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बछवाड़ा विधानसभा: हर बार MLA बदल देती है जनता, इस बार कौन मारेगा बाजी?

बछवाड़ा विधानसभा सीट पर साल 2000 के बाद से ही कोई भी एक पार्टी दो बार चुनाव नहीं जीत पाई है। इस बार भी यहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है।

Bachhwara Assembly constituency

बछवाड़ा विधानसभा सीट। Photo Credit- Khabargaon

बछवाड़ा विधानसभा सीट बिहार के बेगूसराय जिले में आती है। बछवाड़ा भारत की सबसे बड़ी गंगा नदी के किनारे बसा एक क्षेत्र है। बछवाड़ा की अपने जिला मुख्यालय बेगूसराय से दूरी 34 किलोमीटर है, जबकि यहां से 40 किलोमीटर दूर समस्तीपुर जिला मुख्यालय है। बछवाड़ा मिथिला क्षेत्र का हिस्सा है। यहां के लोग मैथिली और हिंदी बोलते हैं। स्थानीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। यहां बछवाड़ा रेलवे स्टेशन है। यह एक जंक्शन स्टेशन है। जहां से प्रमुख शहरों के लिए ट्रेनें मिलती हैं और हर प्रमुख ट्रेन रुकती है। बछवाड़ा में महादेव मंदिर, हनुमान मंदिर मोहनिया चौक, नरपुर मस्जिद जैसे धार्मिक स्थाल मौजूद हैं।

 

बछवाड़ा में कभी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। यही इस विधानसभा सीट की खूबी रही है, जो यहां के लोगों के लोकतांत्रित होने का बोध कराता है। यह इलाका अब तक किसी एक राजनीतिक विचारधारा या दल के प्रति वफादार नहीं रहा है। पिछले छह विधानसभा चुनावों में बछवाड़ा से किसी भी पार्टी को लगातार दो जीत नहीं मिली है। बछवाड़ा के लोग हर चुनाव में अपने उस विधायक की तलाश में रहते हैं, जो उनकी उम्मीदों पर खरा उतर सके।

 

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मौजूदा समीकरण?

बछवाड़ा विधानसभा सीट 2010 में सीपीआई, 2015 में कांग्रेस और 2020 के चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। विधानसभा के सामाजिक समीकरण की बात करें तो यहां विविधता देखने को मिलती है। बछवाड़ा में अनुसूचित जाति के मतदाता 17.31 फीसदी, 12 फीसदी महतो, 12 फीसदी राय और 9 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। बछवाड़ा ने अब तक हुए 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें से कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सात बार और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने पांच बार इस सीट पर जीत हासिल की है। इसके अलावा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, एक निर्दलीय उम्मीदवार, राष्ट्रीय जनता दल और बीजेपी ने भी बछवाड़ा पर एक-एक बार जीत हासिल की है। इस सीट पर जेडीयू कभी चुनाव नहीं जीती है।

2020 में क्या हुआ था?

बछवाड़ा विधानसभा सीट पर 2020 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में बीजेपी के सुरेंद्र मेहता ने करीबी मुकाबले में सीपीआई के अवधेश कुमार राय को हराया था। हार का अंतर महज 484 वोटों का था। बीजेपी के सुरेंद्र मेहता ने 30.21 फीसदी वोट पाते हुए 54,738 वोट हासिल किया था, जबकि अवधेश कुमार राय ने 29.94 फीसदी वोट पाते हुए 54,254 वोट हासिल किया था। इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार शिव प्रकाश गरीब दास ने शनदार चुनाव लड़ा था। उन्होंने 39,878 वोट हासिल किया था, जबकि निर्दलीय इंद्र कुमारी ने 9,704 वोट हासिल किया। कुल मिलाकर इस बाद बड़ी पार्टियों ने निर्दलीय उम्मीदवारों को नहीं साधा तो वह किसी एक बड़ी पार्टी का खेल बिगाड़ सकते हैं।

 

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विधायक का परिचय

मौजूदा बीजेपी विधायक सुरेंद्र मेहता बछवाड़ा से पहली बार के विधायक हैं। वह इससे पहले 2010 में बीजेपी के टिकट पर बेगूसराय से विधायकी जीती थी। 56 साल के सुरेंद्र मेहता 2005 और 2015 का विधानसभा चुनाव हार गए थे। वह बिहार के पुराने और दिग्गज नेता माने जाते हैं।

 

सुरेंद्र मेहता की पढ़ाई की बात करें तो वह 12वीं पास हैं। उन्होंने 1980 में 12वीं की परीक्षा पास की थी। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन और सामाजिक कार्य है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 25 लाख रुपये की संपत्ति है।

विधानसभा सीट का इतिहास

बछवाड़ा विधानसभा सीट पर सबसे पहले 1952 में विधानसभा चुनाव हुए थे। पहले चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। यह विधानसभा क्षेत्र बेगूसराय लोकसभा सीट के तहत आने वाले सात क्षेत्रों में से एक है। निर्वाचन क्षेत्र का साल 2008 में परिसीमन हुआ था। इस सीट की संख्या 142 है।

 

1952- मिथुन चौधरी (कांग्रेस)

1957- वैद्यनाथ प्रसाद सिंह (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)

1962- गिरीश कुमार सिंह (कांग्रेस)

1967- वैद्यनाथ प्रसाद सिंह (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)

1969- भुवनेश्वर राय (कांग्रेस)

1972- रामदेव राय (कांग्रेस)

1977- रामदेव राय (कांग्रेस)

1980- रामदेव राय (कांग्रेस)

1985- अयोध्या प्रसाद सिंह (सीपीआई)

1990- अवधेश राय (सीपीआई)

1995- अवधेश राय (सीपीआई)

2000- उत्तम कुमार यादव (आरजेडी)

2005- रामदेव राय (निर्दलीय)

2005- रामदेव राय (कांग्रेस)

2010- अवधेश राय (सीपीआई)

2015- रामदेव राय (कांग्रेस)

2020- सुरेंद्र मेहता (बीजेपी)

 

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