सीमांचल में पड़ने वाली पूर्णिया जिले की बायसी विधानसभा सीट का बिहार की सियासत में अपना दबदबा है। मुस्लिम बहुल इस सीट में हिंदू मतदाताओं की भूमिका भी अहम होती है। ग्रामीण क्षेत्र में आने वाली यह विधानसभा सीट कनकई और परमान नदी से घिरी है। हर साल मानसून सीजन में बाढ़ यहां सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आती है।
दशकों से बाढ़ का दंश झेलने वाली बायसी की जनता को आज भी समाधान की तलाश है। इस पूरे इलाके ने तरक्की की तस्वीर भी नहीं देखी। पलायन भी यहां की प्रमुख समस्याओं में से एक है। खेती-किसानी लोगों के रोजगार का अहम साधन है। रोजगार की व्यवस्था नहीं होने पर विधानसभा क्षेत्र के लोग काम की तलाश में अन्य प्रदेश जाते हैं। अगर यहां कुल मतदाताओं की बात करें तो उनकी संख्या 2,66,574 है। पिछले चुनाव में सिर्फ 65.9 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
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मौजूदा समीकरण
लगभग 64 फीसदी मुस्लिम मतदाता होने के कारण इस सीट की गिनती बिहार की मुस्लिम बहुल सीटों में होती है। मगर अल्पसंख्यक होने के बावजूद हिंदू मतदाता भी चुनाव की दिशा-दशा तय करते हैं। पूरी विधानसभा सीट 100 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र में आती है। विधानसभा क्षेत्र में 7.15 फीसदी अनुसूचित जाति और 1.76 फीसदी अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या है। यादव मतदाताओं की सिर्फ 3.9 फीसदी भागेदारी है। इस सीट में अधिकांश दल मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव खेलते हैं। नतीजा यह होता है कि मुस्लिम मतों का बंटवारा होता है। ऐसे में हार जीत तय करने में हिंदू मतदाताओं की भूमिका अहम होती है।
2020 चुनाव के नतीजे
पिछले विधानसभा चुनाव में बायसी विधानसभा सीट से ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने सैयद रुकनुद्दीन को टिकट दिया। उन्हें कुल 68,416 मत मिले और 16,373 वोट से चुनाव में जीत हासिल की। सैयद रुकनुद्दीन के खिलाफ बीजेपी ने विनोद कुमार को मैदान में उतारा था। मगर उन्हें कुल 52,043 वोट मिले। कुल 12 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। लेकिन सिर्फ तीन उम्मीदवारों के अलावा कोई और अपनी जमानत तक नहीं बचा सका। आरजेडी ने अब्दुस सुभान पर दांव खेला, लेकिन काम नहीं आया। उन्हें भाजपा प्रत्याशी से भी कम वोट मिले। 38,254 मतों के साथ तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।
2020 विधानसभा चुनाव से जुड़े आंकड़े
कुल मतदाता |
2,66,574 |
पुरुष मतदाता |
1,39,772 |
महिला मतदाता |
1,26,802 |
कुल पड़े वोट |
1,75,745 (67.1%) |
नोटा को मिले वोट |
3,042 |
किस पार्टी को कितने फीसदी मत मिले
पार्टी |
वोट प्रतिशत |
एआईएमआईएम |
38.9 |
बीजेपी |
29.6 |
आरजेडी |
21.8 |
मौजूदा विधायक का परिचय
बायसी विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक सैयद रुकनुद्दीन दूसरी बार चुनाव जीते हैं। पहली बार साल नवंबर 2005 में निर्दलीय और दूसरी बार 2020 विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम के टिकट से। 2020 के चुनावी हलफनामे में विधायक सैयद रुकनुद्दीन ने कृषि को अपना व्यवसाय बताया है। उनके पास 93 लाख से अधिक की संपत्ति और 46 लाख रुपये से ज्यादा की देनदारी है। उन्होंने 1994 में पटना स्थित आरपीएस कॉलेज से 12वीं पास किया था। पूर्णिया और किशनगंज में उनके खिलाफ सात मामले दर्ज हैं। सैयद रुकनुद्दीन ने एआईएमआईएम से चुनाव भले जीते, लेकिन 2022 में उन्होंने पाला बदलकर आरजेडी का दामन थाम लिया।
सीट का इतिहास
1951 और 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर लगातार दो बार अब्दुल अहद मोहम्मद नूर यहां से विधायक बने। 1962 में पहली बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी हसीबउर रहमान ने जीत हासिल की। वो भी यहां से दो बार विधायक रहे। 1967, 1969 और 1972 विधानसभा चुनाव में यह सीट अस्तित्व में नहीं रही। अब्दुस सुबहान बायसी विधानसभा से पांच बार विधायक रहे। आखिरी बार उन्होंने 2015 में आरजेडी की टिकट पर चुनाव जीता था। अगर पार्टीवार बात करें तो इस सीट पर अभी तक जेडीयू ने जीत नहीं दर्ज की है। चार बार कांग्रेस और तीन बार आरजेडी ने विजयी पताका फहराई। दो बार निर्दलियों का भी दबदबा देखने को मिला। इसके अलावा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल, लोकदल, एआईएमआईएम और बीजेपी एक-एक बार जीत हासिल कर चुकी है।
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बायसी विधानसभा: कब-कौन जीता
वर्ष |
विजेता |
दल |
1951 |
अब्दुल अहद मोहम्मद नूर |
कांग्रेस |
1957 |
अब्दुल अहद मोहम्मद नूर |
कांग्रेस |
1962 |
हसीबउर रहमान |
प्रजा सोशलिस्ट पार्टी |
1977 |
हसीबउर रहमान |
कांग्रेस |
1980 |
सैयद मुईनुद्दीन |
निर्दलीय |
1985 |
अब्दुस सुबहान |
लोकदल |
1990 |
अब्दुस सुबहान |
जनता दल |
1995 |
सैयद मुईनुद्दीन |
कांग्रेस |
2000 |
अब्दुस सुबहान |
आरजेडी |
2005 (फरवरी) |
अब्दुल सुबहान |
आरजेडी |
2005 (अक्टूबर) |
सैयद रुकनुदीन |
निर्दलीय |
2010 |
संतोष कुमार |
बीजेपी |
2015 |
अब्दुल सुबहान |
आरजेडी |
2020 |
सैयद रुकनुद्दीन |
एआईएमआईएम |
नोट- आंकड़े भारत निर्वाचन आयोग और इंडिया वोट्स से जुटाए गए हैं।