बिहार की सुल्तानगंज विधानसभा सीट भागलपुर जिले का हिस्सा है, लेकिन लोकसभा चुनाव में यह बांका में पड़ती है। यहां कांग्रेस आखिरी बार 1985 में जीती थी। तब से वह वापसी का संघर्ष कर रही है। विधानसभा सीट का गठन सीडी ब्लॉक सुल्तानगंज और शाहकुंड को मिलाकर हुआ है। सुल्तानगंज प्रखंड स्तर का कस्बा है। गंगा नदी के तट पर बसे इस कस्बे में अजगैबीनाथ मंदिर है। इसकी ख्याति देश-विदेश तक है।
 
सुल्तानगंज में मां गंगा उत्तरवाहिनी हैं। सावन महीने में लाखों कांवड़िये यहां से गंगाजल भरते हैं। श्रद्धालु यह गंगाजल देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में चढ़ाते हैं। इस कस्बे में बौद्ध विहार और स्तूप के अवशेष भी मिले हैं। 1853 में सुल्तानगंज में बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा मिली थी। तांबे से बनी यह मूर्ति बर्मिंघम म्यूजियम में रखी है। विधानसभा का अधिकांश क्षेत्र ग्रामीण है। गंगा में आने वाली बाढ़ से यह इलाका भी अछूता नहीं है। क्षेत्र की अर्थव्यवस्था खेती किसानी पर निर्भर है। बिजली, सड़क, पानी और रोजगार यहां के प्रमुख मुद्दे हैं। 
 
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मौजूदा समीकरण 
2020 के चुनावी आंकड़ों के मुताबिक सुल्तानगंज में कुल 3,19,700 मतदाता हैं। इनमें महिलाओं की संख्या 1,49,923 और पुरुष वोटर्स की संख्या 1,69,777 है। विधानसभा क्षेत्र की सिर्फ 12.13% आबादी ही कस्बे में रहती है। बाकी आबादी ग्रामीण है। अनुसूचित जाति के मतदाताओं की हिस्सेदारी 12.97 और मुस्लिम वोटर्स 11.7 फीसदी हैं। 13.9 फीसदी मंडल वोटर्स काफी निर्णायक साबित होते हैं।
2020 चुनाव का रिजल्ट
पिछले चुनाव में पांच निर्दलीय समेत कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे। कांग्रेस ने ललन कुमार पर दांव खेला। उनके खिलाफ जेडीयू ने ललित नारायण मंडल को टिकट दिया। लोक जनशक्ति पार्टी ने नीलम देवी को उतारा। जेडीयू प्रत्याशी ललित नारायण मंडल को कुल 72,823 वोट मिले। उनके प्रतिद्वंद्वी ललन कुमार के खाते में 61,258 मत आए। ललित कुमार ने 11,565 मतों के अंतर से चुनाव जीता। लोजपा नेता नीलम देवी को सिर्फ 10,222 वोट मिले। चुनाव लड़ रहे 11 प्रत्याशियों को अपनी जमानत गंवानी पड़ी।
मौजूदा विधायक का परिचय
ललित नारायण मंडल ने पिछले चुनाव में जेडीयू की टिकट पर चुनाव जीता। जानकारी के मुताबिक मंडल 2005 से ही जेडीयू से जुड़े हैं। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक विधायक ललित नारायण मंडल के पास 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। कोई कर्ज नहीं है। साल 2010 में भागलपुर स्थित तिलक मांझी विश्वविद्यालय से पीएचडी किया। उन्होंने हलफनामे में खुद को विश्वविद्यालय में कार्यरत बताया। उनकी पत्नी के पास सरकारी नौकरी है। उनके खिलाफ एक भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।  
विधानसभा सीट का इतिहास
विधानसभा क्षेत्र का गठन 1951 में हुआ था। अब तक 15 बार चुनाव हो चुके हैं। पहले कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन पिछले 20 साल से यहां जेडीयू के एकछत्र राज को कोई भी दल चुनौती नहीं दे सका है। सबसे अधिक छह बार कांग्रेस ने चुनाव जीता। जेडीयू पांच बार अपना परचम लहरा चुकी है। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, जनता दल और समता पार्टी को एक-एक बार जीत मिली। साल 2000 से सुल्तानगंज सीट पर जेडीयू का कब्जा है। सबसे पहले समता पार्टी के तौर पर जीती। बाद में यही समता पार्टी जेडीयू में तब्दील हो गई।
 
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सुल्तानगंज विधानसभा: कब-कौन जीता
| वर्ष | 
विजेता | 
दल  | 
| 1952 | 
रास बिहारी लाल | 
कांग्रेस | 
| 1957 | 
सरस्वती देवी | 
कांग्रेस | 
| 1962 | 
देवीप्रसाद महतो | 
कांग्रेस | 
| 1967 | 
बनारसी प्रसाद शर्मा | 
प्रजा सोशलिस्ट पार्टी | 
| 1969 | 
राम रक्षा प्रसाद यादव | 
कांग्रेस | 
| 1977 | 
जागेश्वर मंडल | 
जनता पार्टी | 
| 1980 | 
नंद कुमार मांझी | 
कांग्रेस | 
| 1985 | 
उमेश चंद्र दास | 
कांग्रेस | 
| 1990 | 
फणींद्र चौधरी   | 
जनता दल | 
| 2000 | 
गणेश पासवान   | 
समता पार्टी | 
| 2005 (फरवरी) | 
सुधांशु शेखर भास्कर | 
जेडीयू | 
| 2005 (नवंबर) | 
सुधांशु शेखर भास्कर   | 
जेडीयू | 
| 2010 | 
सुबोध रॉय | 
जेडीयू | 
| 2015 | 
सुबोध रॉय   | 
जेडीयू | 
| 2020 | 
ललित नारायण मंडल | 
जेडीयू |