वादाः रेहड़ी-पटरी संचालकों को कानूनी संरक्षण
'रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं और फेरीवालों को कानूनी सुरक्षा देने वाला दिल्ली भारत का पहला राज्य बनेगा। हम 6 महीने के भीतर वेंडिंग का प्रमाण पत्र जारी करेंगे और एमसीडी व दिल्ली पुलिस के हाथों रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के उत्पीड़न को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता वाले कियोस्क स्थापित करेंगे।'
स्ट्रीट वेंडर्स कौन?
सड़कों या रेहड़ी-पटरियों पर अपना सामान बेचने वालों को स्ट्रीट वेंडर्स कहा जाता है। फरवरी 2022 में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि देशभर में 49.48 लाख स्ट्रीट वेंडर्स हैं। सबसे ज्यादा 8.49 लाख वेंडर्स उत्तर प्रदेश में हैं। दिल्ली में 72,457 स्ट्रीट वेंडर्स हैं। हालांकि, ये सरकारी आंकड़ा है, जबकि अनुमान है कि दिल्ली में लगभग 4.50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स हैं।
इनके लिए दिल्ली सरकार ने क्या किया?
पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले स्ट्रीट वेंडर्स को कानूनी सुरक्षा देने का वादा किया था। हालांकि, अब तक दिल्ली में अभी तक ये कानून पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।
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मार्च 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने स्ट्रीट वेंडर्स को कानूनी संरक्षण देने के मकसद से कानून लागू किया था। इसके बाद जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार आई तो केजरीवाल ने दावा किया कि इस कानून को लागू करने वाला दिल्ली पहला राज्य बनेगा। हालांकि, इस कानून को 4 अक्टूबर 2019 को नोटिफाई किया गया था।

क्या पूरी तरह लागू नहीं है कानून?
हाल ही में यूपी की कांग्रेस विधायक मोना मिश्रा ने दावा किया है कि दिल्ली में अभी तक इस कानून को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। मोना मिश्रा का दावा है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली में सिर्फ 72,467 स्ट्रीट वेंडर्स की पहचान की है। इनमें से सिर्फ 62,333 को ही वेंडिंग का सर्टिफिकेट दिया गया है, जबकि 56,422 को ही आईडी कार्ड मिला है।
मोना मिश्रा का दावा है कि इस कानून को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है, जिससे दिल्ली के 7.5 लाख स्ट्रीट वेंडर्स और इनसे जुड़े 35 लाख लोग प्रभावित हो रहे हैं।
हाईकोर्ट ने भी लगाई थी फटकार
अक्टूबर 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट ने स्ट्रीट वेंडर्स कानून को सही तरीके से लागू न करने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकार को 'लोकलुभावन वादे' करने की बजाय 'काम' पर भी ध्यान देना चाहिए। हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी की सरकार को 'जिम्मेदार सरकार' के तौर पर काम करने की सलाह दी थी।
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2014 का स्ट्रीट वेंडर्स कानून सड़कों और रेहड़ी-पटरियों पर दुकान लगाने वालों या ठेला लगाने वालों को कानूनी सुरक्षा देता है। इसके तहत, शहर की 2.5 फीसदी आबादी को सामान बेचने के लिए जगह दी जाएगी। स्ट्रीट वेंडर्स का सर्वे किया जाएगा और उन्हें सर्टिफिकेट के साथ-साथ आईडी कार्ड दिया जाएगा। इस कानून का मकसद रेहड़ी-पटरियों वालों को पुलिस और नगर निगम के उत्पीड़न से बचाना था।
केजरीवाल ने पिछले साल भी किया था वादा
लोकसभा चुनाव से पहले 16 मार्च 2024 को तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल ने स्ट्रीट वेंडर्स का सर्वे कराने का वादा किया था। उन्होंने वादा किया था कि कुछ ही महीनों में सर्वे कराकर दुकान खोलने के लिए जगह दी जाएगी।
हालांकि, सर्वे हुआ या नहीं? और अगर हुआ तो उसका क्या नतीजा निकला? इसकी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।