बिहार की अमरपुर विधानसभा सीट बांका जिले में पड़ती हैं। पिछले तीन चुनाव से यहां जेडीयू का दबदबा है। 2000 से 2005 तक लगातार तीन बार आरजेडी नेता सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने जीत हासिल की। अमरपुर की पहचान कभी यहां की चीनी मिलें से होती थीं। मगर वर्तमान में अधिकांश बंद हो चुकी हैं। कस्बा होने के कारण अमरपुर में रोजगार के कई विकल्प हैं। आसपास के ग्रामीण काम की तलाश में आते हैं। अमरपुर को सामुदायिक विकास खंड का दर्जा मिला है।
विधानसभा क्षेत्र की मिट्टी बेहद उपजाऊ है। इसके आसपास से बेलहरनी, बरूआ और चानन नदी बहती है। अमरपुर के गुड़ की मिठास कभी पूरे बिहार में होती थी, लेकिन आज यह उद्योग पूरी तरह से समाप्त हो गया है। इलाके में गन्ने की खेती भी पहले की अपेक्षा बहुत कम होती है। लंबे समय से विधानसभा क्षेत्र के लोग भदरिया को बौद्ध सर्किट से जोड़ने की मांग उठाते आए हैं। अमरपुर के खास स्थलों की बात करें तो यहां का जेठौरनाथ पौराणिक मंदिर और तेलडीहा मंदिर का अपना महत्व है। अमरपुर को रेल लाइन से जोड़ने की मांग भी समय-समय पर उठाई रही है, लेकिन अभी तक पूरी नहीं हुई। औद्योगिक क्षेत्र का विकास नहीं होने से स्थानीय स्तर पर रोजगार की समस्या है।
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मौजूदा समीकरण
2020 के चुनावी आंकड़ों के मुताबिक विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,87,342 मतदाता हैं। अधिकांश आबादी ग्रामीण है। सिर्फ 6.32 फीसद वोटर्स शहरी क्षेत्र में रहते हैं। मुस्लिम वोटर्स करीब 10.5 और अनुसूचित जाति के मतदाता 12.88 प्रतिशत हैं। किसी भी दल की हार-जीत में अनूसूचित जाति के मतदाताओं की भूमिका अहम होती है। यही वजह है कि हर सियासी दल इनको ही ध्यान में रखकर अपना प्रत्याशी उतारता है। लोकसभा चुनाव 2024 में जेडीयू को अमरपुर से 29,113 वोट की बढ़त मिली थी। पिछले विधानसभा चुनाव में एलजेपी को 40 हजार वोट मिले थे। इस बार एलजेपी एनडीए का हिस्सा है। अगर सीट बंटवारे में अमरपुर विधानसभा सीट जेडीयू के खाते में आती है तो चुनाव में उसे एलजेपी के साथ आने का फायदा मिल सकता है।
2020 चुनाव का रिजल्ट
पिछले चुनाव में अमरपुर सीट पर कुल 12 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने जितेंद्र सिंह को मैदान में उतारा। उन्हें 51,194 वोट मिले। जेडीयू प्रत्याशी जयंत राज को 54,308 वोट मिले। जयंत ने 3,114 मतों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी को सियासी पटखनी दी। यहां यह बताना भी जरूरी है कि एलजेपी प्रत्याशी मृणाल शेखर को 40,308 वोट मिले। इन तीनों के अलावा किसी अन्य उम्मीदवार की जमानत तक नहीं बची।
मौजूदा विधायक का परिचय
अमरपुर से मौजूदा विधायक जयंत राज जेडीयू नेता जनार्दन मांझी के बेटे हैं। उनके पिता ने इसी सीट से साल 2010 और 2015 में चुनाव जीता था। जयंत राज अभी बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्री हैं। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक जयंत ने टीएमबी विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की। उनके पास 61 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति है और 8 लाख रुपये से अधिक की देनदारी है। उन्होंने अपने पेशे के तौर पर राजनीति, सामाजिक कार्य और डेयरी फार्म का उल्लेख कर रखा है।
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विधानसभा सीट का इतिहास
अमरपुर विधानसभा का गठन साल 1957 में किया गया था। सबसे ज्यादा कांग्रेस चार बार जीती है। 1985 में आखिरी बार नील मोहन सिंह ने कांग्रेस को जीत दिलाई थी। आरजेडी और जेडीयू तीन-तीन बार अपना परचम लहरा चुकी हैं। 1967 और 1969 में सुखनारायण सिंह ने दो बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को जीत दिलाई। भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार जीत हासिल की है।
अमरपुर विधानसभा: कब-कौन जीता
वर्ष |
विजेता |
दल |
1957 |
शीतल प्रसाद भगत |
कांग्रेस |
1962 |
शीतल प्रसाद भगत |
कांग्रेस |
1967 |
सुखनारायण सिंह |
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1969 |
सुखनारायण सिंह |
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1972 |
जनार्दन यादव |
भारतीय जनसंघ |
1977 |
जनार्दन यादव |
जनता पार्टी |
1980 |
नील मोहन सिंह |
कांग्रेस |
1985 |
नील मोहन सिंह |
कांग्रेस |
1990 |
माधव मंडल |
निर्दलीय |
1995 |
सुरेंद्र प्रसाद सिंह |
जनता दल |
2000 |
सुरेंद्र प्रसाद सिंह |
आरजेडी |
2005 |
सुरेंद्र प्रसाद सिंह |
आरजेडी |
2005 |
सुरेंद्र प्रसाद सिंह |
आरजेडी |
2010 |
जनार्दन मांझी |
जेडीयू |
2015 |
जनार्दन मांझी |
जेडीयू |
2020 |
जयंत राज |
जेडीयू |