दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत में भी शराब और मांस के शौकीन लोगों की संख्या अच्छी-खासी है। भले ही कुछ राज्यों में शराबबंदी लागू है लेकिन शराब की खपत हर साल बढ़ती जा रही है। इस खपत से राज्यों को अच्छा-खासा राजस्व भी मिलता है जिसके चलते कई राज्य शराब पर रोक लगाने से बचते भी हैं। मांस का कारोबार भी काफी लंबा चौड़ा है। मांस उत्पादक देशों में भारत टॉप 5 देशों में आता है। हर साल भारत के लोग भी अच्छी-खासी संख्या में मांस खाते हैं और दारू की खपत तो है ही। इस साल यानी 2025 में भी भारत में शराब की खपत जमकर हुई। साल के आखिरी वक्त में यह खपत और बढ़ने की उम्मीद है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) बताता है कि भारत की 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं और 80 प्रतिशत से ज्यादा पुरुष मांस खाते हैं। बीते कुछ साल में यह प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। अलग-अलग राज्यों में यह संख्या अलग-अलग भी है। भारत में मांस खाने वालों के लिए सबसे आसान उपलब्ध चिकन की है। इसके बाद मछली, मटन और सी फूड का नंबर आता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि साल 2025 में भारत में चिकन और दारू की कितनी खपत हुई।
यह भी पढ़ें- Swiggy हो या PhonePe, हजारों करोड़ का है घाटा, ये कंपनियां बंद क्यों नहीं होतीं?
कितनी शराब पी गए भारत के लोग?
शराब पर रिसर्च करने वाली संस्था ISWR बताती है कि जनवरी से जून 2024 की तुलना में जनवरी से जून 2025 में शराब की खपत 7 प्रतिशत ज्यादा हुई। शराब की मात्रा मापने के लिए ISWR 9 लीटर केस का इस्तेमाल करता है। एक 9-लीटर केस का मतलब है 750 मिलीलीटर वाले 12 बोतलें। 2025 में कुल 44 करोड़ 9-लीटर केस की खपत हुई।
शराब की कैटगरी की बात करें तो सबसे ज्यादा खपत भारतीय व्हिस्की की हुई और 13 करोड़ 9 लीटर केस एक साल में खर्च हो गए। यानी एक साल में लगभग 117 करोड़ लीटर व्हिस्की पी गई। वोडका की खपत में 10 पर्सेंट, रम में 2 पर्सेंट और जिन और जेनेवर में 3 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। ISWR की रिपोर्ट बताती है कि भारत में प्रति व्यक्ति शराब की खपत साल 2005 में 2.4 लीटर थी जो 2016 में दोगुना से ज्यादा बढ़कर 5.7 लीटर हो गई। अनुमान है कि 2030 तक यह खपत 6.7 लीटर पहुंच जाएगी।
यह भी पढ़ें- लिस्ट होते ही 38% चढ़ा शेयर, कौन सी है यह कंपनी जिसने कर दिया मालामाल?
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहल बेवरेजेस (CIABC) की रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च 2025 को खत्म हुए वित्त वर्ष में इंडियन मेड फॉरेन लिकर (IMFL) के 23.18 करोड़ केस की खपत हुई। 9 लीटर वाले केस के हिसाब से यह खपत 208 करोड़ लीटर से ज्यादा बैठती है। IMFL के अलावा भारत में देसी शराब भी खूब पी जाती है। सरकारी ठेकों पर ज्यादातर देसी शराब ही मिलती है।
इस खपत का नतीजा है कि भारत में शराब का कारोबार लगभग 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 53 हजार करोड़ रुपये का होगा गया है। राज्य सरकारों को शराब से 19 हजार सकरोड़ रुपये से ज्यादा हो रही है। फ्यूचर मार्केट इनसाइट का कहना है कि भारत की 60 प्रतिशत से ज्यादा आबादी की उम्र 35 साल से कम है, यही वजह है कि शराब की मांग तेजी से बढ़ रही है।
कितना मुर्गा खा गए भारत के लोग?
बेसिक एनिमल हस्बैंडरी स्टैटिस्टिक्स (BAHS) की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर 2023-24 से 2024-25 की तुलना करें तो यह पता चलता है कि भारत में मांस उत्पादन में 4.95 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। सबसे ज्यादा मांस उत्पादन वाले राज्यों में नंबर 1 पर पश्चिम बंगाल, नंबर 2 पर उत्तर प्रदेश और नंबर 3 पर महाराष्ट्र हैं। 2023-24 का डेटा देखें तो समझ आता है कि मांस में सबसे ज्यादा यानी 48.96 प्रतिशत हिस्सेदारी पोल्ट्री मीट यानी चिकन की है। यानी भारत में मांस खाने वाले लगभग आधे लोग चिकन ही खाते हैं।
यह भी पढ़ें- टॉप 10% अमीरों का 65% संपत्ति पर कब्जा; भारत में कितनी गैर-बराबरी?
BAHS के डेटा के मुताबिक, साल 2024-25 में 1 करोड़ टन से ज्यादा का मांस उत्पादन हुआ। नतीजा हुआ कि मांस उत्पादन में जो भारत पांचवें पर था, अब वह चौथे नंबर पर पहुंच गया। पिछले साल की तुलना में यह 2.46 प्रतिशत ज्यादा था। इसमें लगभग आधी हिस्सेदारी यानी 51.8 लाख टन मांस मुर्गे-मुर्गियों का था। राज्यों के हिसाब से देखें तो सबसे आग पश्चिम बंगाल (12.46 प्रतिशत), दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश (12.20 प्रतिशत) और महाराष्ट्र (11.57 प्रतिशत) तीसरे नंबर पर है।