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हाजमोला दवा मानी जाए या कैंडी? 12% टैक्स या 18% GST में उलझा मसला

हाजमोला कैंडी है या दवा? इसको लेकर अब सवाल उठ रहे है। डाबर ने दावा किया कि हाजमोला एक आयुर्वेदिक दवा है, न कि कैंडी। ऐसे में DGCI की जांच जारी है।

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हाजमोला, Photo Credit: Instagram

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हर घर में डाबर का फेमस हाजमोला का डिब्बा देखने को मिल जाता है। ऐसे में यह कैंडी है या एक दवा? इसको लेकर अब सवाल खड़े हो रहे है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस ने हाजमोला पर टैक्स लगाने का विचार किया है लेकिन आयुर्वेदिक औषधियों और कैंडी में अलग-अलग टैक्स लगाया जाता है। ऐसे में हाजमोला की मार्केटिंग में स्वाद और पाचक गुण दोनों की बात की जाती है। इसी वजह से अब ये सवाल खड़े हो रहे है कि हाजमोला असल में दवा है या कैंडी? 

 

हाजमोला ने रखा अपना पक्ष

इस मामले में अब FMCG कंपनी डाबर इंडिया ने अपना पक्ष रखते हुए तर्क दिया है कि भले ही हाजमोला स्वादिष्ट लगता है कि लेकिन यह औषधि गुण से भरपूर है। डाबर का दावा है कि हाजमोला एक आयुर्वेदिक प्रोडक्ट है, जिसमें हर्बल के अंश होते हैं और यह पाचन में मददगार साबित हुए है इसलिए इसे दवा की केटगरी में रखा जाना चाहिए। हालांकि, DGGI की कोयंबटूर जोन यह जांच कर रही है हाजमोला कैंडी को आयुर्वेदिक दवा के रूप में 12 प्रतिशत GST के तहत रखा जाए या इसे एक कैंडी मानकर 18 प्रतिशत GST लगाया जाए। 

 

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हाजमोला में आयुर्वेदिक औषधि

डाबर दावा करता है कि हाजमोला में आयुर्वेदिक औषधि जैसे जीरा, हींग, पिप्पली और आमचूर हैं, जो पाचन सुधारने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इसके अलावा हाजमोला आयुर्वेदिक लाइसेंस के तहत बनती और बिकती है। डाबर के मुताबिक, हाजमोला को स्वाद देने के लिए इसे कई तरह के फ्लेवर में निकाला जाता है। 

 

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पहले भी हुआ था ऐसा मामला

GST लागू होने से पहले भी डाबर को इसी तरह की चुनौती का सामना करना पड़ा था। उस समय सु्प्रीम कोर्ट ने डाबर के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि हाजमोला कैंडी एक आयुर्वेदिक दवा है, न कि एक कनफेक्शनरी आइटम। हालांकि, इस समय DGCI की जांच जारी है कि क्या हाजमोला को 12 प्रतिशत GST के तहत रखा जाए या 18 प्रतिशत के तहत। इस मामले में अब GST परिषद ही अंतिम फैसला ले सकती है।  

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