logo

ट्रेंडिंग:

सोने की कीमत ₹1.20 लाख के पार, जानिए निवेश करना चाहिए या नहीं?

सोने की कीमतों में बढ़ोतरी लगातार जारी है और सोने की कीमतों ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भारत में 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 1.20 लाख से ज्यादा हो गई है।

Gold

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: Freepik

सोने की कीमतों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और अब सोना 1.20 लाख रुपये के पार पहुंच चुका है। इस साल सोने की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और जनवरी से अब तक सोने की कीमतें 60 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ चुकी हैं। भारत में 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 1.20 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि क्या उन्हें इस समय सोना खरीदना चाहिए या फिर सोने को बेचकर लाभ कमाना चाहिए। निवेशकों के मन में इस अनिश्चित्ता की स्थिति में बहुत से सवाल पैदा हो रहे हैं। 

  • दिल्‍ली में 10 ग्राम 24 कैरेट गोल्‍ड की कीमत ₹1,22,070 है. जबकि 22k गोल्‍ड की कीमत ₹1,12,000 है।
  • मुंबई में 24 कैरेट गोल्‍ड की कीमत ₹1,22,020 है और 22 कैरेट गोल्‍ड प्राइस ₹1,11,850 प्रति 10 ग्राम है।
  • चेन्‍नई में 24 कैरेट गोल्‍ड प्राइस आज ₹1,22,180 है और 22 कैरेट गोल्‍ड प्राइस ₹1,12,000    प्रति 10 ग्राम है।
  •  लखनऊ में 24 कैरेट सोने की कीमत आज ₹1,22,070 और 22 कैरेट सोने की कीमत आज ₹1,12,000 प्रति 10 ग्राम है।

यह भी पढ़ें-- भारत की सबसे बड़ी क्रिप्टो ठगी: एक दिन में गायब हो गए थे 1900 करोड़

क्यों बढ़ रही किमतें?

इस समय सोने में तेजी वैसी ही है जैसी 2008 की आर्थिक मंदी और 2020 की कोरोना महामारी के समय देखी गई थी। जब-जब दुनिया में अनिश्चित्ता पैदा होती है, कोई युद्ध होता है या कोई आर्थिक संकट आता है तो सोने की कीमत बढ़ जाती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अनिश्चित्ता की स्थिति में सोने को एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। मौजूदा समय में भी वैश्विक स्तर पर कई ऐसे कारण हैं, जिनके कारण सोने की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। 

केंद्रीय बैंक खरीद रहे सोना

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने पिछले एक दशक में अपने सोने के भंडार को लगभग दोगुना कर दिया है, जो सोने की कीमतों में तेजी और बेहतर रिटर्न के विश्वास की और संकेत करता है। भारत में भी आरबीआई ने वैश्विक स्तर पर अनिश्चित्ता को देखते हुए अपने गोल्ड रिजर्व को बढ़ाया है। इंटरनेशनल लेवल पर अनिश्चित्ता की स्थिति को देखते हुए तमाम केंद्रीय बैंकों ने सोने के रिजर्व को बढ़ाना जारी रखा है। 

अमेरिका की ब्याज दरों में कटौती

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने सितंबर 2025 में 0.25 प्रतिशत की दर से ब्याज घटाया था। ब्याज दरों में कमी से डॉलर कमजोर होता है और सोने की मांग बढ़ती है क्योंकि निवेशक सुरक्षित निवेश की तलाश में रहते हैं। अमेरिका का यह कदम सोने की बढ़ती कीमतों का एक मुख्य कारण है।

जियो-पॉलिटिक्ल टेंशन

जब भी दुनिया में अस्थिरता आती है तो सोने की कीमतों में तेजी आती है। पिछले पांच सालों में दुनियाभर में उथल-पुल मची हुई है। 2020 में कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाया और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने अनिश्चित्ता को और बढ़ा दिया। 2023 में इजरायल और हमास के बीच शुरू हुए युद्ध ने टेंशन और ज्यादा बढ़ा दी। इस साल कई देशों के रिश्तों में तनाव देखने को मिला है और इजरायल और ईरान के बीच सैन्य संघर्ष ने तनाव को और भी ज्यादा बढ़ा दिया। अमेरिकी सरकार के शटडाउन और फ्रांस में राजनीतिक संकट ने बाजारों में अनिश्चितता और भी बढ़ा दी, जिससे निवेशक सुरक्षित विकल्प के रूप में सोने की ओर जा रहे हैं। 

रुपये का कमजोर होना भी बड़ा कारण

भारत में सोने की मांग लगातार बढ़ रही है और इसका मुख्य कारण रुपये का कमजोर होना है। जब रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है तो सोना महंगा हो जाता है और स्थानीय बाजार में कीमतें और ऊपर चली जाती हैं। पिछले 30 साल में सोने ने रुपये में करीब 11 प्रतिशत सालाना रिटर्न दिया है, जबकि डॉलर के हिसाब से यह लगभग 7.6 प्रतिशत रहा है।

 

यह भी पढ़ें-- 9 साल में ATM और कैश को खत्म नहीं कर पाया UPI, कैसे डिजिटल होगा भारत?

सोन की मांग बढ़ी

ऊंची कीमतों के कारण ज्वेलरी खरीदारी में थोड़ी कमी आई है लेकिन गोल्ड ईटीएफ और डिजिटल गोल्ड में निवेश बढ़ रहा है। टाटा म्यूचुअल फंड की अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले कुछ महीनों में सोने की कीमतें 3,500–4,000 डॉलर प्रति औंस के बीच स्थिर रह सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की नीतियों, व्यापार विवादों और जियो-पॉलिटिक्ल टेंशन के चलते निवेशकों को सोने में निवेश बनाए रखना चाहिए। रिपोर्ट यह भी सुझाव देती है कि निवेशक अपने पोर्टफोलियो में सोना और चांदी का 50:50 रेशो रख सकते हैं, क्योंकि चांदी भी इस साल मजबूत प्रदर्शन कर रही है।

क्या सोने में करना चाहिए निवेश?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिवाली के करीब और मार्केट में उतार-चढ़ाव को देखते हुए निवेशकों को संतुलित रणनीति अपनानी चाहिए। उनके लिए इक्विटी, सोना और चांदी का संतुलित तालमेल सही रहेगा। यह रास्ता इतिहास और डिमांड-सप्लाई के आधार पर भी सबसे सही रास्ता हो सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बढ़ी हुई कीमतों के बावजूद सोना एक सुरक्षित निवेश है। 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap