logo

ट्रेंडिंग:

अबकी बार, 90 के पार... आखिर इतना क्यों गिर रहा है रुपया?

रुपया 90 के पार चला गया है। यह अब तक का सबसे निचला स्तर है। रुपया अभी और कमजोर हो सकता है। मगर ऐसा क्यों हो रहा है? समझते हैं।

rupee vs dollar

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

भारत का रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। कमजोर कैसे होता है? इसका पता डॉलर के भाव से लगाया जाता है। एक डॉलर का भाव रुपये में कितना है, उससे इसका पता चलता है। अब एक डॉलर का भाव 90 रुपये के पार चला गया है। गुरुवार को एक डॉलर की कीमत 90.15 रुपये थी। शुक्रवार को यह बढ़कर 90.43 रुपये हो गई। यानी, एक दिन में ही रुपया 28 पैसे कमजोर हो गया। 


डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। जिस तरह से यह गिरावट हो रही है, उससे अनुमान है कि यह 91 रुपये के पार भी जा सकता है। 


जानकारों का मानना है कि 5 दिसंबर को RBI की मॉनिटरिंग पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक है, इसलिए बैंक अभी इसमें दखल नहीं दे रहा है। इसके अलावा, दुनियाभर में डॉलर की मांग भी बढ़ी है। इन दो कारणों ने रुपये को कमजोर कर दिया है।

 

यह भी पढ़ें-- कौन हैं हिरेन जोशी जिनके बहाने PM मोदी से सवाल पूछ रही कांग्रेस?

प्रियंका बोलीं- उनका जवाब कहां?

रुपये की गिरती कीमत पर सियासत भी खूब हो रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि रुपये की गिरती कीमत से पता चलता है कि देश की आर्थिक स्थिति कैसी है।


खड़गे ने कहा, 'रुपया 90 पार कर चुका है। सरकार चाहे कोई भी ढिंढोरा पीटे, रुपये की कीमत गिरने से पता चलता है कि देश की असली आर्थिक परिस्थिति क्या है। अगर मोदी सरकार की नीति ठीक होती तो रुपया नहीं गिरता।'

 

 

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि 'मनमोहन सरकार में रुपये की गिरती कीमत पर सवाल उठाए जाते थे। अब उनका जवाब कहां है?' 


प्रियंका गांधी वाड्रा ने मीडिया के सवाल पर जवाब देते हुए कहा, 'कुछ साल पहले जब मनमोहन सिंह के समय में डॉलर की वैल्यू ज्यादा थी तो उन लोगों ने क्या कहा था? अब उनका जवाब क्या है? उनसे पूछो, तुम मुझसे क्यों पूछ रहे हो?' 

 

यह भी पढ़ें-- 4 साल बाद भारत आ रहे पुतिन, 28 घंटे के दौरे में क्या-क्या होगा? सबकुछ जानिए

पर गिर क्यों रहा है रुपया?

रुपया गिरने के कई बड़े कारण है। फॉरेन एक्सचेंज एनालिस्ट रुपये में गिरावट का कारण विदेशी निवेशकों की ओर से की जा रही बिकवाली को मान रहे हैं।


शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा, 'विदेशी निवेशकों के बिकवाली के दबाव और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण रुपया 90 के पार चला गया है। भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता ने भी रुपये पर दबाव डाला है।'


आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में जमकर बिकवाली की है। इस साल अब तक विदेशी निवेशक 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली कर चुके हैं। बुधवार को ही निवेशकों ने 3,207 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।


उदय कोटक ने X पर पोस्ट में कहा, '₹@90। इसका सबसे बड़ा कारण है विदेशी निवशकों की बिकवाली। भारतीय निवेशक खरीद रहे हैं। समय ही बताएगा कि कौन ज्यादा स्मार्ट है। अभी के लिए विदेशी ज्यादा स्मार्ट लग रहे हैं। एक साल का निफ्टी $ रिटर्न 0 है। लेकिन यह एक लंबा खेल है। भारतीय बिजनेस के लिए कंफर्ट जोन से बाहर निकलने का समय है।'

 

 

बिकवाली के अलावा डॉलर की बढ़ती मांग ने भी रुपये को गिरा दिया है। क्रिप्टोकरंसी में अचानक गिरावट आने से डॉलर की मांग बड़ गई है। 


मेहता इक्विटीज लिमिटेड में कमोडिटीज के वाइस प्रेसिडेंट राहुल कलंत्री ने कहा, 'धीमी एक्सपोर्ट ग्रोथ, ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों के लगातार बाहर जाने से डॉलर की डिमांड बढ़ गई है। बढ़ते जियोपॉलिटकल टेंशन और क्रिप्टोकरंसी में अचानक आई गिरावट ने डॉलर में सेफ-हेवन फ्लो बढ़ा दिया है, जिससे रुपये पर दबाव पड़ा है।'

 

यह भी पढ़ें-- पाकिस्तान की नई बला, CDF क्या है जिसने बढ़ा दी है भारत की चिंता?

तो क्या ये टेंशन की बात है?

रुपये के कमजोर होने से कई चीजों पर असर पड़ता है। इससे कारोबार पर असर पड़ता है। एक्सपोर्ट पर तो कोई असर नहीं पड़ता लेकिन इम्पोर्ट जरूर प्रभावित होता है। रुपया गिरने का मतलब हुआ कि विदेश से आने वाला वही सामान अब ज्यादा कीमत देकर इम्पोर्ट करना होगा। इस कारण मंहगाई बढ़ने का खतरा भी बना रहता है।


मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंता नागेश्वरन ने कहा कि रुपया गिरने से न तो महंगाई बढ़ रही है और न ही एक्सपोर्ट पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इससे इम्पोर्ट महंगा हो जाता है। उन्होंने कहा कि ज्वेलरी, पेट्रोलियम और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे इम्पोर्ट पर निर्भर सेक्टर को इनपुट कॉस्ट बढ़ने की वजह से कम फायदा हो सकता है। 

 

इस बीच SBI की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि गिरते रुपये को कमजोर रुपया नहीं माना जा सकता। रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2026 तक भारत-अमेरिका में ट्रेड डील हो सकती है, जिसके बाद रुपया संभल जाएगा। इसमें कहा गया है, 'भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर बनी अनिश्चितता से सेंटिमेंट कमजोर हैं। उम्मीद है कि ट्रेड डील मार्च 2026 से पहले पूरी हो जाएगी। ट्रेड डील को लेकर बातचीत में रुकावटों से अनिश्चितता बढ़ रही है, जिस कारण बार-बार गिरावट आ रही है।'


आशिका ग्रुप के चीफ बिजनेस ऑफिसर राहुल गुप्ता ने PTI से कहा, 'भविष्य में भी रुपये पर दबाव बना रह सकता है और यह 89.50 से 91.20 रुपये की रेंज में ट्रेड कर सकता है, खासकर अगर कच्चे तेल की कीमतें ऊंची रहती हैं और विदेशी निवेशक रिस्क लेने से बचते हैं तो।'


कुल मिलाकर, फिलहाल रुपये के मजबूत होने की उम्मीद कम ही है। जानकारों का मानना है कि जब तक ट्रेड डील को लेकर कुछ तय नहीं हो जाता, तब तक रुपये में गिरावट होती रहेगी।

Related Topic:#Business News

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap