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रील से खूब बरसे पैसे, 2025 में भारत के सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने कितना कमाया?

सोशल मीडिया पर रील्स और वीडियो बनाकर इन्फ्लुएंसर्स बहुत कमाई कर रहे हैं। अनुमान है कि ब्रांड्स ने इन्फ्लुएंसर्स पर 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

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सालों पहले जब किसी कंपनी को अपना सामान बेचना होता था तो वे किसी सेलेब्रिटी को हायर करती थीं और उससे प्रचार करवाती थीं। मगर सोशल मीडिया के जमाने में यह ट्रेंड बदला है। अब कंपनियां प्रचार के लिए सिर्फ सेलेब्रिटी पर ही निर्भर नहीं हैं। अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर भी दांव लगाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर जिनके अच्छे-खासे फॉलोअर हैं, कंपनियों उनसे प्रचार करवाती हैं। इसके लिए कंपनियां इन इन्फ्लुएंसर्स को पैसा भी खूब देती हैं।

 

भारत में भी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स अच्छा-खासा कमा रहे हैं। अब हाल ही में एक रिपोर्ट आई है, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि भारतीय इन्फ्लुएंसर्स ने 2025 में 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है।

 

अब तक ऐसा माना जाता था कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स एडवर्टाइजिंग से 3 से 4 हजार करोड़ रुपये कमाते हैं। मगर नई रिपोर्ट में 10 हजार करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया है।

 

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कैसे कमा रहे इन्फ्लुएंसर्स?

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की कमाई का यह अनुमान इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग कंपनी KlugKlug ने लगाया है। KlugKlug का अनुमान है कि भारत में इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग में सालाना 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैं।

 

KlugKlug का मानना है कि सिर्फ 25% ब्रांड्स ने इन्फ्लुएंसर्स से एजेंसी या थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म के जरिए डील की। बाकी 75% ब्रांड्स ने डायरेक्ट इन्फ्लुएंसर्स से डील की।

 

एनालिसिस में यह भी बताया गया है कि भारत का बढ़ता डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) इकोसिस्टम खर्च करने के तरीके को बदल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, 100 से ज्यादा D2C ब्रांड सालाना 20 करोड़ रुपये से ज्यादा अपनी इंटरनल क्रिएटर टीमों के जरिए खर्च करते हैं, जिससे वे एजेंसी-आधारित प्रक्रियाओं को पूरी तरह से छोड़ देते हैं।

 

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छोटे-छोटे इन्फ्लुएंसर्स का बड़ा रोल

यह रिपोर्ट क्रिएटर इकॉनमी को बड़े पैमाने पर दिखाती है। इससे यह भी पता चलता है कि माइक्रो और नैनो क्रिएटर्स, डिजिटल कॉमर्स का एक बड़ा सोर्स बन गए हैं। यानी, अब ब्रांड्स छोटे-छोटे इन्फ्लुएंसर्स पर भी दांव लगा रही हैं। इसका मतलब हुआ कि छोटे क्रिएटर्स इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर रील्स और वीडियो के जरिए लोगों को किसी एक ब्रांड के प्रति प्रभावित कर रहे हैं।

 

KlugKlug के सीईओ और को-फाउंडर कल्याण कुमार ने कहा, 'AI, ऑटोमेशन और सटीक टारगेटिंग के दौर में इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग में बदलाव आया है। हम अभी जो देख रहे हैं, वह सिर्फ ग्रोथ नहीं है, बल्कि इस बात में एक स्ट्रक्चरल बदलाव है कि कॉमर्स, कंटेंट और कंज्यूमर का इरादा कैसे एक साथ आते हैं। युवा ब्रांड लॉन्च के कुछ ही महीनों में कंज्यूमर कैटेगरी में मार्केट शेयर छीन रहे हैं और बहुत सारा ई-कॉमर्स से जुड़ा डेटा है जो इन्फ्लुएंसर और कंटेंट मार्केटिंग की डेटा साइंस वाली पावर को दिखाता है।'

 

KlugKlug के को-फाउंडर वैभव गुप्ता ने कहा कि अब तक इन्फ्लुएंसर्स मार्केटिंग को लेकर जो डेटा आता था, वह सीमित था और इससे पूरी तस्वीर नहीं दिखती थी। 

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