए गए श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट और उसकी संरचना को तब तक निलंबित रखा जाएगा, जब तक हाई कोर्ट इस मामले में अंतिम फैसला नहीं सुना देता। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह अंतरिम आदेश राज्य सरकार को विधानसभा में इस अध्यादेश को मंजूरी देने से नहीं रोकेगा, लेकिन यह प्रक्रिया हाई कोर्ट के फैसले के अधीन होगी।

 

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12 सदस्यीय समिति का गठन  

सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के दैनिक कार्यों को संभालने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक कुमार की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति बनाई है। कोर्ट ने कहा कि मंदिर का प्रबंधन पहले से ही अव्यवस्थित रहा है, जिसके कारण श्रद्धालुओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। कोर्ट ने यह भी चिंता जताई कि मंदिर को करोड़ों रुपये का दान मिलने के बावजूद, श्रद्धालुओं के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गई हैं।

पैसे के उपयोग पर भी सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने अपने 15 मई के आदेश में भी बदलाव किया, जिसमें वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के विकास के लिए मंदिर निधि से पांच एकड़ जमीन खरीदने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश प्रक्रियात्मक रूप से गलत था, क्योंकि मंदिर का प्रबंधन करने वाले प्रभावित पक्षों को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया।

 

कोर्ट ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट ने 8 नवंबर, 2023 को अपने फैसले में मंदिर निधि का उपयोग जमीन खरीदने के लिए करने से मना किया था। यह फैसला अंतिम था, क्योंकि राज्य सरकार ने इसके खिलाफ कोई अपील नहीं की थी। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश को संशोधित करते हुए स्थिति को पहले जैसी कर दी।

 

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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

कोर्ट ने कहा कि मंदिर के प्रबंधन में पहले की अराजकता और गुटबाजी ने श्रद्धालुओं की परेशानियां बढ़ाई हैं। कोर्ट ने उम्मीद जताई कि नई समिति मंदिर के दैनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाएगी और श्रद्धालुओं के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया कराएगी।