उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के स्कूल में महज एक पानी की बोतल छूने से विवाद बढ़ गया। टीचर ने दलित छात्र को इतना पीटा कि उसकी दो उंगलियां तक फ्रैक्चर हो गईं। छात्र को जातिसूचक गालियां भी दी जिसके बाद पीड़ित के परिवार किशनी थाने पहुंची लेकिन कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई। इसके बाद परिजन एसपी के पास पहुंचे और टीचर के खिलाफ एससीएसटी एक्ट सहित 8 गंभीर धाराओं में मुकदमा कराया। हालांकि, टीचर मौके से फरार है।
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क्या है पूरा मामला?
1 अप्रैल को दशरथ सिंह कठेरिया ने अपने बेटे निशांत के साथ हुई मारपीट के खिलाफ एसपी को एक शिकायत पत्र सौंपा। शिकायत में बताया गया कि निशांत नरेंद्र प्रताप मेमोरियल स्कूल का 12वीं क्लास का छात्र है। घटना 29 मार्च की है। उसे बहुत तेज प्यास लगी तो उसने मेज पर रखे बोतल को उठा लिया। इसी बात पर टीचर मंगल सिंह शाक्य ने उसे जातिसूचक गालियां दी और कमरे में बंद कर लकड़ी की फंटी से उसे बुरी तरह पीटा। इससे उसके हाथ की 2 उंगलियां भी फ्रैक्चर हो गई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है लेकिन टीचर अभी फरार है।
पीड़ित छात्र ने बताया कि वह शिकायत करने के लिए थाने पहुंचा लेकिन उसकी शिकायत दर्ज नहीं की गई। पुलिस ने यह कहकर शिकायत नहीं की कि शिक्षकों का काम होता है स्टूडेंट को मारना-पीटना। हालांकि, एसपी ने किशनी पुलिस को जमकर फटकार लगाई और FIR दर्ज करने के लिए कहा।
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जातिसूचक गालियां देना एक अपराध
जातिसूचक गालियां देना एक दंडनीय अपराध है। भारत में किसी को उसकी जाति के आधार पर अपमानित करना कानूनी रूप से अपराध माना जाता है। अगर कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) के किसी सदस्य को सार्वजनिक रूप से जातिसूचक गाली देता है या अपमानित करता है, तो यह अपराध माना जाएगा। इसमें 6 महीने से 5 साल तक की जेल और जुर्माना लगता है।