बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नालंदा जिले से आते हैं और इसी जिले में आती अस्थावां विधानसभा सीट। सीएम नीतीश कुमार का गृह जिला होने के कारण अस्थावां जिले पर उनका प्रभाव भी नजर आता है। ढाई दशक से यहां उनकी पार्टी जेडीयू का दबदबा है।
अस्थावां सीट पर अब तक एक उपचुनाव मिलाकर 19 बार चुनाव हो चुके हैं। यह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। मगर 2000 के बाद से यहां जेडीयू के अलावा और कोई पार्टी जीत भी नहीं सकी है।
मौजूदा समीकरण
अस्थावां कुर्मी बहुल क्षेत्र है। अब तक यहां के ज्यादातर विधायक कुर्मी जाति से ही बने हैं। मौजूदा विधायक जितेंद्र कुमार भी कुर्मी समुदाय से आते हैं। यह विधानसभा पूरी तरह से ग्रामीण इलाके में आती है। यह सीट जेडीयू की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक है। पिछले दो चुनाव से जेडीयू 10 हजार से ज्यादा वोटों से यहां से जीत रही है। इस सीट पर नीतीश कुमार फैक्टर भी काम करता है। नालंदा से ही सीएम नीतीश कुमार का होने के नाते अस्थावां जेडीयू का गढ़ बन गई है।
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2020 में क्या हुआ था?
पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू के जितेंद्र कुमार ने आरजेडी के अनिल कुमार को 11,600 वोटों से हराया था। जितेंद्र कुमार को 51,525 तो अनिल कुमार को 39,925 वोट मिले थे। एलजेपी के रमेश कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे, जिन्हें 21,844 वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
इस समय जितेंद्र कुमार यहां से विधायक हैं। जितेंद्र कुमार पिछले लगातार 5 चुनाव यहां से जीत चुके हैं। उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव फरवरी 2005 में जीता था। उसके बाद अक्तूबर 2005, 2010, 2015 और 2020 में उन्होंने यहां से जीत हासिल की।
जितेंद्र कुमार को सीएम नीतीश कुमार का करीबी भी माना जाता है। उनके पिता अयोध्या प्रसाद भी अस्थावां से दो बार विधायक रह चुके हैं। अयोध्या प्रसाद ने 1972 और फिर 1980 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता था।
2020 के चुनाव में दाखिल हलफनामे में जितेंद्र कुमार ने अपने पास 3.14 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। उनके खिलाफ 1 क्रिमिनल केस दर्ज है।
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विधानसभा का इतिहास
अस्थावां सीट पर अब तक 19 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2001 का उपचुनाव भी शामिल है। जेडीयू 5 बार यहां से जीत चुकी है। इस सीट से 5 बार निर्दलीय भी चुनाव जीत चुके हैं।
- 1952: ताजुद्दीन (कांग्रेस)
- 1957: नंद किशोर प्रसाद सिंह (जनता पार्टी)
- 1962: कौशलेंद्र प्रसाद नारायण सिंह (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
- 1967: बीपी जवाहर (कांग्रेस)
- 1969: नंद किशोर प्रसाद सिंह (जनता पार्टी)
- 1972: अयोध्या प्रसाद (कांग्रेस)
- 1977: इंद्रदेव चौधरी (निर्दलीय)
- 1980: अयोध्या प्रसाद (कांग्रेस)
- 1985: रघुनाथ प्रसाद शर्मा (निर्दलीय)
- 1990: रघुनाथ प्रसाद शर्मा (निर्दलीय)
- 1995: सतीश कुमार (निर्दलीय)
- 2000: रघुनाथ प्रसाद शर्मा (निर्दलीय)
- 2001: सतीश कुमार (समता पार्टी)
- 2005: जितेंद्र कुमार (जेडीयू)
- 2005: जितेंद्र कुमार (जेडीयू)
- 2010: जितेंद्र कुमार (जेडीयू)
- 2015: जितेंद्र कुमार (जेडीयू)
- 2020: जितेंद्र कुमार (जेडीयू)