22 सितंबर से जीएटी की नई दरें लागू हो गई हैं। इसके बाद से कुछ चीजें सस्ती हो गई हैं और कुछ चीजें महंगी हो गई हैं। सरकार के इस फैसले का असर टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर भी पड़ने वाला है। जीएसटी रेट कट का अलग अलग कपड़ो के सेगमेंट पर अलग अलग असर पड़ने वाला है। ठंड आने वाली है और ऐसे में अब ठंड के कपड़े स्वेटर, जैकेट वगैरह की खरीदारी में तेजी आएगी।
सरकार के इस फैसले से मिडिल क्लास के लिए कुछ सेगमेंट के कपड़े महंगे हो जाएंगे तो कुछ सेगमेंट के कपड़े सस्ते हो जाएंगे। यानी कि एक खास वर्ग के टेक्सटाइल के बिजनेस के लिए सरकार का यह फैसला फायदेमंद होने वाला है तो दूसरे वर्ग के लिए थोड़ी सी मुश्किल भी खड़ी हो सकती है। इसी तरह से एक खास वर्ग के लिए कपड़े सस्ते हो जाएंगे तो दूसरे वर्ग की जेब पर बोझ पड़ेगा।
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क्या क्या हुआ सस्ता?
जीएसटी की दरों के मुताबिक मैन-मेड फैब्रिक पर जीएसटी की दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह से मैन-मेड धागों पर भी जीएसटी की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले से कपड़े सस्ते होने की उम्मीद है।
ठंड के कपड़ों पर असर
अगर रेडीमेड कपड़ों की बात करें तो इसके लिए सरकार जीएसटी की दरें दरें अलग अलग लागू की हैं। 2500 की कीमत तक वाले कपड़ों पर सरकार ने जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। इसकी वजह से 2500 के नीचे वाले कपड़े और ज्यादा सस्ते हो जाएंगे।
हालांकि, 2500 से ज्यादा की कीमत वाले कपड़ों के लिए जीएसटी की दर को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। यानी कि प्रीमियम ब्रांड्स के कपड़े अब और ज्यादा महंगे हो जाएंगे। आमतौर पर कपड़ों के देसी और विदेशी ब्रांड्स के ठंड के कपड़े जैसे- जैकेट इत्यादि के और ज्यादा महंगे होने की उम्मीद है।
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छोटे ब्रांड्स के लिए फायदा
अब सरकार के इस नए जीएसटी रेट से छोटे ब्रांड्स को फायदा होगा क्योंकि छोटे और स्थानीय ब्रांड के कपड़े ज्यादा महंगे नहीं होते हैं। इसी तरह से अपर मिडिल क्लास के लिए कपड़ों के खरीदारी महंगी हो सकती है लेकिन मिडिल क्लास और लोवर मिडिल क्लास के लिए कपड़ों की वजह से जेब पर पड़ने वाला बोझ कम होगा।
इसके अलावा एमएसएमई सेक्टर के लिए निर्यात करने में भी मदद मिलेगी क्योंकि हमारे यहां के बने हुए कपड़े चीन और दक्षिण-पूर्व के देशों के बने हुए कपड़ों से कॉम्पटीशन कर पाएंगे।