कोचिंग सेंटर्स की बढ़ती फीस और स्कूली बच्चों की इन पर बढ़ती निर्भरता ने पेरेंट्स के साथ-साथ सरकार को भी चिंतित कर दिया है। पिछले दिनों ही एक सर्वे आया था, जिसमें दावा किया गया था कि भारत में स्कूली बच्चे कोचिंग और ट्यूशन पर निर्भर हैं। कॉलेज में एडमिशन के लिए होने वाले एंट्रेस एग्जाम के लिए बड़ी संख्या में बच्चे कोचिंग संस्थानों में जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को स्कूल के साथ-साथ कोचिंग की फीस भी जमा करनी पड़ रही थी। प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स पर लगाम लगाने के लिए अब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) स्कूलों में सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज (CAS) खोलने जा रहा है।
पढ़ाई और करियर बनाने की दौड़ में बच्चे स्कूल से ज्यादा कोचिंग पर निर्भर होते जा रहे हैं। इसे लेकर शिक्षा मंत्रालय और CBSE दोनों ही चिंता जता चुके हैं। इसी चिंता को दूर करने के लिए सरकार शिक्षा मंत्रालय की कुछ समितियों के सुझावों पर स्कूलों में सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज खोलने जा रही है। इन सेंटर्स से बच्चों को स्कूल में ही पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का पूरा माहौल मिल सकेगा। इस प्लान से कोचिंग सेंटर्स पर भी लगाम लगेगी।
यह भी पढ़ें-- CBSE सिंग्ल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप रजिसट्रेशन शुरू, जानिए जरूरी बातें
स्कूलों में खुलेंगे CAS
योजना के तहत CBSE स्कूलों में सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज खोले जाएंगे। इन CAS में उन छात्रों को एडमिशन मिलेगा जो IIT-JEE, NEET, CLAT, CUET जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इनमें मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, लीगल स्टडीज, अकाउंट्स और इकॉनॉमिक्स जैसे सब्जेक्ट्स की एडवांस क्लास होंगी। इनमें प्रतियोगी परीक्षाओं में आने वाले प्रश्नों के हिसाब से तैयारी करवाई जाएगी।
शिक्षा मंत्रालय की जिस हाई लेवल कमेटी ने यह सिफारिश की है उसने बताया है कि इस प्लान से CAS चुनने वाले और न चुनने वाले बच्चों में कोई भेदभाव नहीं होगा। साथ ही, जिन छात्रों को CAS में शामिल होना है, उनके लिए पहले काउंसलिंग होगी और फिर एडमिशन दिया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बाद इसे स्कूलों में खोला जाएगा।
यह बदलाव भी होंगे
CBSE बोर्ड परीक्षा के पैटर्न में भी बदलाव करने कर रही है। CBSE के अनुसार, बोर्ड परीक्षाओं में 50 प्रतिशत प्रश्न कंपीटेंसी बेस्ड यानी प्रतियोगी परीक्षाओं के हिसाब से ही रहेंगे। इससे बच्चों को केवल रटने के बजाय कॉन्सेप्ट को समझकर सवाल हल करने का मौका मिलेगा।
CAS के लिए खास स्टडी मटीरियल और असाइनमेंट तैयार किए जाएंगे। इन्हें डिजिटल रूप में मोबाइल ऐप के जरिए भी उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके लिए स्कूल या तो नए टीचर्स को हायर करेंगे या अपने ट्रेंड टीचर्स को नियुक्त करेंगे। CAS पूरी तरह स्कूल के अंदर ही होगा और बच्चे स्कूल के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर पाएंगे। खास बात यह है कि यह स्कूल टाइमिंग के दौरान ही चलेंगे। इन सेंटर्स में एजुकेशन सेक्टर के एक्सपर्ट्स को विजिटिंग फैकल्टी के रूप में बुलाया जाएगा। इससे बच्चों को परीक्षा का पैटर्न और स्ट्रैटिजी समझने में मदद मिलेगी।
यह भी पढ़ें -- MBA में एडमिशन के लिए कैसे करें CAT एग्जाम की तैयारी, जानिए हर एक बात
कोचिंग सेंटर्स पर लगेगी लगाम
CBSE ने यह भी साफ किया है कि स्कूलों को किसी भी कोचिंग सेंटर के साथ टाई-अप करने की इजाजत नहीं होगी। यह कदम डमी स्कूलों को भी खत्म कर सकता है। इस प्लान से अब बच्चों की कोचिंग सेंटर्स पर निर्भरता कम होगी औ बच्चे स्कूल में कोचिंग ले पाएंगे। पेरेंट्स का अब कोचिंग फीस का खर्च बच सकता है। हालांकि, कुछ पेरेंट्स की चिंता है कि अगर स्कूलों में यह सिस्टम लागू होगा तो इससे स्कूलों में फीस बढ़ा दी जाएगी और जिन बच्चों को कोचिंग नहीं भी लेनी है उन्हें भी बढ़ी हुई फीस जमा करनी होगी। CBSE ने इस बारे में अभी तक कोई जानकारी शेयर नहीं की है।