हाल ही में एक खबर आई जिसमें अमेरिका के न्याय विभाग (DOJ) के अनुरोध पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक भारतीय नागरिक के क्रिप्टोकरेंसी अकाउंट को जब्त करने की कार्रवाई शुरू की है। यह मामला फ्लोरिडा में बैंक की धोखाधड़ी की जांच से जुड़ा हुआ है। इसमें $122,000 (करीब 1 करोड़ रुपये) की ठगी का मामला सामने आया है। भारत में इससे पहले भी कई मामले सामने आए हैं, जिन्होंने जांच एजेंसियों के कान खड़े कर दिए थे। इसी में से एक मामला साल 2024 का है जिसे भारत की सबसे बड़ा क्रिप्टोकरेंसी चोरी माना जाता है।
भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज में वजीर एक्स (WazirX) के जरिए अब तक की सबसे बड़ी क्रिप्टो कॉइन चोरी हुई थी। इंदौर समेत देशभर के निवेशकों के अकाउंट और बैलेंस को होल्ड कर लिया गया था। कई लोगों के रुपये इसमें फंस गए थे। भारत के प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंज से लगभग ₹1900 करोड़ की चोरी की गई थी। इस घटना के बाद निवेशकों के समूह ने इंदौर में एक याचिका दायर की थी।
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यह मामला जुलाई 2024 में सामने आया था जब भारतीय क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज WazirX के मल्टी-सिग्नेचर वॉलेट में सेंध लगाकर बड़ी मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी चोरी कर ली गई थी। इस साइबर हमले के पीछे उत्तर कोरियाई हैकर्स के एक समूह लेजारस ग्रुप का हाथ होने की आशंका जताई गई। चोरी के बाद कंपनी ने रुपये, क्रिप्टो की निकासी और ट्रेडिंग को अस्थायी रूप से रोक दिया था। WazirX के पीड़ितों के समूह ने इस मामले को लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) इंदौर बेंच में एक याचिका दायर की थी। बाद में यह नियामक अस्पष्टता के कारण कानूनी चुनौतियों में फंस गई।
इस पूरे मामले की टाइमलाइन
- यह मामला चीनी-नियंत्रित इंस्टेंट लोन ऐप धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है। इसमें चोरी के जरिए की गई कमाई को क्रिप्टो के माध्यम से विदेश भेजने के लिए इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया गया था। समझते हैं कि यह मामला सामने कैसे आया?
- 18 जुलाई 2024 को WazirX के मल्टी-सिग्नेचर वॉलेट में सेंधमारी हुई। हैकर्स ने लगभग ₹1900 करोड़ मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी चुरा ली। यह भारत की सबसे बड़ी क्रिप्टो चोरी थी।
- 18 जुलाई 2024 को कंपनी ने चोरी के तुरंत बाद, INR और क्रिप्टो दोनों की निकासी (Withdrawal) और ट्रेडिंग को अस्थायी रूप से रोक दिया।
- अगस्त 2024 में पीड़ितों के एक समूह ने कंपनी के कथित कुप्रबंधन के लिए NCLT इंदौर में एक याचिका दायर की।
- सितंबर 2024 में इसकी पैरेंट कंपनी (Zettai PTE LTD) ने सिंगापुर हाई कोर्ट में मोरेटोरियम (Moratorium) के लिए आवेदन किया, ताकि कंपनी पुनर्गठन की योजना पर काम कर सके और कानूनी कार्रवाई से बच सके।
- मार्च 2025 में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने पीड़ितों के दायर सामूहिक मुकदमे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भारत में क्रिप्टो के लिए कानूनी ढांचे और उपभोक्ता संरक्षण कानूनों का अभाव है।
- अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि क्रिप्टो विनियमन एक नीतिगत मामला है, जिस पर सरकार को फैसला लेना है।
- जनवरी 2025 में सिंगापुर हाई कोर्ट ने WazirX की पैरेंट कंपनी को लेनदारों के साथ बैठक आयोजित करने और खोए हुए एसेट्स की वसूली के लिए पुनर्गठन योजना (Scheme of Arrangement) पर वोट करने की अनुमति दी।
- मई 2025 में दिल्ली की एक अदालत ने करीब 2,000 करोड़ रुपये के क्रिप्टो धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली पुलिस से CBI को जांच सौंपने पर विचार करने के लिए कहा, जिसमें बड़े सिंडिकेट के शामिल होने का संदेह जताया गया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कई बार स्पष्ट किया है कि क्रिप्टोकरेंसी का विनियमन सरकार का नीतिगत मामला है, न कि कोर्ट का। कोर्ट ने निवेशकों को आरबीआई जैसे नियामक निकायों से संपर्क करने की सलाह दी, जिससे पीड़ितों को कोर्ट से तत्काल कोई राहत नहीं मिल पाई।