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अब कार्यकर्ताओं की कतार से नहीं, नेताओं के परिवार से निकल रहे नेता

बिहार के विधानसभा चुनाव में लगभग सभी दल ने नेताओं के बेटे-बेटियों, पति-पत्नियों या रिश्तेदारों को खूब टिकट बांटे हैं। कई जगह पर कार्यकर्ताओं को संतोष करना पड़ा है।

chetan anand, lata singh and chirag paswan

चेतन आनंद, लता सिंह और चिराग पासवान, Photo Credit: Khabargaon

संजय सिंह, पटना: बिहार में परिवाद वाद के नए अवतारों से सियासी अखाड़ा सज रहा है। परिवाद को लेकर राजनीति में जितने हमले हुए, उनकी जड़ें उतनी ही मजबूत होती चली गई। वंश बेल को मजबूत करने में कोई भी सियासी दल पीछे नहीं है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपने विधायक का टिकट काटकर बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को चुनाव मैदान में उतारा है। इधर मधेपुरा के समाजवादी नेता शरद यादव के पुत्र शांतनु बुंदेला का भी चुनाव मैदान में उतरना तय माना जा रहा है। RJD के प्रदेश अध्यक्ष रहे जगदानंद सिंह के छोटे पुत्र अजीत सिंह भी चुनाव मैदान में डटे हैं। जनता दल यूनाइटेड ने कोसी के दबंग आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद को (नबीनगर) और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र सुमित सिंह को (चकाई से) उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने भी अपने पुराने नेताओं के बेटों को टिकट दिया है।

 

जन सुराज पहली बार बिहार की सियासी राजनीति में उतरी है। इसने कभी नीतीश कुमार के खास रहे आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह को नालंदा के अस्थावां विधानसभा से मैदान में उतारा है। इसके अलावा जननायक कर्पूरी ठाकुर की पौत्री को भी पार्टी ने टिकट दिया है। सहरसा के किशोर कुमार मुन्ना और छातापुर के बीजेपी विधायक नीरज बबलू कभी आनंद मोहन के साथ थे, अब किशोर कुमार मुन्ना ने पाला बदलकर जन सुराज का दामन थाम लिया है। उम्मीदवारों की सूची में किशोर कुमार मुन्ना का भी नाम दर्ज है। जन सुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह और पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने चुनाव नहीं लड़ने का मन बनाया है। 

 

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मांझी, कुशवाहा और चिराग ने परिवार पर जताया भरोसा

 

हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (HAM) के संस्थापक जीतनराम मांझी को कार्यकर्ताओं से ज्यादा अपने परिवार पर भरोसा है। सीट शेयरिंग में मांझी को छह सीटें मिली थीं। मांझी ने अपनी बहू और समधन सहित परिवार के चार सदस्यों को टिकट दिया है। उनके कार्यकर्ताओं को दो टिकट पर ही संतोष करना पड़ा। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा ने भी अपनी पत्नी को टिकट दिया है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने भी अपने भांजे सीमांत मृणाल को गड़खा से टिकट दिया है।

 

कांग्रेस ने भी अपने बड़े नेताओं के पुत्रों के प्रति आस्था जताई है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के पुत्र आकाश सिंह, कांग्रेस के विधान पार्षद मदन मोहन के पुत्र माधव साह, पूर्व मंत्री अवधेश सिंह के पुत्र शशि शेखर और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष के पुत्र अंशुल कुमार को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है। JDU ने दिल्ली सरकार में मंत्री पंकज सिंह के भाई राहुल सिंह को डुमरांव से टिकट दिया है। गायघाट से LJP (आर) की सांसद वीणा कुमारी की बेटी कोमल और मीनापुर के पूर्व विधायक दिनेश कुमार के पुत्र को भी टिकट दिया गया है।

 

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सकरा से अशोक चौधरी के बेटे आदित्य कुमार, सिकटा से पूर्व विधायक दिलीप वर्मा के बेटे समृद्ध वर्मा और इस्लामपुर से दिवंगत राजीव रंजन के पुत्र सहेल रंजन को प्रत्याशी बनाया गया है। JDU ने जो दूसरी सूची जारी की है उसमें चेतन आनंद और सुमित सिंह का भी नाम दर्ज है। दोनों को विरासत में राजनीति मिली है। 

BJP की सूची में 11 नाम परिवारों से जुड़े

 

BJP ने ऐसे प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है जिनका पारिवारिक रिश्ता राजनीति से जुड़ा है। पूर्व सांसद और मंत्री रहे सीताराम सिंह के पुत्र रणधीर सिंह, दीघा से बीजेपी प्रत्याशी संजीव चौरसिया, नितिन नवीन, अरुण सिंह, नीतीश मिश्रा, राघवेंद्र प्रसाद सिंह का रिश्ता राजनीतिक परिवारों से रहा है। इन लोगों के पिता राजनीति के किसी न किसी बड़े पदों पर रहे हैं। 

 

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RJD भी परिवारवाद में पीछे नहीं

 

RJD भी राजनीतिक परिवाद वालों को टिकट देने में पीछे नहीं है। स्वयं तेजस्वी यादव लालू प्रसाद यादव के पुत्र हैं। विजय यादव के बड़े भाई जय प्रकाश यादव RJD में मंत्री थे। राहुल तिवारी, आलोक मेहता, समीर महासेठ, सुदय यादव, कुमार सर्वजीत, सत्तानंद का रिश्ता भी राजनीतिक परिवारों से रहा है। अधिकांश लोगों के पिता RJD सरकार में मंत्री थे या विधायक थे।

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