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बाबूबरही विधानसभाः जेडीयू बचा पाएगी सीट या आरजेडी को मिलेगी जीत

बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र में इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है क्योंकि पिछले दो बार से जेडीयू इस सीट पर कायम है। आरजेडी हर हालत में इसे अपने पक्ष में करना चाहेगी।

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बिहार की राजनीति में बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र का एक अलग ही स्थान है। मधुबनी जिले में स्थित यह इलाका झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। नेपाल सीमा के निकट स्थित बाबूबरही न केवल एक संवेदनशील भौगोलिक क्षेत्र है, बल्कि जातीय, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी जटिल और अहम सीट मानी जाती है। यह क्षेत्र सीमावर्ती इलाके के करीब हैं और तुलनात्मक रूप से कम विकसित है। हालांकि, राजनीति की दृष्टि से काफी अहम सीट है।

 

बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में आता है और नेपाल की सीमा के निकट स्थित है। कुछ हिस्सों में यहां बागमती और कमला नदियों की बाढ़ एक बड़ी समस्या बनी रहती है। हर साल बाढ़ से फसलें नष्ट होती हैं और गांव के गांव जलमग्न हो जाते हैं।

 

यहां की अधिकतर आबादी ग्रामीण है और मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करती है। मूल रूप से इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति और मुस्लिमों के वोट काफी निर्णायक माने जाते हैं।

 

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राजनीतिक इतिहास

बिहार के मधुबनी जिले में स्थित बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। यह सीट 1957 में अस्तित्व में आई और तब से यह क्षेत्र बिहार की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाता आ रहा है। शुरूआती वर्षों में यहां समाजवादी विचारधारा का दबदबा रहा, जिसमें देव नारायण यादव एक प्रमुख चेहरा रहे। उन्होंने इस सीट से कई बार जीत हासिल की और 1990, 1995 और 2000 में लगातार निर्वाचित हुए। वे लंबे समय तक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे।

 

2005 में विधानसभा भंग किए जाने के कारण राज्य में दो बार चुनाव हुए। फरवरी 2005 में उमाकांत यादव (आरजेडी) ने जीत दर्ज की, लेकिन अक्टूबर 2005 में जेडीयू के कपिल देव कामत ने उन्हें पराजित कर सीट छीन ली। इसके बाद 2010 में आरजेडी ने वापसी की और उमाकांत यादव फिर से विधायक बने, लेकिन वे इस जीत को कायम नहीं रख सके और 2015 में कपिल देव कामत (जेडीयू) दोबारा वापसी की।

 

2020 में इस सीट से जेडीयू की मीना कुमारी ने आरजेडी के उमाकांत यादव को फिर से शिकस्त देकर जीत हासिल की। इस बार जेडीयू के लिए चुनौती है कि क्या वह इस सीट पर जीत को कायम रख पाएगी या कि आरजेडी इस सीट को साध सकेगी।

विधायक का परिचय

मीना कुमारी की उम्र 32 साल है। उन्होंने हिंदी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रखा है। अपने चुनावी हलफनामे में उन्होंने सामाजिक सेवाओं, कृषि कार्य और व्यवसाय को अपनी गतिविधियों में शामिल बताया है। उनके पति सरकारी शिक्षक हैं और उनका नाम रमन कुमार है।

2020 का चुनाव

2020 में बाबूबरही सीट पर सीधी टक्कर जेडीयू और आरजेडी के बीच रही और जेडीयू की मीना कुमारी को 77,367 वोट मिले जबकि आरजेडी के उमाकांत यादव 65,879 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। 2020 में बीजेपी और जेडीयू ने एक साथ चुनाव लड़ा था और कांग्रेस ने आरजेडी का समर्थन किया था। पिछले दो बार से इस सीट पर जेडीयू का कब्जा है।

 

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कौन कब जीता?

  • 1957: देव नारायण यादव 

  • 1977: देव नारायण यादव

  • 1980: महेंद्र नारायण झा – कांग्रेस

  • 1985: गुणानंद झा – कांग्रेस

  • 1990: देव नारायण यादव – जनता दल

  • 1995: देव नारायण यादव – जनता दल

  • 2000: देव नारायण यादव – आरजेडी

  • फरवरी 2005: उमाकांत यादव – आरजेडी

  • अक्टूबर 2005: कपिलदेव कामत – जेडीयू

  • 2010: उमाकांत यादव – आरजेडी

  • 2015: कपिलदेव कामत – जेडीयू

  • 2020: मीना कुमारी – जेडीयू

 

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