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बड़हारा विधानसभा: कम वोट से जीते थे राघवेंद्र, इस बार क्या होगा?

बड़हारा विधानसभा में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। वर्तमान बीजेपी विधायक इससे पहले दो बार आरजेडी से विधायक रह चुके हैं।

Barhara Assembly constituency

बड़हारा विधानसभा सीट। Photo Credit- Khabargaon

ड़हारा निर्वाचन क्षेत्र बिहार के भोजपुर जिले की सात विधानसभाओं में एक सीट है। यह एक भोजपुर जिले का एक प्रमुख सामुदायिक विकास खंड है। गंगा नदी के किराने बसा यह क्षेत्र एक ग्रामीण इलाका है। बड़हारा की जमीन समतल है, जिसकी वजह से यहां के ज्यादातर लोग कृषि के काम में लगे हुए हैं। हालांकि, बारिश के मौसम में यहां का बड़ा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित रहता है, कई बार बाढ़ का पानी खेती के लिए अभिशाप बन जाता है।

 

बड़हरा, जिला मुख्यालय आरा से लगभग 12 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा राजधानी पटना 60 किलोमीटर और छपरा जिला मुख्यालय 50 किलोमीटर दूर है। राजनीतिक लिहाज से यह विधानसभा काफी महत्वपूर्ण है। बड़हारा स्वतंत्रता सेनानी और बिहार के पूर्व वित्तमंत्री अंबिका शरण सिंह की सीट रही है। उनके बेटे वर्तमान में बड़हरा से विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह हैं। वर्तमान विधायक के पिता तो जीवनभर कांग्रेसी रहे लेकिन वह खुद जनता पार्टी से अपनी सियासी पारी की शुरुआत करके जनता दल, आरजेडी में रहे। अभी वह बीजेपी में हैं।

 

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दरअसल, साल 2000 और 2010 में राघवेंद्र प्रताप सिंह पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव की आरजेडी से विधायक रहेइसके बाद 2015 में आरजेडी ने उनकी जगह सरोज यादव को टिकट दे दियासरोज यादव बड़हरा से पार्टी की विधायक चुनी गईंइसके बाद 2020 के चुनाव से पहले राघवेंद्र प्रताप बीजेपी में शामिल हो गएबीजेपी ने उनको बड़हरा से टिकट दे दिया, वह आरजेडी के प्रत्याशी को हराकर एक बाद फिर से बिहार विधानसभा में पहुंचेऐसे में इस बार के चुनाव में बड़हरा का चुनाव दिलचस्प होने जा रहे है

मौजूदा समीकरण

बड़हारा विधानसभा के लोग वर्तमान विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के परिवार पर मेहरबान रहे हैंइसी सीट से पहले उनके पिता अंबिका शरण सिंह दो बार विधायक रहे, जबकि राघवेंद्र प्रताप सिंह खुद यहां से 6 बार के विधायक हैंबड़हारा के सामाजिक समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा 23 फीसदी राजपूताति के लोग हैंइसके बाद 14.52 फीसदी अनुसूचित जाति, 3.8 फीसदी मुस्लिम और लगभग 11 फीसदी यादव जाति के मतदाता हैं

2020 में क्या हुआ था

बड़हारा विधानसभा पर 2020 में भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई थीराष्ट्रीय जनता दल दूसरे नंबर पर रही थीबीजेपी के उम्मीदवार राघवेंद्र प्रताप सिंह ने आरजेडी की पूर्व विधायक सरोज यादव को करीबी मुकाबले में हराया थाहार का अंतर 4,980 वोटों का थाबीजेपी के राघवेंद्र प्रताप ने 46.15 फीसदी वोट पाते हुए 76,182 वोट हासिल किया था, जबकि सरोज यादव को 71,209 वोट मिले थेवहीं, इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी और 2005 में जेडीयू की विधायक रहीं आशा देवी को 7,203 वोट हालिस हुए थे

 

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विधायक का परिचय

मौजूदा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह बड़हरा से 6 बार के विधायक हैंवह बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैंवह सबसे पहली बाद साल 1985 में जनता पार्टी के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थेइसके बाद वह 1900, 1995 और 2000 में विधायक रहेइसके बाद राघवेंद्र प्रताप 2010 और 2020 में जीतक बिहार विधानसभा पहुंचेवह बिहार के पुराने और दिग्गज नेता माने जाते हैंराज्य की राजनीति में उनके परिवार की खासी पूछ है

 

राघवेंद्र प्रताप सिंह की पढ़ाई की बात करें तो वह 10वीं पास हैंउन्होंने टीएजे हाई स्कील धरमर से साल 1968 में 10वीं की परीक्षा पास की थई। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन और कृषिपिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 2.43 करोड़ रुपये की संपत्ति है

विधानसभा सीट का इतिहास

बडहरा सीट पर सबसे पहली बार साल 1952 में चुनाव हुए थेपहले चुनाव में अखिल भारतीय राम राज्य परिषद के राम विलास सिंह बड़हरा के पहले विधायक बने थेतब से लेकर अबतक बड़हरा में 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैंबड़हरा विधानसभा सीट आरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है

 

1952- राम विलास सिंह (अखिल भारतीय राम राज्य परिषद)

1967- अंबिका शरण सिंह (कांग्रेस)

1969- महंथ महादेवा नंद गिरि (निर्लदीय)

1972- राम विलास सिंह (कांग्रेस)

1977- अंबिका शरण सिंह (जनता पार्टी)

1980- रामजी प्रसाद सिंह (कांग्रेस)

1985- राघवेंद्र प्रताप सिंह (जनता पार्टी)

1990- राघवेंद्र प्रताप सिंह (जनता दल)

1995- राघवेंद्र प्रताप सिंह (जनता दल)

2000- राघवेंद्र प्रताप सिंह (आरजेडी)

2005- आशा देवी (जेडीयू)

2005- आशा देवी (जेडीयू)

2010- राघवेंद्र प्रताप सिंह (आरजेडी)

2015- सरोज यादव (आरजेडी)

2020- राघवेंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी)

 

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